भारतीय रेलवे के रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ फेंसिंग होगी, सबकी जद से दूर होगा रेलवे ट्रैक, दौड़ेगी सिर्फ ट्रेन
रेलवे ट्रैक पर पशुओं के साथ आम लोगों की आवाजाही रोकने के लिए रेल प्रशासन ने कमर कस ली है। रेलवे ने यह निर्णय हाल ही के दिनों में वंदेभारत ट्रेनों से पशुओं के टकराने की बढ़ती घटनाओं के बाद लिया है। पिछले वर्षों में पशुओं के ट्रेन से टकराने की घटनाओं में कमी आई थी, लेकिन फिर से इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं।
रेलवे ट्रैक पर पशुओं के साथ आम लोगों की आवाजाही रोकने के लिए रेल प्रशासन ने कमर कस ली है। ट्रैक के दोनों तरफ विशेष तरह की सुरक्षा दीवार बनाने के साथ ही अब बाड़ भी लगाई जाएगी। उत्तर रेलवे ने 139 संवेदनशील स्थानों की पहचान की है, जहां खासतौर से जानवर ट्रैक पर आ जाते हैं। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इनमें से 22 स्थान ऐसे हैं, जहां दस सालों में तेजी से हादसे बढ़े हैं।
माना जा रहा है कि रेलवे ने यह निर्णय हाल ही के दिनों में वंदेभारत ट्रेनों से पशुओं के टकराने की बढ़ती घटनाओं के बाद लिया है। पिछले वर्षों में पशुओं के ट्रेन से टकराने की घटनाओं में कमी आई थी, लेकिन फिर से इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं। दस वर्षों में उत्तर रेलवे में अलग-अलग स्थानों पर पशुओं के कारण 22 रेल दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। पूरे देश में इस अवधि में 65 दुर्घटनाएं हुईं हैं। इसे ही देखते हुए पटरी के दोनों तरफ फेंसिंग करने की सलाह सभी रेल मंडलों को दी गई है। पशुओं के आने वाले स्थानों की पहचान कर प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षा बाड़ लगाने को कहा गया है।
दिल्ली रेल मंडल ने प्रयास तेज किया : दिल्ली मंडल ने इसके लिए प्रयास भी शुरू कर दिया है। नई दिल्ली-आदर्श नगर, नई दिल्ली-ओखला और नई दिल्ली-साहिबाबाद रेलखंड पर ट्रैक के किनारों को फेंसिंग कर सुंदर बनाया जा रहा है। कई स्थानों पर पटरी के दोनों तरफ दीवार बनाई जा रही है। इससे पशुओं के अचानक आने से होने वाले हादसों पर काफी हद तक नियंत्रण लगाया जा सकेगा।
पटरी पर दौड़ते पशु रेल यात्रियों के लिए कई बार काल बन जाते हैं। वंदेभारत समेत कई ट्रेनें दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी हैं। मिशन रफ्तार के तहत देश में ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए काम हो रहा है। नई दिल्ली-हावड़ा और नई दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर ट्रेनों की रफ्तार 130 से बढ़ाकर 160 किलोमीटर प्रतिघंटा करने का लक्ष्य है। सेमी हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेन भी चलाई जा रही है, लेकिन पटरी पर घूमते पशु मिशन रफ्तार में बड़ी बाधक बन रहे हैं।
ट्रेन में तैनात खानपान और सफाई कर्मचारी पटरियों पर कचरा फेंक देते हैं। इसे रोकने के लिए अधिकारियों को नियमित निरीक्षण करने और दोषी पाए जाने पर ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश है। पटरी के आसपास घास उग आने से भी पशु आ जाते हैं। स्टेशन के आसपास और अन्य स्थानों पटरी व आसपास पानी जमा होने से भी प्यास बुझाने पशु पहुंच जाते हैं। इसी तरह कई स्थानों पर स्थानीय निकाय व अन्य लोग पटरी पर या उसके आसपास कचरा फेंकते हैं जिससे जानवर वहां भोजन की खोज में पहुंचते हैं।
संवेदनशील स्थानों की पहचान की : संवेदनशील स्थानों पर पटरियों पर पशुओं के मारे जाने की घटनाओं को रोकने के लिए रेलपथों के साथ-साथ बाड़ की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है। कुल 139 संवेदनशील स्थानों में से 22 की पहचान की गई है। यहां पिछले 10 वर्षों में ऐसी दुर्घटनाएं ज्यादा हुई हैं। नई दिल्ली–हावड़ा और नई दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर गति सीमा 130 किलोमीटर प्रतिघंटा से बढ़ाकर 160 की जानी है। उत्तर रेलवे अपने उपयोगकर्ताओं को सुरक्षित, सुगम और बेहतर सेवाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है। समीक्षा बैठक में इन कार्यों की प्रगति का जायजा लिया गया। - शोभन चौधरी, महाप्रबंधक उत्तर रेलवे |