आइए जाने हीट स्ट्रोक के बारे में
हीट स्ट्रोक की चपेट में आने पर 10 से 15 मिनट के अंदर शरीर का तापमान 106 डिग्री फॉरेनहाइट से या उससे अधिक हो सकता है समय रहते इसका इलाज नहीं किया तो या इंसान के ब्रेन , गुर्दे पर प्रभाव डाल कर उसके मौत का कारण भी बन सकता है
देश के उत्तर भारत का इलाका इस समय जबरदस्त गर्मी की चपेट में है ज्यादातर जगहों पर तापमान 45 डिग्री के ऊपर जा रहा है गर्मी के कारण सभी का हाल बेहाल है देश के कई राज्यों में गर्म हवा के थपेड़ों ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है गर्मी के मौसम में हीट स्ट्रोक या लू लगने का जोखिम रहता है आइए जानते हैं कि हीट स्ट्रोक है क्या.....
हीट स्ट्रोक या सनस्ट्रोक को आम भाषा में लू लगना बोलते हैं यह तब होता है जब आपके शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है और कम नहीं हो पाता जब किसी को लू लगती है तब उसके शरीर का पसीना तंत्र फेल हो जाता है और इंसान को बिल्कुल भी पसीना नहीं आता l
हीट स्ट्रोक की चपेट में आने पर 10 से 15 मिनट के अंदर शरीर का तापमान 106 डिग्री फॉरेनहाइट से या उससे अधिक हो सकता है समय रहते इसका इलाज नहीं किया तो या इंसान के ब्रेन , गुर्दे पर प्रभाव डाल कर उसके मौत का कारण भी बन सकता है l
हीट स्ट्रोक के कारण
- तेज धूप में घर से निकलने बहुत देर तक धूप में रहने से शरीर का तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाता है l
- तरल पदार्थ पिए बिना गर्म मौसम में काम करना l
- बहुत ज्यादा पसीना आना गर्म दिनों में व्यायाम करना l
- कुछ बीमारियों की स्थिति और कुछ दवाएं जैसे कि पुराने हृदय रोग ,मोटापा ,वृद्धावस्था या बहुत कम उम्र के बच्चे, पार्किंसन रोग मधुमेह, मूत्र वर्धक और एंटीहिस्टामिनिक दवाओं का उपयोग साइकोएक्टिव दवाओं का उपयोग l
- भारी वस्त्रों का पहनना l
- भीषण गर्मी के मौसम में थायराइड असंतुलित होने और ब्लड शुगर लेवल कम होने का खतरा काफी बढ़ जाता है l
- रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर शराब और मांस का सेवन करने हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों और एंटीडिप्रेसेंट दवाइयों का नियम इस्तेमाल करने से भी यह समस्या बढ़ जाती है l
- तापमान नियंत्रण की विफलता के कारण शरीर का बढ़ा हुआ तापमान होता है हीट स्ट्रोक तब होता है जब शरीर ताप को अप़व्यय करने की अपनी क्षमता से अधिक ताप का उत्पादन करता है या अवशोषित करता है जब शरीर की गर्मी काफी अधिक हो जाती है तब आपातकालीन चिकित्सा की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और विकलांगता या मृत्यु से बचने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है l
हीट स्ट्रोक के लक्षण
- हीट स्ट्रोक होने पर पैरों में दर्द जकड़न सिर में भारीपन और दर्द
- याददाश्त कम होना तेज बुखार मानसिक स्थिति बिगड़ने हृदय गति का तेज होना त्वचा का सूखना लाल चेहरा जी मिचलाना उल्टी आंखों में जलन दस्त बार-बार प्यास लगना ब्लड प्रेशर का बढ़ना या अत्याधिक कम होना अत्यधिक कमजोरी महसूस होना बेहोशी आना त्वचा का खुश्क होना आदि लक्षण सामने आते हैं हीट स्ट्रोक को हल्के में ना लें हीट स्ट्रोक की स्थिति में व्यक्ति को विशेष देखरेख की जरूरत होती है किसी कारणवश उसे ऐसी स्थिति में धूप में रहना पड़ जाए वह स्थिति उसके लिए जानलेवा साबित हो सकती है
सावधानियां
हीट स्ट्रोक से कैसे बचें
- हीट स्ट्रोक की स्थिति उत्पन्न ना हो उसके लिए हमें अधिक से अधिक पानी और तरल पदार्थ लेना चाहिए ताकि डिहाइड्रेशन की समस्या ना हो l
- जहां तक हो सके धूप में ना निकले धूप में निकल ही पड़े तो शरीर को पूरी तरह ढक के रखें मोटे सूती कपड़े पहने l
- कच्चे आम का पन्ना ,शिकंजी छाछ, लस्सी ,नींबू रस ,फलों का जूस इत्यादि ठंडी चीजों का सेवन करें l
- खाली पेट घर से ना निकले l
- धूप में निकलने से पहले एक गिलास पानी जरूर पिएं लेकिन धूप से आने के तुरंत बाद पानी ना पिए कुछ देर रुक कर पिए l
- हरी सब्जियों फलों का इस्तेमाल भरपूर करें और तरल पदार्थ लेते रहे ग्लूकोज अपने पास रखें और जरूरत पड़ने पर इसका तुरंत इसका सेवन करें l
उपरोक्त लक्षणों के आधार पर हीट स्ट्रोक की स्थिति में अक्सर उपयोग की जाने वाली कुछ होम्योपैथिक दवाइयां
- एकोनाइट- यह वह दवा है जिसके बारे में हर चिकित्सक पहले सोचता है निम्नलिखित लक्षणों के साथ हीट स्ट्रोक का अचानक प्रभाव पड़ता है सिर में भारीपन दर्द फटने जैसा महसूस होना तापमान में अचानक वृद्धि चेहरा लाल और गर्म हो जाता है ठंडे पानी की तीव्र प्यास रोगी अत्यंत बेचैन चिंतित और भयभीत रहता है
- बेलाडोना-रोगी मानसिक रूप से परेशान रहता है कभी-कभी उग्र व्यवहार करता है आमतौर पर यह रोगी काफी खुश और नियमित जीवन व्यतीत करता है पर हीटस्ट्रोक की स्थिति आने पर उसका व्यवहार चपल और और उग्र हो जाता है .जी मिचलाना बेकाबू उल्टी ठंडे पानी की प्यास के साथ उल्टी होना त्वचा शुष्क गरम शरीर में लाल चकत्ते के साथ तेज बुखार और केवल सिर पर सुखा पसीना
- ग्लोनाइन -हीट स्ट्रोक की यह सबसे कारगर दवा है इसका उपयोग बहुतायात होता है भारी सर दर्द,हृदय की तेज धड़कन अत्यधिक चिड़चिड़ापन के साथ सिर में दर्द सूर्योदय और सूर्यास्त के साथ दर्द बढ़ता और घटता है चेहरा गर्म पीला और निस्तेज रहता है सांस लेने में मुश्किल हो ना हृदय गति का तेज बढ़ना और खाना बनाते समय इन सभी लक्षणों का बढ़ जाने पर ग्लोनॉइन का उपयोग किया जाता है
- नेट्रम कारब -यह दवा हीट स्ट्रोक के प्रभाव को खत्म करने के लिए बहुत अच्छी दवा है अत्यधिक दुर्बलता गर्मी के बाद भ्रम की स्थिति सोचने समझने में असमर्थ चक्कर के साथ मानसिक परिश्रम के बाद सिर दर्द आहार के थोड़ी सी भी त्रुटि से कमजोर पाचन अपच जो आमतौर पर गर्मी के मौसम में होता है दूध पी लेने से दस्त की बीमारी होने पर नेट्रम कारब मरीजों को काफी राहत देती है
- वेराट्रम विरीड-नरम और कमजोर नाड़ी के साथ रक्तचाप का बढ़ना गर्म सिर खून से लथपथ आंखें हृदय गति का अत्यधिक बढ़ना कम मात्रा में खाने पीने के बाद चक्कर आना जी मिचलाना और उल्टी होना अत्यधिक दस्त शाम को अतीत आप सुबह हाइपोथर्मिया व्यक्ति मैं चिड़चिड़ापन आ जाता है सांस लेने में तकलीफ होती है
- इसके अलावा भी कई दवाइयां हैं जैसे कि जलसीमीयम ,नेट्रम मयूर ब्रायोनिया पर कोई भी दवा चिकित्सक की सलाह के बिना ना ले l
ध्यान रखें
- गर्मियों के दौरान ज्यादा मात्रा में पानी पीना चाहिए। पानी में थोड़ा नमक मिलाकर पीने से शरीर में नमक की कमी नहीं होगी।
- तला-भुना और भारी भोजन करने से बचें। इसके अलावा गर्मियों में बाहर के खाने से परहेज करें। हीट स्ट्रोक के मरीजों को हल्का भोजन देना चाहिए।
- तेज धूप में बाहर निकलने से बचें। अगर निकलना ही हो तो अपने साथ पानी की बॉटल, नींबू, छाता, ग्लूकोज़, सनग्लॉसेज जरूर रखें।
- गर्मी के मौसम में ठंडे पानी में नींबू और चीनी-नमक मिलाकर पीने से हीट स्ट्रोक का खतरा कम होता है।
- दही का सेवन जरूर करें। प्यास न लगे तो भी पानी पीते रहें और हीट स्ट्रोक के मरीज को हर दो-तीन घंटे पर छाछ देते रहें। इससे हीट का प्रभाव कम होगा और मरीज धीरे-धीरे ठीक होने लगेगा।
डॉ अर्चना श्रीवास्तव
BHMS, MD Medicine, PGDDTN,DHM
वरिष्ठ रेसिडेंट चिकित्सक
आगरा अस्पताल
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