लखनऊ शहर की नई महापौर सुषमा खर्कवाल और पार्षदों ने ली शपथ, इकोफ्रेंडली रहा आयोजन

मंडलायुक्त रोशन जैकब ने और पार्षदों को महापौर ने शपथ दिलाई। जिसके बाद विधिवत शहर की नई सरकार का गठन हो गया और बीस जनवरी से चल रहा प्रशासक काल समाप्त हो गया। महापौर के शपथ लेने के बाद नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने उनको शक्ति का प्रतीक चांदी की गदा भी सौंपी।

लखनऊ शहर की नई महापौर सुषमा खर्कवाल और पार्षदों ने ली शपथ, इकोफ्रेंडली रहा आयोजन
लखनऊ शहर की नई महापौर सुषमा खर्कवाल ने ली शपथ

लखनऊ शहर की नई महापौर सुषमा खर्कवाल एक नई सोच केसाथ काम करेंगी। जिसमें स्वच्छता, सिंगल यूज प्लास्टिक का निषेध, स्थानीय व्यापार को बढ़ावा और स्वास्थ्य शामिल है। शहर को विकास के रास्ते पर देश में एक नई पचाहन देंगी लेकिन इसके लिए सभी पार्षदों, अधिकारियों के साथ ही जनता का सहयोग चाहिए। यह बातें उन्होंने शुक्रवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में महापौर पद की शपथ ग्रहण करने के बाद कहीं। इससे पहले महापौर को मंडलायुक्त रोशन जैकब ने और पार्षदों को महापौर ने शपथ दिलाई। जिसके बाद विधिवत शहर की नई सरकार का गठन हो गया और बीस जनवरी से चल रहा प्रशासक काल समाप्त हो गया। महापौर के शपथ लेने के बाद नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने उनको शक्ति का प्रतीक चांदी की गदा भी सौंपी। इस मौकेपर पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा, पूर्व महापौर संयुक्ता भटिया, विधायक गोपाल टंडन, नीरज बोरा,योगेश शुक्ला, एमएलसी मुकेश शर्मा, पूर्व आईएस दिवाकर त्रिपाठी प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

शपथ ग्रहण के बाद महापौर ने जनता का आभार भी जताया। उन्होंने बताया कि पिछले तीस साल में उन्होंने शहर को बहुत करीब से देखा है। उन्होंने इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजेपई को याद किया। लखनऊ से उनका कितना लगाव था यह बताया। कहा कि देश का पूरा विश्व लखनऊ को अटल और अटल को लखनऊ के नाम पर जनता है। इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए संसदीय कार्य और वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने जोर देकर कहा कि नगर निगम का जो विस्तारित इलाका है उसके विकास में बजट की कमी नहीं होने दी जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी दोनों का शहरीकरण पर जोर है। ऐसे में नगर निगम विकास के जो प्रोजेक्ट देगा उसको पास करने में सरकार देर नहीं करेगी।

उन्होंने का हिंदुस्तान का कोई महापौर दो लाख वोटों से नहीं जीता है। यह गर्व की बात है लेकिन यह महापौर और पार्षद सबकी जिम्मेदारी भी है कि इस इस शहर को जन्नत का रूप दें। इससे जुड़ा एक गीतकार गीत ऐ शहरे लखनऊ.... की चंद लाइनें भी सुनाई। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी योजना में शहर हैं। नई योजनाएं भी फलीभूत हुई हैं लेकिन नई टीम से उनका कहना है कि जितनी ज्यादा निगरानी होगी उतना अच्छा परिणाम आएगा। लखनऊ को में जब कोई बाहर से आता है तो वह इसे एक मॉडल सिटी के रूप में देखना चाहता है। इसका मतलब कि यहां पर सभी जनसुविधाएं और बुनियादी जरूरतें होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सीवर और जाम शहर की बड़ी समस्या है। इसका योजना बनाकर निराकरण करना होगा। चौराहोंं पर अतिक्रमण हटाना होगा और लोगों को समझाना भी होगा। लोगों को समय से सुविधा दी जाए। समय पर सुविधा मिलेगी तो आपके प्रति लोगों का विश्वास बढ़ेगा। अगले साल 2024 में हमारी परीक्षा होगी। जनता पूछेगी जरूर। अब हमें तय करना है कि जनता को बात से संतुष्ट करेंगे कि काम से करेंगे।

सुषमा को मिलेगी खजाने की चाबी : उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि लखनऊ पूरे प्रदेश का चेहरा है। इसे स्मार्ट सिटी बनाने का काम हो रहा है। इसके लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। इसके लिए प्रदेश सरकार वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के माध्यम से खजाने की चाबी सुषम खर्कवाल को सौंपेगी। लखनऊ को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने का काम हो रहा है। शहर में बन रही 105 किमी की आउटर रिंग रोड शहर को वर्ल्ड क्लास सिटी बना देगी। शहर को स्वच्छता में नंबर बनाने का काम करना है। इसके लिए सबको आज से ही जुटना होगा। इस मौके पर उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पता है कि पार्षदों पर बहुत दबाव होता है। जितना काम वह करते हैं उतना काम बड़े से बड़ा नेता नहीं कर सकता।

नई महापौर ने शपथ ग्रहण करने के बाद पूर्व महापौर संयुक्ता भाटिया के पैर छूकर आशीर्वाद लिया और उनके गली भी लगीं। पूर्व महापौर ने भी गर्मजोशी से गले लगाया और अशीर्वाद दिया। नई महापौर ने उनको दीदी कहकर सम्बोधित किया।

छोटा पड़ गया जूपिटर हाल : जैसी आशंका थी ठीक वैसा ही हुआ। शपथ ग्रहण समारोह में आए मेहमानों के लिए इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान का जूपिटर हाल छोटा पड़ गया। एक हजार से अधिक लोगों को सीट ही नहीं मिल पाई। नगर निगम की ओर से 2000 कार्ड बांटे गए थे मगर मेहमान तीन हजार से अधिक पहुंचे। हालत यह रही कि जो नाए पार्षद शपथ ग्रहण से आधा घंटा पहले पहुंचे उनको बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं मिली। इतना नहीं उनको सभागार के अंदर जाने के लिए भी धक्का-मुक्की करनी पड़ी।

आयोजन को इकोफ्रेंडली बनाने के लिए प्लास्टिक और पॉलिथीन का उपयोग नहीं किया गया। पार्षदों को जूट के बने फोल्डर दिए गए और कपड़े से बना झोला नगर निगम अधिनियम रखने के लिए दिया गया। स्वागत में मेहमानों को तुलसी के पौधे भेंट किए गए।