संयुक्त किसान मोर्चा ने तैयार किया आंदोलन का प्रारूप, 85 लोगों की टीम गठित, 27 सितंबर को ऐतिहासिक होगा भारत बंद
संयुक्त किसान मोर्चा नौ सदस्यी कमिटी के सदस्य अशोक धवले ने बताया कि दो दिन से लखनऊ में 85 किसान संगठनों ने बैठक किया। इसमें तय किया गया है कि पूरे प्रदेश में बीजेपी का विरोध किया जाएगा। इसके अलावा पहले से तय 27 सितंबर के भारत बंद को सफल बनाने के लिए भी लगातार कार्यक्रम किए जाएंगे।
किसान आंदोलन से जुड़े लोग उप्र में बीजेपी के हर कार्यक्रम का विरोध करेंगे। यहां तक की जिले से लेकर गांव तक उनके नेताओं को काला झंडा दिखाने और कार्यक्रम रोकने का अभियान चलाया जाएगा। शुक्रवार को प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से यह बयान जारी किया गया।
संयुक्त किसान मोर्चा नौ सदस्यी कमिटी के सदस्य अशोक धवले ने बताया कि दो दिन से लखनऊ में 85 किसान संगठनों ने बैठक किया। इसमें तय किया गया है कि पूरे प्रदेश में बीजेपी का विरोध किया जाएगा। इसके अलावा पहले से तय 27 सितंबर के भारत बंद को सफल बनाने के लिए भी लगातार कार्यक्रम किए जाएंगे। इसी क्रम में 17 सितंबर को जिला, तहसील और गांव स्तर पर सभाएं , धरना और मशाल जुलूस तक निकालने का कार्यक्रम तय हुआ है।
मुजफ्फरनगर में इतिहास की सबसे बड़ी रैली : मुजफ्फरनगर की रैली का जिक्र करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि यह किसान आंदोलन के इतिहास की सबसे बड़ी रैली थी। इसमें करीब 15 लाख लोग आए थे। जरूरत पड़ी तो ऐसी ही रैली प्रदेश के सभी जिलों में की जाएगी। अशोक धवले ने बताया कि 2 दिनों तक करीब 250 किसान नेताओ ने मिशन उत्तर प्रदेश और मिशन उत्तराखंड तय किया। इसमें दोनों जगहों पर बीजेपी को सत्ता से बाहर करने की कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि जब तक तीनो कृषि कानून को रद्द नहीं किया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
पहले से भी कम दर पर एमएसपी खरीद : किसान मोर्चा ने आरोप लगाया है कि इस बार मोदी सरकार ने पिछली बार से कम दर पर अनाज खरीदा। इसके लिए उन लोगों ने प्रतिशत के हिसाब से दलील थी। बताया कि पहले जहां 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती थी वह अब तीन फीसदी से कम रह गया है। किसान मोर्चा ने तय किया है कि उत्तर प्रदेश में कहीं जाति और धर्म का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
चार साल में महज दस रुपए की बढ़ोतरी : आंदोलन के लोगों ने आरोप लगाया है कि गन्ना का रेट चार साल में महज 10 रुपए बढ़ा है। पंजाब में गन्ना रेट 360 रुपए प्रति क्विंटल है। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में हजारों किसानों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराया गया है। आवारा पशुओं का प्रकोप बढ़ गया, सबसे ज्यादा फसलों की बर्बादी हो रही है। पराली जलाने पर किसानों से लाखों रुपया जुर्माना जमा कराया गया है। जबकि मुख्यमंत्री कहते हैं कोई जुर्माना नहीं लिया जा रहा है। वह झूठ बोलते हैं। उत्तर प्रदेश में किसानों को यूरिया खाद नहीं मिल रहा है। हम लखनऊ में भी मुजफ्फरनगर इतना बड़ा कार्यक्रम करने पर विचार कर सकते हैं।
ऐतिहासिक होगा भारत बंद : यूपी किसान सभा के सचिव मुकुट सिंह का दावा है कि 27 सितंबर को लेकर सभी संगठन जिलों में तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस बार भारत बंद के दौरान सबकुछ बंद रहेगा। पिछली बार से कई गुना बड़ा आंदोलन होगा। इस संदर्भ में श्रम संगठन, कर्मचारी संगठन, छात्र, नौजवान औेर महिला संगठनों से भी बात चल रही है। ज्यादातर लोगों ने समर्थन देने का आश्वासन भी दिया है। ऐसे में बंदी ऐतिहासिक होने वाली है। किसान दिल्ली बॉर्डर पर करीब 9 महीने से धरना दे हैं।
26 मार्च को किया था भारत बंद : इससे पहले किसानों ने 26 मार्च को भारत बंद किया था। उनके इस बंदी को श्रम संगठनों ने भी समर्थन दिया था और काम नहीं किया था। यहां तक की डाक, बीएसएनएल, जीवन बीमा निगम, पोस्टल यूनियन के साथ उप्र में बिजली संगठनों ने हड़ताल में साथ दिया था। अब छह महीने बाद एक बार फिर किसान भारत बंद कर अपनी ताकत दिखाने में लगे हैं।