नौकरी से निकाला गया तो बन गया जालसाज:लखनऊ में वन विभाग में नौकरी का झांसा देकर करोड़ों की ठगी कर चुके तीन शातिर गिरफ्तार, यूपी एसटीएफ ने की कार्रवाई
कुछ दिन पहले इस गैंग ने सीतापुर निवासी रामगोपाल तिवारी से उनके बेटे और रिश्तेदारों की वन विभाग में नौकरी लगवाने के नाम पर 36 लाख रुपये ठगे थे। इसका मुकदमा हजरतगंज कोतवाली में दर्ज किया गया था। इसके बाद एसटीएफ मामले की जांच में जुटी थी। शनिवार को तीनों को इंदिरानगर सेक्टर सी के एक मकान से गिरफ्तार किया गया।
वन विभाग में नौकरी का झांसा देकर प्रदेश के बेरोजगारों से करोड़ों रुपयों की ठगी कर चुके तीन जालसाजों को यूपी एफटीएफ की टीम ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। इनके पास से भारी मात्रा में भर्तियों से जुड़े फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं। गिरोह का सरगना तीन साल पहले वन विभाग में संविदा पर नौकरी करता था। नौकरी से निकाले जाने के बाद उसने गिरोह बनाकर बेरोजगारों को ठगना शुरू कर दिया।
एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि शिवम मेहरोत्रा निवासी मोहल्ला बेहटी लहरपुर थाना लहरपुर सीतापुर, आनन्द कुमार सिंह निवासी ग्राम मुरारपुर शाहपुर थाना रामसनेही घाट बाराबंकी और परीक्षित पाण्डेय निवासी ग्राम भदोही थाना मालीपुर अम्बेडकरनगर को गिरफ्तार किया गया है।
कुछ दिन पहले इस गैंग ने सीतापुर निवासी रामगोपाल तिवारी से उनके बेटे और रिश्तेदारों की वन विभाग में नौकरी लगवाने के नाम पर 36 लाख रुपये ठगे थे। इसका मुकदमा हजरतगंज कोतवाली में दर्ज किया गया था। इसके बाद एसटीएफ मामले की जांच में जुटी थी। शनिवार को तीनों को इंदिरानगर सेक्टर सी के एक मकान से गिरफ्तार किया गया।
नौकरी के दौरान चुराए नियुक्ति पत्र की कॉपी कर कर रहा था जालसाजी : पूछताछ में शिवम मेहरोत्रा ने बताया कि 2017 में पलिया रेंज वन विभाग आफिस मे मेरी नियुक्ति संविदा पर कम्प्यूटर आपरेटर के पद पर हुई थी। 2017 में ही पलिया रेंज में फारेस्ट गार्ड की भर्ती हुई थी जिनके नियुक्ति पत्र जारी हुए थे। उनकी एक प्रति मैने चुराकर अपने पास रख ली थी। 2018 में कम्प्यूटर आपरेटर की नौकरी से निकाल दिया गया था। इसके बाद नौकरी की तलाश मे में लखनऊ आ गया।
लखनऊ के कैसरबाग स्थित क्वीक मैनपावर कन्सेलटेंसी के आफिस मे मेरी मुलाकात अरविंद यादव से हुई। वह भी नौकरी की तलाश कर रहा था। कई महीनों तक नौकरी न मिलने पर मैने अरविन्द के साथ मिलकर प्लान बनाया कि वन विभाग का नियुक्ति पत्र और कुछ आदेश मेरे पास हैं। जिनसे मिलते जुलते हम लोग भी आदेश बनाकर वन विभाग मे भर्ती निकाल कर कूटरचित नियुक्ति पत्र जारी कर लोगों को ठग सकते हैं।
उसी समय तय हुआ कि दरोगा पद के लिए 3 लाख रूपये वन रक्षक व वनपाल के लिए 1.5 लाख रूपये लेंगें। इसके बाद अरविन्द ने मेरी मुलकात आनन्द सिंह, परीक्षित पाण्डेय, देवेन्द्र पाण्डेय व विजय सिंह से करायी। सभी ने मिलकर गिरोह बनाया और 2018 से अब तक हम लोगों ने 35-40 लोगों को फर्जी नियुक्ति पत्र देकर लगभग 1 करोड़ रूपये की ठगी की है।
कंजरवेटर बनकर करता था कैंडिडेट से बात : शिवम ने बताया कि मै नियुक्ति पत्र व परिचय पत्र बना लेता था। इन पर अलग अलग रेंज के अनुसार अरविन्द यादव आनन्द सिंह, परीक्षित पाण्डेय, देवेन्द्र पाण्डेय व विजय सिंह हस्ताक्षर बनाकर कन्डीडेटों को देकर पद के अनुसार 1.5 लाख से 3 लाख तक लेते थे। जिसके माध्यम से कन्डीडेट आता था उससे और मेरे बीच रूपये आधा-आधा बांट लिया जाता था। मुझे लोगों को कन्डीडेट से कन्जरवेटर बताकर परिचित कराते थे।
जिससे लोग विश्वास करके भर्ती होने को तैयार हो जाते थे। राम गोपाल तिवारी के पुत्र व रिश्तेदारों से हम लोगों ने लगभग 36 लाख रुपये लिए थे। रामगोपाल की तरफ से केस दर्ज कराए जाने की जानकारी होने पर हम लोग सारा दस्तावेज नष्ट करने के लिए मीटिंग कर रहे थे तभी एसटीएफ ने पकड़ लिया। एडीजी ने बताया कि फरार सदस्यों की तलाश की जा रही है।