जेल में रिटायरकर्मी कर रहा फिक्स रेट पर काम , जेल अफसरों को नहीं शासन-सत्ता का कोई खौफ
विभाग में दस-पंद्रह साल से जमें कर्मियों के नहीं होते तबादले, तबादला होने वाले रिलीव होने के बजाए उन्ही जेलों पर हो जाते अटैच
लखनऊ। प्रदेश कारागार विभाग के अधिकारियों के शासन व सत्ता का कोई भय ही नही है। विभागीय अधिकारी जेलो को सेवा नियमावली की शर्तों से नहीं अपनी मर्जी से संचालित कर रहे है। आलम यह है कि इस विभाग में रिटायर होने के बाद भी कई कर्मचारी फिक्स वेतन पर आज भी अपनी सेवाएं दे रहे है। यही नही कई जेलकर्मी व बाबू तो तबादला होने के बाद भी रिलीव तक नहीं किये गए है। विभाग में एक डिप्टी जेलर तो बगैर किसी आदेश के ही बतौर जेलर काम करने लगा था। यह अलग बात है कि मामला सुर्खियों में आने के बाद मुख्यालय के अधिकारियों ने खामी को छिपाने के लिए उसको उसी जेल पर तैनात कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि रिटायर कर्मी से काम करने का मामला पश्चिम की कमाऊ कही जाने वाली अलीगढ़ जेल का है। अलीगढ़ जेल पर तैनात अकाउंटेंट अनिल शर्मा करीब एक साल पहले रिटायर हो गया है। रिटायर होने के बाद भी यह अकॉउंटेंट आज भी जेल पर काम कर रहा है। काम के एवज में जेल प्रशासन के अधिकारी इसे फिक्स अमाउंट (मोटी धनराशि) दे रहे है। कैंटीन से प्रतिदिन होने वाली करीब 75 हज़ार रुपये की कमाई से रिटायर अकाउंटेंट को प्रतिमाह एक फिक्स अमाउंट दिया जाता है।
इसके अलावा गल्ला गोदाम में आने वाले खाद्यान का कमीशन इसकी अतिरिक्त कमाई का जरिया बना हुआ है। यही नही इस जेल पर तैनात वार्डर अरुण, नितिन, महिला हेड वार्डर लवली व लता का दो साल पूर्व तबादला हुआ था। इन्हें रिलीव करने के बजाए अफसरों ने मोटी रकम लेकर विभिन्न जेलो से पुनः इसी जेल पर सम्बद्ध कर दिया गया। इसके अलावा गोरखपुर जेल पर तैनात वरिष्ठ सहायक कृष्ण कुमार पांडे पिछले काफी लंबे समय से इसी जेल पर जमे हुए है। कहने को तो इनका कई बार तबादला हुआ किन्तु जुगाड़ व धनबल की वजह से अधिकारी इन्हें हटा नही पाए। हाल ही में इनका तबादला गोरखपुर से गोंडा किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि आज तक इन्हें रिलीव ही नही किया गया।
इसी प्रकार आगरा जेल परिक्षेत्र कार्यालय में बीते करीब जमीं रंजना कमलेश के साथ मथुरा जेल में बन्दियों को दी जाने वाली रोटियों को सुखाकर बेचने के लिए सुर्खियों में रहने वाले चूड़ामणि तिवारी पिछले बारह साल से जमे है। इनका तबादला ही नही किया जाता है। मथुरा जेल पर तैनात बड़े बाबू वीरपाल का पिछले दिनों तबादला किया गया लेकिन आज तक इन्हें रिलीव नही किया गया है। बताया गया है कि यह तो बानगी भर है इस प्रकार प्रदेश की जेलों में बड़ी संख्या में बाबू एवम सुरक्षाकर्मी है जिन्हें तबादले के बाद रिलीव ही नही किया गया है। उधर विभाग के मुखिया डीजी पुलिस/आईजी जेल आनंद कुमार का कहना है कि इसकी पड़ताल कराई जाएगी, दोषियों के खिलाफ कार्यवाही व स्थानांतरित कर्मियों की जल्दी रिलीव कराया जाएगा।
डिप्टी जेलर खुद बन गया जेलर… लखनऊ। विभाग के एक जेलर ने तो राजधानी में ही अजब गजब कारनामा दिखा दिया। इस जेलर ने छह माह तक बगैर किसी आदेश के ही डिप्टी जेलर बतौर जेलर काम करता रहा। मामला सुर्खियों में आने के बाद विभाग के आला अफसरों ने खामियों को छिपाने के लिए पहले तो उसकी ड्यूटी उसी जेल पर लगाई। इसके कुछ दिनों बाद ही उसको बतौर जेलर तैनात कर दिया गया। दिलचस्प बात तो यह देखने को मिली कि जिस समय इस अधिकारी की बतौर डिप्टी जेलर ड्यूटी लगाई गई थी उसी तारीख से उसको बतौर जेलर तैनात कर दिया गया। जबकि उस समय वह डिप्टी जेलर था। यह मामला विभागीय अफसरों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। |
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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