प्रदेश में पार्टी का जनाधार बढ़ाने के बजाय कमाई में जुटे पदाधिकारी
-वेतनभोगी पदाधिकारियों से पार होगी कांग्रेस की नैया -अनुभवी दिग्गज कांग्रेस नेताओं को नजरंदाज करना पड़ सकता भारी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी पार्टी का जनाधार बढ़ाने के बजाए कमाई करने में जुटे हुए है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन पार्टी में हालात कुछ ऐसे ही नजर आ रहे है। प्रदेश कांग्रेस के अधिकांश पदाधिकारी वेतनभोगी है। पार्टी हाई कमान से मोटी सैलरी लेने वाले जनाधारहीन पदाधिकारी से कांग्रेस की नैया कैसे पार होगी यह सवाल कांग्रेसियों में ही चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा है कि वेतनभोगी पदाधिकारियों से पार्टी का जनाधार बढ़ने के बजाय गिरता ही जा रहा है। कुछ मठाधीश नेताओ की गुटबाजी से पार्टी की हालत बद से बदतर होती जा रही है।
अविनाश पांडे ने दी पुराने कांग्रेसियों को तरजीह
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने हाशिए पर पड़े पुराने और दिग्गज कांग्रेस नेताओ को तरजीह दी है। उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में चुनावी गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए वॉर रूम स्थापित कराया है। बताया गया है कि इस वॉर रूम में 50 प्रतिशत नए और 50 प्रतिशत पुराने कांग्रेसियों को लगाया गया है। प्रदेश प्रभारी के इस कदम की सराहना की जा रही है। इससे लंबे समय से मुख्यधारा से दूर पुराने दिग्गज कांग्रेस नेताओ की फिर से उम्मीद जग गई है।
प्रदेश में हाशिये पर चल रही कांग्रेस पार्टी का जनाधार बढ़ाने के कांग्रेस हाईकमान जी जान से जुटा हुआ है। प्रदेश के आम जनमानस में पार्टी की छवि को सुधारने के लिए आए दिन नए प्रयोग किए जा रहे है। पार्टी हाईकमान ने प्रयोग के तहत पहले एक प्रांतीय अध्यक्ष के साथ छह प्रांतीय अध्यक्षों की नियुक्ति की। इस प्रयोग के सार्थक परिणाम नहीं मिलने पर पुरानी व्यवस्था को फिर से लागू किया गया। इसके तहत पूर्वांचल के एक कद्दावर नेता को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई है। नए प्रदेश अध्यक्ष की कमेटी के अधिकांश पदाधिकारी वेतनभोगी है। पार्टी से मोटा वेतन लेने वाले यह पदाधिकारी पार्टी का जनाधार बढ़ाने के बजाय चुनाव में खुद ही कमाई करने में जुटे हुए हैं।
नौकरी के साथ मीडिया वाइस चेयरमैन का प्रभार!
प्रदेश कांग्रेस का भी अजब गजब हाल है। राजनीति में परपक्व पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी को मीडिया चेयरमैन पद से हटाकर सपा से कांग्रेस में शामिल हुए सीपी राय को मीडिया चेयरमैन का प्रभार सौंप दिया गया। इन्होंने राजधानी के एक महाविद्यालय में शिक्षक को मीडिया का वाइस चेयरमैन बना दिया। कई पुराने प्रवक्ताओं और पैनलिस्टों को भी दर किनार कर दिया। अब मीडिया चेयरमैन को यह कहना पड़ रहा है कि डिबेट के लिए टीवी चैनल के प्रतिनिधि मीडिया सेंटर से संपर्क करें, अन्य किसी के पक्ष को कांग्रेस का पक्ष नहीं माना जायेगा। इस अव्यवस्था से कांग्रेस मजबूत होने के बजाए कमजोर होती नजर आ रही है।
पार्टी के एक वरिष्ठ दिग्गज नेता कि माने तो वर्तमान समय में पार्टी को जनाधार वाले नेताओं की जरूरत नहीं है। यही वजह है प्रदेश नेतृत्व ने जनाधारहीन नेताओं को संगठन में स्थान दे रखा है। वर्तमान प्रदेश कांग्रेस कमेटी संगठन में उपाध्यक्ष, संगठन मंत्री समेत अन्य तमाम पदाधिकारी वेतनभोगी है। इन पदाधिकारियों को वेतन के नाम पर लाखों रुपए का भुगतान किया जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि इन पदाधिकारियों का आम जनमानस में कोई जनाधार तक नहीं है। इसके बावजूद इन्हें बड़ी बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी गई है। इससे पार्टी का जनाधार बढ़ने के बजाए दिनोदिन घटता जा रहा है। हकीकत यह है कि पार्टी के यह पदाधिकारी जनाधार को बढ़ाए जाने के बजाए खुद को जेब भरने में जुटे हुए हैं। इन पदाधिकारियों के भरोसे कांग्रेस की नैया पार होने की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।