सहारनपुर जेल में बंदियों के शोषण पर लगाम लगाने की पहल

-भ्रष्टाचारी के बजाय भ्रष्टाचार रोकने वाले से जवाब तलब -मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस की जमकर उड़ाई जा रही धज्जियां -अंकुश लगाने वाले जेलर को कारागार मुख्यालय ने किया तलब

सहारनपुर जेल में बंदियों के शोषण पर लगाम लगाने की पहल
सहारनपुर जेल

लखनऊ। प्रदेश के कारागार विभाग मुख्यमंत्री के जीरो टॉलरेंस की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। इस विभाग में भ्रष्टाचार में लिप्त अफसर से पूछताछ करने के बजाय भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने वाले को ही तलब किया जा रहा है। यह मामला विभागीय अफसरों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि विभाग के आला अफसर भ्रष्टाचार के इस गंभीर मामले को अलग-अलग तर्क देकर कार्यवाही करने के बजाय रफादफा करने में जुटे हैं।

मामला पश्चिम की कमाऊं कही जाने वाली सहारनपुर जेल का है। इस जेल की मुखिया (वरिष्ठ अधीक्षक) कमाई की खातिर बंदियों का भरपूर शोषण करने में जुटी हुई हैं। सूत्रों के मुताबिक जेल में बेतहाशा तरीके से राशन की कटौती की जा रही है। मसलन बंदियों को एक कुंतल आटा खिलाने के बजाए सिर्फ 60 किलो आटे से ही काम चलाया जा रहा है। प्रति कुंतल 30 किलो आटा बचाकर मोटी कमाई की जा रही है। इसी प्रकार दालो में 30 से 40 प्रतिशत की खुलेआम कटौती धड़ल्ले से की जा रही है। गल्ला गोदाम से हो रही राशन की कटौती का इस्तेमाल जेल में संचालित कैंटीन में बनने वाले पकवान छोले भटूरे, छोला चावल, ब्रेड पकौड़ा, समोसा, पकौड़ी इत्यादि में किया जा रहा है। इन खाद्य पदार्थों को बाजार से तीन से चार गुना अधिक दामों पर बेचकर मोटी रकम कमाई जा रही है। यह तो बानगी है इस प्रकार मशक्कत, हाता, बैठकी, मुलाकात सरीखे कई मदो में जमकर उगाही की जा रही हैं।

डीआईजी के सामने डिप्टी जेलरों ने की शिकायत

वरिष्ठ अधीक्षक और जेलर के बीच गुटबाजी का आलम यह रहा कि बीते दिनों मेरठ परिक्षेत्र के डीआईजी सुभाष शाक्य जेल का निरीक्षण करने जेल पहुंचे। इस दौरान अधीक्षक ने जेल के तीन डिप्टी जेलर को जेलर की शिकायत के लिए खड़ा कर दिया। शिकायत मिलने पर जब डीआईजी जेल ने जेलर से पूछताछ की तो उन्होंने जेल में बंदियों से उगाही और शोषण किए जाने की बात रखते हुए कहा उन्हें जेल से एक रुपया नहीं चाहिए किंतु बंदियों का शोषण नहीं होना चाहिए।

बताया गया है कि बीते दिनों बंदियों के उत्पीड़न और बढ़ते शोषण को देखते हुए जेलर ने एक सराहनीय कदम उठाया। जेलर ने मातहत सुरक्षाकर्मियों और कैदियों (नंबरदारों) को निर्देश दिया कि बंदियों के राशन में एक ग्राम की कटौती नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने अनाप शनाप तरीके से चल रही कैंटीन को बंद करा दिया। एकाएक हुए इस बदलाव से जेल में हड़कंप मच गया। सूत्रों का कहना है कि जेल अधीक्षक ने इसकी सूचना जेल मुख्यालय को दी। अधीक्षक का आरोप था कि जेलर गुटबाजी कर जेल का माहौल खराब कर रहे हैं। जेल अधीक्षक की सूचना पर मुख्यालय ने जेल में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने वाले जेलर को तलब कर लिया। बताया गया है कि जेलर के लखनऊ जाने से पूर्व राशन का जो स्टॉक मेंटेन कराया था, उसको दो दिन में टेंपो और डाला के माध्यम से इधर उधर करके फिर से जस का तस कर दिया गया। इस संबंध में जब सहारनपुर जेल की वरिष्ठ अधीक्षक अमिता दुबे से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जेलर गुटबाजी कर जेल का माहौल खराब कर रहे थे। वहीं जेलर प्रशांत उपाध्याय का कहना है कि आईजी साहब हमारे गार्जियन है उन्होंने हमें बुलाया हम लखनऊ गए थे। गुटबाजी के सवाल को उन्होंने सिरे से नकारते हुए बताया कि बंदियों के हित में उन्होंने कुछ कदम जरूर उठाए हैं।