1- बावरिया गिरोह का खूंखार हत्यारोपी बन्दी हुआ फरार 2- उरई जेल में जेल सिपाही ने पीएसी जवान पर चलाई गोली
राजधानी की जिला जेल में खुदकुशी का प्रयास करने वाला बन्दी सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर फरार हो गया। वही उरई जेल में जेल के एक सुरक्षाकर्मी ने जेल परिसर में तैनात पीएसी कर्मी को गोली मार दी
लखनऊ। प्रदेश का जेल विभाग गणतंत्र दिवस घटनाओं को लेकर सुर्खियों में रहा। राजधानी की जिला जेल में खुदकुशी का प्रयास करने वाला बन्दी सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर फरार हो गया। वही उरई जेल में जेल के एक सुरक्षाकर्मी ने जेल परिसर में तैनात पीएसी कर्मी को गोली मार दी। पीएसी का सिपाही सतर्कता की वजह से बच गया। घटना से जेल अधिकारियों में हड़कंप मच गया। जिला एवम पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने मौके पर पहुँचकर दोनों पक्षो को समझा बूझाकर किसी तरह मामले को शांत करा दिया।
पहली घटना राजधानी की जिला जेल से जुड़ी हुई है। बीते करीब एक सप्ताह पूर्व जेल में बंद बावरिया गिरोह के हत्यारोपी विचाराधीन बन्दी सत्यवीर सिंह ने जेल प्रशासन की अवैध वसूली व उत्पीड़न से आजिज आकर खुदकुशी करने के लिए अपने आप को घायल कर लिया था। गले को घायल करने वाले बन्दी सत्यवीर को जेल प्रशासन ने उपचार के लिए केजीएमयू में भर्ती कराया। केजीएमयू में भर्ती हरियाणा गुड़गांव के रहने वाला खूंखार हत्यारोपी बन्दी सत्यवीर गणतंत्र दिवस के दिन सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर फरार हो गया।
आदर्श कारागार के बाद लखनऊ जेल का बन्दी हुआ फरार
दूसरी घटना उरई जिला जेल में हुई। इस जेल में जेलर/प्रभारी अधीक्षक के करीबी वार्डर बृजेन्द्र सिंह ने जेल सुरक्षा में तैनात पीएसी के सिपाही पर गोली चला दी। सूत्रों का कहना है पीएसी सिपाही की सतर्कता की वजह से गोली उसको लगने के बजाए बगल से निकल गयी। गोली चलने की इस घटना से जेल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। बताया गया है कि गोली चलाने वाला वार्डर का जेल में सिक्का चलता है। बन्दियों से अवैध वसूली करने एवम पैसा लेकर बन्दियों को सुविधाएं मुहैया कराने की जिम्मेदारी भी इसी वार्डर के हाथों में है। प्रभारी अधीक्षक/जेलर का बेहद करीबी होने की वजह से वार्डर का जेल में दबदबा है। उधर इस सम्बध में जेलर सुमित चौहान से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका फ़ोन नही उठा। लखनऊ जेल के अधिकारियों ने हर बार की तरह इस बार भी फ़ोन उठाना मुनासिब नहीं समझा। जेल मुख्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि घटनाओं के दोषी अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा।
अधीक्षक-जेलर की लापरवाही हुई उजागर लखनऊ। खूंखार हत्यारोपी की फरारी की घटना में लखनऊ जेल अधिकारियों की लापरवाही का सच सामने आ गया। उपचार के लिए जेल के बाहर अस्पताल में भर्ती बन्दी के देखभाल की जिम्मेदारी जेल अधीक्षक व जेलर की होती है। बाहर के अस्पताल में भर्ती बन्दी का हालचाल लेने व चेकिंग की जिम्मेदारी जेल अधीक्षक व जेलर की होती है। ऐसा जेल मैन्युअल में प्रावधान है। इस प्रावधान के बावजूद पिछले पांच-छह दिन से भर्ती इस बन्दी को न तो अधीक्षक देखने गए और न ही जेलर। जेल अफसरों की हीलाहवाली का लाभ उठाकर बन्दी सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर फरार हो गया। इससे पहले भी इन अधिकारियों के कार्यकाल में दो कैदियों की फरारी हो चुकी है। |
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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