लखनऊ के पॉलीटेक्निक फ्लाईओवर से 30 फीट नीचे गिरी कार, 50 मीटर तक हवा में रही थी एसयूवी

लखनऊ के पॉलीटेक्निक फ्लाईओवर से शनिवार रात गिरी एसयूवी की बेकाबू रफ्तार हादसे की वजह बनी। फ्लाईओवर के मोड़ पर चालक रफ्तार कम नहीं कर सका और एसयूवी पलक झपकते ही लगभग 30 फीट नीचे आ गिरी।

लखनऊ के पॉलीटेक्निक फ्लाईओवर से 30 फीट नीचे गिरी कार, 50 मीटर तक हवा में रही थी एसयूवी
लखनऊ के पॉलीटेक्निक फ्लाईओवर से 30 फीट नीचे गिरी कार

लखनऊ के पॉलीटेक्निक फ्लाईओवर से शनिवार रात गिरी एसयूवी की बेकाबू रफ्तार हादसे की वजह बनी। फ्लाईओवर के मोड़ पर चालक रफ्तार कम नहीं कर सका और एसयूवी पलक झपकते ही लगभग 30 फीट नीचे आ गिरी। रविवार को हादसे का एक सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया, जिससे एसयूवी के तेज रफ्तार में होने की पुष्टि हुई। पल भर में तीन जिंदगियां काल के गाल में समा गईं। एक घायल अस्पताल में जिंदगी के लिए जूझ रहा है।

निशातगंज निवासी अमित अपनी कार से शनिवार रात एक शादी समारोह में गए थे। उनके साथ तीन दोस्त हर्ष, राजकुमार और राजीव शुक्ला उर्फ प्रांशु भी थे। देर रात वापसी में पॉलीटेक्निक फ्लाईओवर से मुंशीपुलिया की ओर जाते वक्त एसयूवी अनियंत्रित होकर रेलिंग तोड़ते हुए नीचे जा गिरी थी।

हादसे में राजकुमार, राजीव व अमित की मौत हो गई थी, जबकि हर्ष का इलाज जारी है। पुलिस ने तफ्तीश शुरू की तो एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया, जिसमें एसयूवी ऊपर से नीचे गिरती दिख रही है। पुलिस के मुताबिक बेकाबू रफ्तार हादसे की वजह बनी। मोड़ के पास रफ्तार धीमी नहीं हो सकी, इसलिए एसयूवी सीधे नीचे गिर गई।

जहां से एसयूवी गिरते दिख रही हैं वहां से करीब पचास मीटर दूरी पर एक बिजली का पोल लगा है। एसयूवी फ्लाईओवर की रेलिंग तोड़ते हुए सीधे इसी पोल से टकराई थी। रफ्तार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एसयूवी पचास मीटर तक हवा में रही थी। इसके अलावा फ्लाईओवर पर अंधेरा था। स्ट्रीट लाइटें नहीं जल रहीं थीं। आशंका है कि कार चलाने वाला फ्लाईओवर के मोड़ को समझ नहीं पाया। वहीं एसयूवी अमित की थी, लेकिन उसे राजकुमार चला रहा था। आशंका है कि शायद राजकुमार को इसे चलाने का बहुत अंदाजा नहीं था। वह बस रफ्तार बढ़ाता गया।

40 सेकेंड के सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि पॉलीटेक्निक फ्लाईओवर से नीचे गिरते समय एसयूवी की रफ्तार और बढ़ गई। हादसा रात 12.29 बजे हुआ। जिस वक्त बोलेरो गिर रही थी, उसी वक्त नीचे एक बाइक सवार भी आ गया। एसयूवी गिरते देख उसने अपनी बाइक में ब्रेक लगा दिया। महज दस सेकेंड के अंतर से उसकी जान बच गई।

दरोगा भरत पाठक ने बताया कि वह और सिपाही भरत चौधरी जब मौके पर पहुंचे तो एसयूवी देखकर समझ नहीं आ रहा था कि भीतर के लोगों को बाहर कैसे निकाला जाए। तभी कराहने की आवाज आई। खिड़की के शीशे से हर्ष दिखाई दिया। शीशा तोड़कर किसी तरह उसको बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया।

एसयूवी जब नीचे गिरी थी तो पलट गई थी। पुलिसकर्मी उसको आसानी से पलटकर सीधा नहीं कर पा रहे थे। क्रेन बुलाई और उसको सीधा कराया। चूंकि हर तरफ से एसयूवी पिचक चुकी थी, लिहाजा भीतर फंसे लोगों को निकालना मुश्किल हो रहा था। शीशे तोड़े, कटर से दरवाजे काटे तब जाकर किसी तरह से अमित, राजकुमार व प्रांशु को बाहर निकाल सके। एसयूवी के भीतर खून ही खून था।