दूध जलेबी खाओ, जेल अफसरों की आमदनी बढ़ाओ

घटिया भोजन परोस कर कैंटीन की बिक्री बढ़ाने में जुटे अफसर जेल अफसरों की कमाई का जरिया बनी कैंटीन

दूध जलेबी खाओ, जेल अफसरों की आमदनी बढ़ाओ
जेल मुख्यालय

लखनऊ। प्रदेश की जेलों में जेल अधिकारी कमाई का कोई मौका छोड़ना नहीं चाह रहे हैं। बंदियों को घटिया भोजन परोस कर जेल अधिकारी कैंटीन की कमाई से जेब भरने में जुटे हुए है। आलम यह है कि जेलों में बंदियों को कैंटीन से दूध जलेबी खिलाकर नाश्ते में मिलने वाली खाद्य सामग्री बचाकर प्रतिमाह लाखों रूपये की कमाई करने में जुटे हुए है। दिलचस्प बात यह है कि आईजी जेल को निरीक्षण के दौरान यह सच दिखाई ही नहीं पड़ता है। 

प्रदेश की जेलों में इन दिनों जेल अफसरों ने लूट मचा रखी है। आईजी जेल मीटिंग करने में व्यस्त है वहीं जेल अधिकारी कमाई करने में जुटे हुए हैं। जेलों में बंदियों के राशन में बेतहाशा कटौती की जा रही है। कटौती के इस राशन की खपत जेलों में संचालित कैंटीन में बनने वाली खाद्य सामग्री छोला चावल, छोला भटूरा, ब्रेड पकौड़ा, समोसा, पूड़ी सब्जी, अंडा करी इत्यादि में की जा रही है। कैंटीन में इन वस्तुओं की अनाप शनाप दामों पर बेंच कर जेल अधिकारी और सुरक्षाकर्मी अपनी अपनी जेब भरने में जुटे हुए है।

मनमाने दामों पर बिक रही कैंटीन में खानपान की वस्तुएं

आईजी जेल जेलों में बंदियों को समस्याओं का निस्तारण कराने के बजाए मीटिंग करने में व्यस्त है। बीते दिनों उन्होंने नाक के नीचे की एक जेल का निरीक्षण किया। इस निरीक्षण में उन्हें कोई कमी नहीं मिली। इस जेल की कैंटीन में पनीर की सब्जी 100 रुपए में, आलू पराठा 40 रुपए में दो, अंडा करी 80 रुपए में, छोला सब्जी 70 रुपए में, पूड़ी सब्जी 40 रुपए में, खस्ता 40 रुपए में दो, आलू परवल सब्जी 50 रुपए में, अंडा कीमा 70 रुपए में, वेज बिरयानी 40 रुपए में और सलाद (एक टमाटर, दो प्याज, पांच हरी मिर्च) 50 रुपए में और तीन खीरा 50 रुपए में खुलेआम बेचा जा रहा है। यह तो बानगी है। इस प्रकार तमाम खानपान की वस्तुओं को मनमाने दामों पर बेचकर अधिकारी कमाई करने में जुटे हुए हैं।

सूत्र बताते है कि जेल मैनुअल में बंदियों और कैदियों को नाश्ता, दोपहर और शाम का भोजन दिए जाने का प्रावधान है। इसके लिए प्रतिमाह लाखों रूपये की खरीद फरोख्त की जाती है। नाश्ते में बंदियों को चाय के साथ गुड़, चना, दलिया और एक फल (केला) दिए जाने की व्यवस्था है। सूत्रों की माने तो गरीब बंदियों को छोड़कर कैंटीन में बिकने वाली दही जलेबी खाने वाले बंदी नियमित वितरित होने वाला नाश्ता लेते ही नहीं है। यह बचा हुआ नाश्ता जेल अधिकारियों की कमाई का जरिया बन गया है। अधिकारी बचे हुए नाश्ते की सामग्री को बेचकर अपनी जेब भरने में जुटे हुए हैं। विभाग के आईजी जेल समेत अन्य आला अफसर सब कुछ जानकर अंजान बने हुए है। इस संबंध में जब आईजी जेल पीवी रामाशास्त्री से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन ही नहीं उठा।