DG-CBCID चित्रकूट गैंगरेप-हत्याकांड मामले में तलब : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 10 महीने बाद भी जांच पूरी न करने पर 18 जनवरी को पेश होने का दिया आदेश

यूपी सरकार ने मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप कर 6 हफ्ते में रिपोर्ट मांगी थी। मगर, 10 महीने बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। याची के अधिवक्ता आरपीएल श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि प्रयागराज की विधि विज्ञान प्रयोगशाला की 28 अगस्त, 2021 की रिपोर्ट में शुक्राणु पाए गए हैं। इससे साफ है कि गैंगरेप के बाद हत्या की गई है। नामजद आरोपियों की आज तक गिरफ्तारी तक नहीं की गई है।

DG-CBCID चित्रकूट गैंगरेप-हत्याकांड मामले में तलब : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 10 महीने बाद भी जांच पूरी न करने पर 18 जनवरी को पेश होने का दिया आदेश
चित्रकूट के एक गांव की नाबालिग लड़की से गैंगरेप और हत्या के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है।

चित्रकूट के एक गांव की नाबालिग लड़की से गैंगरेप और हत्या के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने यूपी के DG-CBCID (महानिदेशक सीबीसीआईडी) को 18 जनवरी को सुबह 10 बजे कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। दरअसल, 10 महीने बीतने के बाद भी जांच की फाइनल रिपोर्ट अब तक कोर्ट में पेश नहीं की गई है।

मामला चित्रकूट जिले के बहिलपुरवा थाना क्षेत्र के सेमरदहा गांव का है। यहां रहने वाली 17 साल की लड़की के साथ गैंगरेप कर उसकी हत्या कर दी गई थी। मृतका के पिता शिव विजय ने इस मामले में याचिका दाखिल की थी। इसमें कहा गया है कि घटना 22/23 अगस्त, 2020 की रात की है। उसकी नाबालिग लड़की की हत्या कर शव को सहजन के पेड़ में लटकाया गया था, ताकि आत्महत्या का रूप दिया जा सके। याची के प्रार्थना पत्र को तत्कालीन थानाध्यक्ष बहिलपुरवा जयशंकर सिंह ने फाड़ कर फेंक दिया था। इसके बाद दबाव डाल कर दूसरा प्रार्थना पत्र लिखवाया। इसके बाद पंकज पांडेय ने थाने का चार्ज लिया। उसने भी वही काम किया। वह भी आरोपियों से मिल कर काम करने लगा।

कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ था मुकदमा : शिव विजय ने तब धारा 156(3) के तहत कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए अपर सत्र न्यायाधीश (रेपकेस एवं पॉक्सो एक्ट) चित्रकूट ने 12 अक्टूबर, 2020 को तत्कालीन थानाध्यक्ष बहिलपुरवा पंकज पांडेय को रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया। इसके बाद आरोपी सोनू, लवकुश, लालमन समेत 3 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई। जांच अधिकारी सीओ सदर को बनाया गया। जांच निष्पक्ष नहीं होने पर 16 अप्रैल, 2021 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली ने यूपी सरकार को सीबीसीआईडी से जांच कराने का आदेश दिया।

यूपी सरकार ने 6 हफ्ते में मांगी थी रिपोर्ट : यूपी सरकार ने मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप कर 6 हफ्ते में रिपोर्ट मांगी थी। मगर, 10 महीने बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। याची के अधिवक्ता आरपीएल श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि प्रयागराज की विधि विज्ञान प्रयोगशाला की 28 अगस्त, 2021 की रिपोर्ट में शुक्राणु पाए गए हैं। इससे साफ है कि गैंगरेप के बाद हत्या की गई है। नामजद आरोपियों की आज तक गिरफ्तारी तक नहीं की गई है।

दूसरी ओर, अपर शासकीय अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि नामजद आरोपियों के ब्लड सैंपल लेकर DNA टेस्ट के लिए लखनऊ भेजा गया है। इसलिए कुछ समय दिया जाए। हाईकोर्ट ने इस मामले में 17 जनवरी को सुनवाई करने का निर्देश दिया था। सोमवार को फिर जांच पूरी न कर सकने पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है।