लखनऊ में 'दिव्य उत्सव 2024 (सीजन-2)' का भव्य आयोजन
लखनऊ में 8 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में 'दिव्य उत्सव 2024 (सीजन-2)' का आयोजन किया गया। संस्कृति विभाग और दिव्य स्नेह फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में लोकगीत-नृत्य की आकर्षक प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया। अनिल कश्यप के मंत्रोच्चार से आरंभ हुए इस आयोजन में मुख्य अतिथि राज्यमंत्री सुरेश राही उपस्थित रहे। स्वतंत्र काले, डॉ. अमित सक्सेना, और पर्णिका श्रीवास्तव को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन लोकगायिका नम्रता के गीत से हुआ।
लखनऊ। संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश एवं दिव्य स्नेह फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में 'दिव्य उत्सव 2024 (सीजन-2)' का आयोजन 8 नवंबर 2024, शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया। यह कार्यक्रम दोपहर 2 बजे से शाम 8 बजे तक चला। मंच संचालन नम्रता अनिल ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ अनिल कश्यप ने मंत्रोच्चार और दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया। दीप प्रज्ज्वलन में उपाध्यक्ष अतुल श्रीवास्तव, राजरानी गुप्ता, शिखा श्रीवास्तव, दिव्यश्री, श्यामू, प्रखर और अन्य सदस्यों ने सहभागिता की। मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री (कारागार) माननीय सुरेश राही उपस्थित रहे, जबकि अतिविशिष्ट अतिथि संस्कार भारती (अवध प्रांत) के अध्यक्ष श्री सीताराम कश्यप और लोक निर्माण विभाग की मुख्य वास्तुविद श्रीमती सबीना सिंह मौजूद रहीं।
इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। दिव्य रत्न अवार्ड (कला) से श्री स्वतंत्र काले को, दिव्य रत्न अवार्ड (समाजसेवा) से 'पैडमैन' डॉ. अमित सक्सेना को, और दिव्यश्री बालरत्न अवार्ड से पर्णिका श्रीवास्तव को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के आरंभ में साधना मिश्रा ने मोरे राजा छतरिया लगाओ, सईया जाने दे नैहरवां अर्पणा सिंह लोकगीत प्रस्तुत किये। दिव्य स्नेह फाउंडेशन की ब्रांड एंबेसडर दिव्यश्री के गीत "मैंने कहा फूलों से" से हुआ। इसके बाद बीट्स ऑफ अवध (सीजन-2) के विजेताओं और श्रीआर्ट्स क्लब के कलाकारों ने एक से बढ़कर एक गीत प्रस्तुत किए। लोकगायिका नम्रता के निर्देशन में आयोजित 12 दिवसीय लोकगीत और लोकनृत्य कार्यशाला के गीतों की शानदार प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया। "पावन धरती लेकर कलश धराऊ", "गणपति महक गयो", "तुलसिया का चौरा मोरे आंगना" जैसे लोकगीतों पर लोकनृत्य ने समां बांध दिया।
कलाकारों में सुधीर श्रीवास्तव, माही सिन्हा, चंदन कुमार, सुभाष श्रीवास्तव, विवेक रावत, एम.ए. खान, रश्मि सिंह, और अन्य ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। ईशा श्रीवास्तव व ग्रुप ने "मोरे राजा छतरिया लगाओ" और "तुलसिया का चौरा" पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। आयुष कुमार और उनके दल ने "राम राजा बने" और "सइयां जाने दे नैहरवा" लोकगीतों का सजीव मंचन किया।
कार्यक्रम में शक्ति स्वरूपा ने "पिया तोसे नैना लागे रे" पर मनोहारी नृत्य प्रस्तुत किया, जबकि अनिल कश्यप ने "भारत के नौजवानों" गीत गाकर युवाओं को प्रेरित किया। बाल कलाकार और ब्रांड एंबेसडर दिव्यश्री ने "रेलिया बैरन" गाकर समां बांधा। अंत में, लोकगायिका नम्रता ने "सइयां मिले लरकइया" गाकर कार्यक्रम का समापन किया।
मुख्य अतिथि, अतिविशिष्ट अतिथि, गेस्ट ऑफ ऑनर और सभी कलाकारों को सर्टिफिकेट और स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। कार्यक्रम ने लोक संस्कृति को पुनर्जीवित करने और कला प्रेमियों को एक यादगार शाम देने का कार्य सफलतापूर्वक किया।