गोरखपुर में साइबर ठगों का आतंक : छोटी-छोटी रकम जमा करने में लगे थे 4 साल, 7 मिनट में उड़ा दिए 40 हजार; पुलिस ने कराए वापस

एसपी क्राइम महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि साइबर ठगी के मामले में जितनी जल्द आप शिकायत करते है, उनती ही जल्द रिकवरी की संभावना होती है। देर से शिकायत करने पर पैसे की वापसी में काफी परेशानी होती है।

गोरखपुर में साइबर ठगों का आतंक : छोटी-छोटी रकम जमा करने में लगे थे 4 साल, 7 मिनट में उड़ा दिए 40 हजार; पुलिस ने कराए वापस
एक छोटी सी रकम जमा करने में लगे 4 साल, 7 मिनट में उड़ाए 40 हजार

गोरखपुर में इन दिनों साइबर ठगों का आंतक लगातार जारी है। 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक बचत करके चार साल में 40 हजार रुपए बैंक में जमा किया। और साइबर अपराधियों ने 7 मिनट में पूरा बैंक खाता खाली कर दिया। बैंक, पुलिस सहित स्थानीय अधिकारियों के कई बार चक्कर लगाए। लेकिन, पैसे की वापसी की उम्मीद खत्म हो गई। ये वाक्या हुआ है गोरखपुर के ग्रामीण क्षेत्र के रहने वाले हरिवंश के साथ। कुछ इसी तरह का मामला स्नेहल के साथ भी हुआ। लोगों ने जरूरत की काम के लिए बैंक से एक हजार रुपए निकाला और खाते से ग्यारह हजार रुपए से अधिक गायब हो गया। जब, पैसे मिलने की चाहत छोड़ दी। तो, साइबर सेल अचानक ही फ्रांड के जरिए ठगी किए गए, पैसे के रिकवरी की जानकारी दी। नेहा, हरिवंश जैसे ही 145 ऐसे लोगों को पैसे वापस मिले। जिनकी उम्मीद खत्म हो चुकी थी। कुछ खुश, तो कुछ इतना खुश दिखाई दिए, कि उनके चेहरे आंसूओं से भीग गए।

एसपी क्राइम महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि साइबर ठगी के मामले में जितनी जल्द आप शिकायत करते है, उनती ही जल्द रिकवरी की संभावना होती है। देर से शिकायत करने पर पैसे की वापसी में काफी परेशानी होती है। उनका कहना है कि शिकायत के बाद स्थानीय पुलिस के साथ ही साइबर एक्सपर्ट सक्रिय हो जाते हैं। जिसके बाद सीसीटीवी फुटेज, बैंक खाते की डिटेल सहित अन्य माध्यमों पर निगाह रखी जाती है। जिससे आसानी से क्रिमिनल तक पहुंचा जाता है। हालांकि, उन्होंने साइबर फ्रांड से बचने के लिए सचेत रहने के साथ ही गोपनीयता बरतने की सलाह दी।

145 लोगों के 34 लाख रुपए हुए वापस : 11 महीने के अंदर 147 लोगों से लगभग 34 लाख रुपए ठगी की गई पैसे की वापसी हुई है। जिसके रिकवरी में साइबर सेल को 7 दिनों से लेकर 3 महीने का वक्त लगा है। कागजी कार्रवाई के बाद सभी को उनके खाते में पैसे की वापसी की गई है। जिससे रकम सही सलामत उन सभी लोगों तक पहुंच सके।

केस-1 - गोरखपुर शहर के शिवशंकर लाल गुप्ता ने बीमारी के इलाज के लिए बैंक से कर्ज लिया था। आपरेशन होने से पहले साइबर क्रिमिनल ने फ्रांड करके 40 हजार रुपए निकाल लिए। मजबूरन आपरेशन टालने के साथ ही दवा भी बंद करनी पड़ी। नतीजा, इलाज के अभाव में बिस्तर पकड़ लिया और बैंक से लोन रिकवरी का भी दबाव आने लगा। हालाकि, लोगों के मदद से इलाज तो हो गया, लेकिन पैसे की ठगी से मानसिक तनाव का शिकार हो गए

केस-2 - गुलरिहा के कौम कौशल आफताब ने ऑटो बेचकर खाते में 91 हजार रुपये रखे थे। जालसाजों ने ओटीपी पूछकर रकम निकाल लिया। उन्होने आस ही छोड़ दी थी। अचानक गुरुवार को साइबर सेल बुलाया गया और रकम उन्हें दिया गया।