अभ्यर्थियों के दो सवाल और दो मांगों को लेकर धरना 85 वें दिन जारी : 27 सितंबर को लड़ेंगे आर- पार की लड़ाई, 12 जुलाई को पहुंचे थे मुख्यमंत्री आवास
27 सितंबर तक मांग पूरी नहीं होने पर प्रदर्शनकारियों ने विधानसभा घेराव की चेतावनी जारी की है। अभ्यर्थियों का कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग की अनदेखी की वजह से भर्तियां नहीं हो पा रही हैं। हम बीते कई महीनों से मंत्री से मुख्यमंत्री तक को मांग पत्र दे चुके हैं। लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। थक हारकर हमें मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ रहा है।
पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट लागू कर आरक्षण व्यवस्था ठीक से लागू करने की मांग को लेकर ओबीसी और एसी अभ्यर्थियों का धरना 85 वें दिन भी जारी रहा। दो दिन हो रही भारी बारिश के बाद भी प्रदर्शनकारी ईको गॉर्डन छोड़ने का नाम नहीं ले रहे हैं। इस दौरान अभ्यर्थियों ने बताया कि यहां संख्या कम कर आंदोलन में शामिल लोगों को जिलों में भेज दिया गया है।
इसमें सरकार ने 26 सितंबर तक हमारी मांग पूरी नहीं कि तो बड़ी संख्या में विधान सभा का घेराव किया जा सकेगा। आंदोलनकारी जिलों में इसको लेकर अभियान चला रहे हैं। इसमें लोगों को बताया जा रहा है कि किस तरह राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट को भी शासन में बैठे आला अधिकारी खारिज करने में लगे हैं। ओबीसी एससी संगठित मोर्चा के विजय यादव ने बताया ओबीसी और एसी वर्ग की करीब 20 हजार सीट दूसरे समुदाय के लोगों को दे दी गई है। इसकी वजह से वह लोग नौकरी से वंचित हैं। प्रदर्शनकारी ओबीसी में 27 फीसदी और एससी में 21 फीसदी आरक्षण व्यवस्था लागू करने की मांग कर रहे हैं।
इस दौरान 27 सितंबर तक मांग पूरी नहीं होने पर प्रदर्शनकारियों ने विधानसभा घेराव की चेतावनी जारी की है। अभ्यर्थियों का कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग की अनदेखी की वजह से भर्तियां नहीं हो पा रही हैं। हम बीते कई महीनों से मंत्री से मुख्यमंत्री तक को मांग पत्र दे चुके हैं। लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। थक हारकर हमें मजबूरन सड़क पर उतरना पड़ रहा है। हम तब तक प्रदर्शन करेंगे। जब तक हमारी मांगों को मान नहीं लिया जाएगा।
12 जुलाई को पहुंचे थे मुख्यमंत्री आवास : इससे पहले सभी अभ्यर्थी 12 जुलाई को अचानक मुख्यमंत्री योगी आदित्यना के आवास पर पहुंच गए थें। सैकड़ों की संख्या में पहुंचे अभ्यर्थियों को देखकर पुलिस के हाथ पांव फूल गए थे। आनन-फानन में पुलिस ने सभी को हटाया था। दर्शनकारियों में वह लोग ज्यादा थे, जो भर्ती प्रक्रिया में शामिल भी नहीं हुए। बावजूद इसके वे प्रक्रिया में धांधली का आरोप और नए पदों पर भर्ती की मांग कर रहे थे। आरोप है कि प्रदेश में शिक्षकों के रिक्त पदों की संख्या बहुत ज्यादा है।
अभ्यर्थियों के दो सवाल
- 69000 शिक्षक भर्ती में ओबीसी को 27 प्रतिशत के स्थान पर उनके कोटे में 3.86 प्रतिशत आरक्षण क्यों?
- भर्ती में दलित वर्ग को 21 प्रतिशत के स्थान पर उनके कोटे में 16.6 प्रतिशत आरक्षण क्यों?
अभ्यर्थियों की दो मांगे
- आरक्षण नियमावली बेसिक शिक्षा विभाग उप्र 1994 का सही ढंग से पालन न होने की वजह से 20000 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गए।
- संविधान से मिले आरक्षण के अधिकार 27 प्रतिशत और 21 प्रतिशत को पूरी तरह से लागू किया जाए।