प्रमुख सचिव से पंगा लेने का खामियाजा भुगत रहे डीआईजी जेल!

बौखलाए अफसर ने जेल परिक्षेत्र के बजाए सौंप दिया जेटीएस का प्रभार प्रदेश के कई जेल परिक्षेत्र संभाल रहे आईपीएस, कई अभी भी खाली जटिल कार्यप्रणाली होने से प्रभावित हो रहा जेलकर्मियों का कार्य

प्रमुख सचिव से पंगा लेने का खामियाजा भुगत रहे डीआईजी जेल!

लखनऊ। प्रदेश कारागार विभाग के भी अजब गजब कारनामे सामने आ रहे हैं। इस विभाग में विभाग के डीआईजी की जिम्मेदारी आईपीएस संभाल रहे हैं। विभागीय डीआईजी जेल बजाय अन्य काम लिया जा रहा है। माना जा रहा है कि प्रमुख सचिव कारागार की शिकायत करना विभागीय डीआईजी जेल को भारी पड़ गया है। यही वजह है कि उन्हें जेल परिक्षेत्र के बजाए जेल प्रशिक्षण संस्थान (जेटीएस) का प्रभार सौंप दिया गया है। विभाग की कार्यप्रणाली काफी जटिल होने से जेल सुरक्षाकर्मियों के तमाम कार्य प्रभावित हो रहे है।

मामला विभाग के उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) से जुड़ा हुआ है। शासन ने जेल विभाग में डीआईजी की संख्या कम होने की वजह से शासन ने जेल विभाग में चार आईपीएस हेमंत कुटियाल, राजेश श्रीवास्तव, सुभाष शाक्य और शिवहरि मीना को बतौर डीआईजी तैनात किया। हाल ही में शिवहरि मीना का तबादला हो गया। इनके स्थान पर किशोर कुंतल को तैनात किया गया है। चार आईपीएस अधिकारियों को जेल परिक्षेत्र व मुख्यालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

प्रदेश के कारागार विभाग में वर्तमान समय में सिर्फ तीन विभागीय डीआईजी हैं। अरविंद कुमार सिंह को जेल मुख्यालय के साथ लखनऊ के साथ गोरखपुर परिक्षेत्र की जिम्मेदारी सौंप रखी गई है। आरएन पांडे को आगरा परिक्षेत्र का प्रभार सौंपा गया है। शैलेंद्र कुमार मैत्रेय को जेल परिक्षेत्र के बजाय कारागार प्रशिक्षण संस्थान (जेटीएस) का प्रभार दिया गया है। ऐसा तब किया गया है जब कई जेल परिक्षेत्र में डीआईजी तैनात नहीं हैं।

दस्तावेजों को नजरंदाज करने की हुई थी शिकायत

बीते वर्ष 28 फरवरी 2023 को प्रयागराज जेल परिक्षेत्र में तैनात डीआईजी शैलेंद्र कुमार मैत्रेय को शासन ने पदावनत किये जाने का आदेश जारी किया। दस्तावेजों की ठीक ढंग से पड़ताल किए बगैर जारी किए गए इस आदेश के विरुद्ध वह न्यायालय की शरण में गए। न्यायालय ने प्रकरण की सुनवाई करने के बाद पदावनत किए गए डीआईजी जेल के आदेश पर अग्रिम आदेश तक के लिए रोक लगा दी। पदावनत की कार्यवाही में दस्तावेजों को नजरंदाज किए जाने को लेकर आला अफसरों की शिकायत हुई थी।



विभागीय डीआईजी को परिक्षेत्र का प्रभार नहीं सौंपे जाने को लेकर विभाग के अधिकारियों और कर्मियों में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है कि विभाग के प्रमुख सचिव के खिलाफ लगातार शिकायतें करने की वजह से विभागीय डीआईजी को हाशिए पर रखा गया है। प्रमुख सचिव के खिलाफ की गई शिकायत का खामियाजा विभागीय डीआईजी को भुगतना पड़ रहा है।
<span;>जानकारों का कहना है कि जेल विभाग की कार्यप्रणाली काफी जटिल है। विभागीय डीआईजी जिस काम को आसानी से निपटा लेते है, उन कार्यों को करने में आईपीएस अधिकारियों को काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। इसके बाद भी शासन ने एक विभागीय डीआईजी को हाशिए पर रख रखा है। इस संबंध में जब डीआईजी जेल मुख्यालय एके सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने इसे शासन का मामला बताते हुए कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया। प्रमुख सचिव कारागार राजेश कुमार सिंह से काफी प्रयासों के बाद भी सम्पर्क नहीं हो पाया।