प्रदेश की जेलों में चार दिन में तीन बंदियों की मौत
जेलों में नहीं थम रहा बंदियों की मौत का सिलसिला दो माह में करीब एक दर्जन से अधिक बंदियों की मौत
लखनऊ। प्रदेश की जेलों में बंदियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते चार दिन में तीन बंदियों की मौत हो गई। राजधानी लखनऊ जिला जेल, बरेली और महोबा जिला जेल में एक एक बंदी की मौत हो गई। दो माह के अंतराल में करीब एक दर्जन से अधिक बंदियों की जेलों में मौत हो चुकी है। बंदियों के लगातार मौतों ने कारागार मुख्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक राजधानी की जिला जेल में एक विचाराधीन बंदी शानू सिंह (27) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। कैंट थाना के इब्राहिमपुर नीलमथा निवासी शानू के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। मृतक बंदी की मां का आरोप लगाया है कि जेल प्रशासन के उपचार में लापरवाही की वजह से मेरे बेटे की मौत हो गई। उधर जेल प्रशासन का कहना है कि बंदी की मौत हार्ट अटैक से हुई।
दूसरी घटना महोबा जिला जेल में हुई। जेल में बंद कैदी हृदेश उर्फ मोनू की भी संदिग्ध हालत में मौत हो गई। मौत की खबर मिलते ही कैदी के परिवार में कोहराम मच गया। परिजनों ने जेल प्रशासन पर इलाज में लापरवाही बरतने का गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने मौत की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मृतक कैदी मोनू मध्य प्रदेश का रहने वाला था। परिजनों का आरोप है कि समय रहते उचित इलाज मिलने से मोनू की जिंदगी बच जाती।
उधर बरेली जेल में बंद सिरौली थाना क्षेत्र का रहने वाले श्यामवीर (34) ने बीते शनिवार को आत्महत्या कर ली। बंदी श्यामवीर की पत्नी पुष्पा ने जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए काम न करने के एवज में मशक्कत के दो हजार रुपये मांग रहे थे। जिसके चलते पिटाई की जाती थी। उसी से परेशान होकर उसने सुसाइड किया है। जेलर ने बताया कि परिजनों के आरोपों की जांच की जाएगी। जेलों में लगातार हो रही मौतों ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अवैध वसूली के संबंध में अधिकारियों ने कोई भी टिप्पणी करने से साफ मना कर दिया।