उत्तर प्रदेश जेल विभाग : 10 रुपये दीजिये पूरे देश में बात कीजिये! कप्तान के हस्तक्षेप के बाद सुलझा मामला, एक दिन बन्द रहे पीसीओ
जेल में प्राइवेट पीसीओ चलाने वाले रायटर बन्दी ने अपने केस के गवाहों को जान से मारने की धमकी दे डाली। इस पर ग्रामीणों ने जेल पहुँचकर पुलिस चौकी का घेराव किया। प्रदर्शनकारी दोषी जेल अधिकारियों व धमकाने वाले रायटर बन्दी के खिलाफ कार्यवाही की मांग कर रहे थे। मामला बढ़ता देख शहर के कप्तान ने हस्तक्षेप कर मामले को शांत कराया।
लखनऊ। प्रदेश की मथुरा जेल में दस रुपये दीजिये एक मिनट देश मे कही भी बात कीजिये। जेल प्रशासन की यह व्यवस्था ही जेल अधिकारियों के लिए मुसीबत बन गयी। हुआ यह कि जेल में प्राइवेट पीसीओ चलाने वाले रायटर बन्दी ने अपने केस के गवाहों को जान से मारने की धमकी दे डाली। इस पर ग्रामीणों ने जेल पहुँचकर पुलिस चौकी का घेराव किया। प्रदर्शनकारी दोषी जेल अधिकारियों व धमकाने वाले रायटर बन्दी के खिलाफ कार्यवाही की मांग कर रहे थे। मामला बढ़ता देख शहर के कप्तान ने हस्तक्षेप कर मामले को शांत कराया। उधर जेल अधीक्षक का कहना है कि ऐसी कोई घटना हुई ही नही है।
मुख्य बातें
- मथुरा जेल में पीसीओ रायटर बन्दी की धमकी से हुआ बवाल
- गवाहों को घमकाने पर ग्रामीणों ने घेरी जेल पुलिस चौकी
- कप्तान के हस्तक्षेप के बाद सुलझा मामला, एक दिन बन्द रहे पीसीओ
मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना कॉल के दौरान जेल में बन्दी अवसाद में न जाने पाए इसके लिए जेल प्रशासन को बन्दियों को घर के लोगो से फ़ोन पर बात कराने की सुविधा प्रदान की गई। जेल प्रशासन के अधिकारियों ने शासन के निर्देश पर मुख्यालय की ओर से प्रदान की गई इस सुविधा को कमाई का जरिया बना लिया। सूत्रों का कहना है जेल प्रशासन के अधिकारी इस सुविधा की आड़ में प्रतिमाह लाखों रुपये की उगाही कर रहे है। बताया गया गया है इस जेल में करीब आधा दर्जन अवैध पीसीओ चल रहे है। कहने को इसके प्रभारी अधिकारी डिप्टी जेलर होते है किंतु इनका संचालन रायटर बन्दियों के हाथों में ही रहता है। राइटर बन्दी बन्दियों से 10 रुपये प्रति मिनट की दर से बन्दियों को खुलेआम फ़ोन कराकर स्वयं व जेल अधिकारियों को मोटी रकम कमा कर देते है।
सूत्रों का कहना है कि दो दिन पहले जेल में प्राइवेट पीसीओ का संचालन कर रहे राइटर बन्दी भोला ने पीसीओ से फ़ोन करके अपने केश के गवाहों को गवाही नहीं देने के लिए जान से मारने की धमकी दी। ग्रामीणों को जब इस बात की जानकारी हुई तो सैकड़ो की संख्या में ट्रैक्टर ट्रालियों से ग्रामीणों ने जेल पहुँचकर जेल पुलिस चौकी का घेराव कर दोषी बन्दी व जेल अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग करने लगे। बवाल बढ़ता देख इसकी सूचना जिला प्रशासन व पुलिस को दी गयी। पुलिस कप्तान डॉ गुलशन ग्रोवर ने मौके पर पहुँचकर बवाली ग्रामीणों को समझा बुझाकर किसी तरह शांत कराया। जेल से हो रही इस अवैध हरकत के लिए उन्होंने जेल अधीक्षक को जमकर फटकार भी लगाई। उधर जेल अधीक्षक बृजेश कुमार का कहना है कि जेल में ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं है। आगरा परिक्षेत्र के प्रभारी डीआईजी जेल वीके सिंह का फ़ोन ही नही उठा।
आगरा व अलीगढ़ में एक-एक बन्दी की मौत लखनऊ। अलीगढ़ जेल प्रशासन की लचर सुरक्षा व्यवस्था की वजह से सोमवार की सुबह पेड़ से लटककर जान दे दी। बताया गया है जेल की 17 ए और 17 बी बैरेक की जिम्मेदारी एक ही वार्डर के हाथों में थी। सुबह वार्डर ने जैसे ही बैरेक खोली विचाराधीन बन्दी ने निकलकर कटहल के पेड़ पर लटककर जान दे दी। इसको लेकर चर्चा है कि सुरक्षाकर्मियों की ड्यूटी लगाने में लापरवाही से हुई है। यही नही आगरा जेल में भी एक विचाराधीन बन्दी की मौत हो गयी। जेल प्रशासन का कहना है बीमार बन्दी को उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया रास्ते मे उसकी मौत हो गयी। |
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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