कारागार विभाग का हाल बेहाल
गांजा बेचने पर निलंबन, मौत-गलत रिहाई पर नहीं कोई कार्यवाही मैनपुरी और झांसी में दो-दो मौत के बाद भी कारागार मुख्यालय मौन प्रयागराज जेल से गलत रिहाई पर भी आला अफसरों की चुप्पी
लखनऊ। शासन की हीलाहवाली से प्रदेश कारागार विभाग में अजब गजब कारनामें प्रकाश में आ रहे हैं। इस विभाग में गांजा बेचने पर निलंबन और बंदियों की मौतों और गलत रिहाई पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। यह बात सुनने और पढ़ने में भले ही अटपटी लेकिन सत्य है। कार्यवाही में पक्षपातपूर्ण रवैए का यह मामला विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। चर्चा हैं कि विभाग में कार्यवाही भी मुंह देखकर की जाती है। इस विभाग में दोषी अफसरों को बचाने में आला अफसरों को महारत हासिल हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक बीते दिनों सिद्धार्थनगर जिला जेल में डीएम एसपी के मासिक निरीक्षण के दौरान एक कैदी ने जेल में गांजा बेचने की शिकायत की थी। शिकायत के बाद पड़ताल में डिप्टी जेलर समेत चार जेलकर्मियों को गांजा बेचते पकड़ा गया। गांजा बेचने के मामले की जांच एक डीआईजी जेल से कराई गई। जांच में दोषी पाए जाने पर डिप्टी जेलर त्रिलोकी नाथ, हेड वार्डर फूलचंद यादव, वार्डर उमेश कुमार और सौरभ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। बताया गया है कि डिप्टी जेलर मातहत वार्डरों के माध्यम से जेल के बंदियों से गांजा बिकवाकर जेब भरने में जुटा हुआ था।
सीयूजी फोन तक नहीं उठाते जेल के आला अफसर
प्रदेश के मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद भी जेल अधिकारी सरकारी (सीयूजी) फोन तक नहीं उठाते हैं। प्रयागराज, मैनपुरी और झांसी जेल में हुई घटनाओं पर हुई कार्यवाही के संबंध में जब आईजी जेल पीवी रामा शास्त्री के सीयूजी (9454418151) पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन फोन ही नहीं उठा। पूर्व में जब इनसे मिलकर बात की तो इन्होंने कहा कि जो भी जानकारी चाहिए वह पीआरओ अंकित से करें। पीआरओ ने कभी जेल पर नौकरी ही नहीं की उसको जेल घटनाओं की कोई जानकारी ही नहीं रहती है।
दिलचस्प बात यह है कि विभाग में गांजा बेचने वालों पर तो तुरंत कार्यवाही कर दी गई किंतु गलत रिहाई और बंदियों की मौत की घटनाओं पर अभी तक कोई कार्यवाही की ही नहीं गई। बीते रविवार को मैनपुरी जेल महिला बंदी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली और इसी के एक दिन बाद एक अन्य बंदी की मौत हो गई। इसी तरह झांसी जेल में डीएम एसपी के निरीक्षण के दौरान एक बंदी ने फांसी लगा ली। जेल प्रशासन ने जिला प्रशासन को गुमराह करके मृतक बंदी को अस्पताल भेज दिया। इसके अगले दिन एक और बंदी की मौत हो गई। प्रयागराज जिला जेल में अधिकारियों ने बी वारंट होने के बावजूद बंदी को रिहा कर दिया। इन सनसनीखेज मामलों में आईजी जेल ने अभी तक कोई कार्यवाही ही नहीं की। पक्षपातपूर्ण कार्यवाही से विभागीय अधिकारियों में खासा आक्रोश व्याप्त है। मामला आईजी जेल से जुड़ा होने की वजह से अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है।