लखनऊ जेल अधीक्षक व जेलर के खिलाफ होगी कार्यवाही, बगैर वारंट के जेल में बन्दी रखना दंडनीय अपराध
रिहाई नही होने से हुआ जेल अफसरों की लापरवाही का खुलासा, कमाई के चक्कर में भूल गए जेल के नियम और कानून, हकीकत यह है कि जेल अधिकारी कमाई के चक्कर मे नियम और कानून ही भूल गये।
लखनऊ। राजधानी की जिला जेल में जेल अधीक्षक व जेलर की लापरवाही का एक दिलचस्प मामला सामने आया है। अधिकारियों ने एक बन्दी को बगैर वारंट के जेल में रखा हुआ है। बगैर वारंट जेल में बंदी को रखना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे मामले को लापरवाह अफसरों को दंडित किये जाने का प्रावधान है। इस सावन का खुलासा दुराचार के मामले में बंद बन्दी का रिहाई आदेश आने के बाद अभिरक्षा वारंट नही होने की वजह से उसकी रिहाई नही हो पाई। न्यायालय ने इस लापरवाही के लिए अधीक्षक से स्पष्टीकरण मांगा है। हकीकत यह है कि जेल अधिकारी कमाई के चक्कर मे नियम और कानून ही भूल गये।
मिली जानकारी के मुताबिक राजधानी की जिला जेल में दुराचार के मामले में बन्द बन्दी का अदालत ने रिहाई आदेश भेजा। जेल प्रशासन के पास बन्दी का अभिरक्षा वारंट नही होने की वजह से बन्दी की रिहाई नही हो पाई। जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला की बन्दी का अभिरक्षा वारंट खो गया। इस वजह से बन्दी की रिहाई नही हो पाई। बताया गया है कि बन्दी विशाल 18 मई 2019 से लखनऊ जेल में बंद है। सूत्रों का कहना है कि अदालत ने बन्दी का अभिरक्षा वारंट नही होने पर बन्दी की जेल में प्रवेश व पेशी पर जाने की कार्यवाही के लिए लखनऊ जेल अधीक्षक को तलब किया है।
सूत्रों का कहना है कि बगैर वारंट के किसी भी बन्दी को जेल में रखा जाना दंडनीय अपराध माना जाता है। अभिरक्षा वारंट के बिना बन्दी की जेल में आमद ही नियम विरुद्ध है। दुराचार के मामले में बंद बन्दी की रिहाई मामले ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए।
हकीकत यह है कि जेल अधिकारी कमाई के चक्कर मे जेल के नियम और कानून ही भूल गए है। इस जेल में केला, संतरा, सेव प्रति पीस के हिसाब से बेचा जा रहा है। छह सेव का पैकेट डेढ से दो सौ रुपये में, केला छह से सात रुपये पीस, संतरा बीस रुपये पीस, खीरा 25 से 30 रुपये पीस, टमाटर, आलू व प्याज का पैकेट 75 से सौ रुपये में बेचा जा रहा है। अंगूर डेढ सौ रुपये का आधा किलो अंगूर बेंचकर जेब भरने में जुटे हुए है। जेल मुख्यालय का मातहतों अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नही है। इस वजह से जेल अधिकारी बंदियो का आर्थिक शोषण कर अधिकारी मालामाल हो रहे है। उधर इस संबंध में काफी प्रयास के बाद भी जेल अधीक्षक आशीष तिवारी से बात नही हो पाई।
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
लखनऊ
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