चहेते अफसर की तैनाती के निलंबित किये गए अलीगढ़ जेल अधीक्षक : चार साल बाद शासन की कार्यवाही पर उठे सवाल, जिला प्रशासन की जांच में पहले मिल चुकी क्लीन चिट

मुताबिक मामला वर्ष-2018 का है। नोएडा जेल में बंद विचाराधीन बन्दी मटरू उर्फ प्रेम चंद की रिहाई का है। सूत्रों का कहना है कि न्यायालय से रिहाई आदेश मिलने पर जेल अधिकारियों ने एक अन्य मामला विचाराधीन होने के बावजूद बन्दी को रिहा कर दिया। इस गलत रिहाई के मामले में करीब चार साल बाद कार्यो में शिथिलता बरतने के आरोप में तत्कालीन अधीक्षक विपिन मिश्रा (वर्तमान में वरिष्ठ अधीक्षक अलीगढ़) को निलंबित कर दिया गया।

चहेते अफसर की तैनाती के निलंबित किये गए अलीगढ़ जेल अधीक्षक : चार साल बाद शासन की कार्यवाही पर उठे सवाल, जिला प्रशासन की जांच में पहले मिल चुकी क्लीन चिट
अलीगढ़ जेल

लखनऊ। अलीगढ़ जेल पर तैनात वरिष्ठ अधीक्षक का निलंबन एक सोची समझी साजिश है। अपने चहेते अधिकारी को तैनात कराने के लिए एक पुराने मामले में अधीक्षक को निलंबित कर दिया गया। नियमों को ताक पर रखकर की गई यह कार्यवाही जेल अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। चर्चा है कि जिस मामले में निलंबन की यह कार्यवाही की गई है उसका निस्तारण पहले ही हो चुका था। जिला स्तर पर हुई जांच में अधिकारियों को निर्दोष ठहराया गया था। कार्यवाही रिहाई करने वाले अधिकारियों के खिलाफ करने के बजाए अधीक्षक पर कर दी गयी। इससे जेल विभाग के आला अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग गए है।

मिली जानकारी के मुताबिक मामला वर्ष-2018 का है। नोएडा जेल में बंद विचाराधीन बन्दी मटरू उर्फ प्रेम चंद की रिहाई का है। सूत्रों का कहना है कि न्यायालय से रिहाई आदेश मिलने पर जेल अधिकारियों ने एक अन्य मामला विचाराधीन होने के बावजूद बन्दी को रिहा कर दिया। इस गलत रिहाई के मामले में करीब चार साल बाद कार्यो में शिथिलता बरतने के आरोप में तत्कालीन अधीक्षक विपिन मिश्रा (वर्तमान में वरिष्ठ अधीक्षक अलीगढ़) को निलंबित कर दिया गया। सूत्रों की मानें तो इस लापरवाही की तत्काल जिला स्तर पर जांच कराई गई। इस जांच में अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी गयी थी। चार साल बाद हुई इस कार्यवाही ने आला अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। 

विभागीय अफसरों में चर्चा है कि अलीगढ़ कमाऊ जेल पर तैनाती को लेकर लखनऊ जेल, मुख्यालय व एक अन्य जेल अधिकारी ने निगाहें गड़ा रखी थी। इस अधिकारियों ने शासन में बैठे आला अफसरों से सेटिंग-गेटिंग कर यह कार्यवाही करा दी। अफसरों ने चहेते वरिष्ठ अधीक्षक की कमाऊ जेल पर तैनाती कराने के लिए आनन-फानन में निलंबन की कार्यवाही को अंजाम दे दिया। एकाएक हुई इस कार्यवाही को लेकर विभाग के अफसरों में तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। उधर इस संबंध में अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका हर बार की तरह इस बार भी फ़ोन नहीं उठा।

जिम्मेदारी जेलर की निलंबित कर दिए गए अधीक्षक

लखनऊ। जिम्मेदारी जेलर व डिप्टी जेलर और शासन ने निलंबित कर दिया अधीक्षक को। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन सच है। जेल मैन्युअल के मुताबिक सजायाफ्ता कैदियों की रिहाई अधीक्षक व विचाराधीन बन्दियों की रिहाई जेलर व डिप्टी जेलर द्वारा किये जाने का प्रावधान है। इस नियम के होने के बाद भी शासन के अफसरों ने गलत रिहाई के मामले को कार्यो में लापरवाही बरते जाने का आरोप लगाकर वरिष्ठ अधीक्षक को निलंबित कर दिया। वही लखनऊ जेल में विदेशी बन्दी की गलत रिहाई किये जाने के मामले में अभी तक न तो अधीक्षक और न ही जेलर के खिलाफ कोई कार्यवाही की गई है।

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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