कोर्ट ने जारी किया आदेश : मालिकों के मोबाइल नंबर बिना नहीं कटेगा चालान, 60 % वाहन स्वामियों को नहीं मिल रही थी चालान कटने की जानकारी

वाहन स्वामी के सही मोबाइल नंबर और पते के बिना पुलिस किसी गाड़ी का चालान नहीं कर सकती। सही जानकारी न होने की वजह से लखनऊ में ही 3 साल के अंदर 4 लाख (60%) से ज्यादा चालान कोर्ट में पेंडिंग हैं। वहीं, एसपी ट्रैफिक का कहना है कि ये संभव नहीं है।

कोर्ट ने जारी किया आदेश : मालिकों के मोबाइल नंबर बिना नहीं कटेगा चालान, 60 % वाहन स्वामियों को नहीं मिल रही थी चालान कटने की जानकारी
ट्रैफिक पुलिस के लिए चुनौती बना कोर्ट का आदेश

 Lucknow : बिगड़ी यातायात व्यवस्था की समस्या से जूझ रही ट्रैफिक पुलिस के लिए कोर्ट का आदेश बड़ी चुनौती बन गया। कोर्ट ने कहा है कि वाहन स्वामी के सही मोबाइल नंबर और पते के बिना पुलिस किसी गाड़ी का चालान नहीं कर सकती। सही जानकारी न होने की वजह से लखनऊ में ही 3 साल के अंदर 4 लाख (60%) से ज्यादा चालान कोर्ट में पेंडिंग हैं। वहीं, एसपी ट्रैफिक का कहना है कि ये संभव नहीं है।

कोर्ट का बढ़ रहा बोझ : ट्रैफिक पुलिस को भेजे गए आदेश में कोर्ट में कहा है कि पुलिस हर महीने हजारों की संख्या में चालान भेजती है। जिससे कोर्ट का बोझ बढ़ रहा है। इसलिए उन्हीं गाड़ियों का चालान किया जाए। जिनके मालिक की सही जानकारी हो। लेकिन, ट्रैफिक अधिकारियों का कहना है कि ऐसा कर पाना संभव नहीं है।

4 लाख गाड़ी मालिकों का नहीं चला पता : 2019 से अब तक ट्रैफिक पुलिस ने 4 लाख ऐसी गाड़ियों का चालान काटा है। जिनके मालिकों के बारे में कोई जानकारी नहीं ही नहीं है। इस वजह से उन्हें समन या नोटिस नहीं भेजी गई। वो सब पेंडिंग पड़े हैं।

RC के पते पर काटा जाता चालान : एसपी ट्रैफिक रईस अख्तर का कहना है कि गाड़ी की आरसी पर लिखे ब्यौरे के आधार चालान काटा जाता है। नोटिस भेजने पर पता चलता है कि आरसी में दर्ज पते पर वाहन स्वामी नहीं रहते हैं। उनका कहना है कि ई चालान में यातायात नियमों को तोड़ने वालों का फोटो खींचकर चालान किया जाता है। ऐसे में गाड़ी मालिक का सही पता लगा पाना संभव नहीं होता।

अन्य अपराध के कॉलम में चालान भी नहीं होगा मान्य : कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है ज्यादातर चालान ऐसे आ रहे हैं जिनमें अपराध का प्रकार दर्ज ही नहीं होता है। एसपी ट्रैफिक का कहना है कि ब्लैक फिल्म जैसे कई ऑफेंस चालान एप में नहीं हैं। इसलिए पुलिसकर्मी इसे अन्य अपराध की कॉलम में डालकर चालान कर देते हैं।