प्रदेश की जेलों में थ्री जी जैमर रोक रहा फोर जी नेटवर्क : आधुनिक उपकरणों की खरीद में कमीशन का खेल
जैमर लगे होने के बाद भी जेलो में फोर जी नेटवर्क के फोन आसानी से चलाए जा रहे है। हकीकत यह है करोड़ो रुपये की लागत से लगाये गए यह जैमर अब किसी काम के नहीं रह गए है। यही वजह है कि प्रदेश की जेलों में मोबाइल फोन का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। उधर विभाग के उच्च अधिकारी इस मसले पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं।…..
लखनऊ। प्रदेश की जेलों मे मोबाइल फोन के इस्तेमाल को लेकर सरकारी दावे भले ही कुछ हो लेकिन हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है। जेलों में मोबाइल फोन के संचालन को ठप करने के लिए जो जैमर लगाए गए है वह थ्री जी नेटवर्क जाम करने वाले है। ऐसा तब है जब आज अधिकांश लोग फोर जी नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐस में जेलों में लगे मोबाइल जैमर सिर्फ शो पीस बनकर रह गए हैं। यही वजह है कि प्रदेश की जेलों में मोबाइल फोन का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। उधर विभाग के उच्च अधिकारी इस मसले पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं।
प्रदेश को जेलो में मोबाइल फोन के माध्यम से होने वाले संगठित अपराध एवं आपराधिक घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए जैमर लगाए गए। विभागीय जानकारों के मुताबिक वर्ष-1999 में लखनऊ जेल में तैनात अधीक्षक आरके तिवारी की हत्या के बाद वर्ष-2004 में जैमर लगाने का ट्रायल शुरू हुआ था। पहले चरण में सात जेलों में जैमर लगाए गए। इनके कारगर नहीं होने पर अगले चरण में प्रदेश की अतिसंवेदनशील लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, अलीगढ़, बरेली, गाजियाबाद, नोएडा, आगरा समेत प्रदेश की करीब दो दर्जन जेलो में जैमर लगाए गए। जेलों में करोड़ो रुपए की लागत से थ्री जी नेटवर्क को जाम करने के लिए जैमर लगाए गए। अभी इनको लगे कुछ ही समय बीता था कि इसी दौरान फोर जी नेटवर्क आ गया। फोर जी नेटवर्क के आने पर जेलों में लगाए गए थ्री जी नेटवर्क वाले जैमेर अब पूरी तरह से निष्क्रिय हो गए है। वर्तमान समय मे अधिकांश मोबाइल धारक फोर जी नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे है।
सूत्रों का कहना है कि जैमर लगे होने के बाद भी जेलो में फोर जी नेटवर्क के फोन आसानी से चलाए जा रहे है। हकीकत यह है करोड़ो रुपये की लागत से लगाये गए यह जैमर अब किसी काम के नहीं रह गए है। सूत्र बताते है कमाई और कमीशन के चक्कर में जेल मुख्यालय के अफसरों ने जेलो में जैमर तो लगवा दिए। बताया गया है कि अधिक फ्रीक्वेंसी के जैमर की कीमत करोड़ो में है। जेलों में लगेे थ्री जी जैमर मोबाइल फोन के संचालन को रोक पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे हैं। उधर इस संबंध में जब डीआईजी जेल मुख्यालय शैलेंद्र मैत्रेय से बात की गई जो उन्होंने बताया कि यह मामला अत्याधुनिक उपकरणों से जुड़े अधिकारी का है। आधुनिकीकरण से जुड़े अधिकारी ने जेलो में थ्री जी नेटवर्क के जैमर लगे होने की बात स्वीकार करते हुए बताया कि जब जैमर लगाए गए थे उस समय थ्री जी नेटवर्क के मोबाइल फोन चलते थे। अब इसको बदले जाने की आवश्यकता है।
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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