जेलों की व्यवस्था बदहाल, अफसर हुए मालामाल : अत्याधुनिक उपकरण की खरीद-फ़रोख़्त में कमीशन का खेल, मोबाइल जैमर, सीसीटीवी समेत अन्य उपकरणों नहीं मिल रहा कोई लाभ

इन उपकरणों की खरीद-फरोख्त से विभाग के अधिकारी जरूर मालामाल हो गए किन्तु जेलों की व्यवस्थाएं आज भी जस की तस ही है। यही वजह है कि जेलों में मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है और घटनाएं होने के समय सीसीटीवी बन्द मिलते है। इस व्यवस्था ने जेल अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है

जेलों की व्यवस्था बदहाल, अफसर हुए मालामाल : अत्याधुनिक उपकरण की खरीद-फ़रोख़्त में कमीशन का खेल, मोबाइल जैमर, सीसीटीवी समेत अन्य उपकरणों नहीं मिल रहा कोई लाभ
जेल मुख्यालय लखनऊ

लखनऊ। जेलों की सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद रखने के लिए खरीदे गए करोडों रुपये के अत्याधुनिक उपकरण का जेलों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। इन उपकरणों की खरीद-फरोख्त से विभाग के अधिकारी जरूर मालामाल हो गए किन्तु जेलों की व्यवस्थाएं आज भी जस की तस ही है। यही वजह है कि जेलों में मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है और घटनाएं होने के समय सीसीटीवी बन्द मिलते है। इस व्यवस्था ने जेल अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। उधर जेल मुख्यालय के अफसर इस मसले पर चुप्पी साधे हुए है।

जेलों में मोबाइल फोन के हो रहे इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश की अतिसंवेदनशील जेलों पर मोबाइल जैमर लगाए गए। करीब सात साल पूर्व जब थ्री जी मोबाइल फ़ोन का चलन चरम पर था तभी जेलों में मोबाइल जैमर लगाए गए थे। थ्री जी फ्रीक्वेंसी संचालन के लिए जैमर लगाए गए थे। तब से लेकर आजतक वही व्यवस्था चली आ रही है। ऐसा तब है जब थ्री जी मोबाइल का नदारद हो गया फोर जी का संचालन हो रहा है। थ्री जी नैटवर्क जैम करने के लिए लगाए गए जैमर फोर जी नेटवर्क को कैसे जाम करेंगे यह अपने आप मे एक बड़ा सवाल है।  सच यह है कि करोड़ो रूपये की लागत से लगाये गए मोबाइल जैमर लगे होने के बाद भी जेलो में मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। फोर जी नेटवर्क को रोकने की जेलों में कोई व्यवस्था ही नहीं है।

इसी प्रकार जेलों में बन्दियों की हरकतों पर निगरानी रखने के लिए करोड़ो रूपये की लागत से सीसीटीवी लगाए गए। यह भी शो पीस बनकर ही रह गए। रायबरेली जेल से दो बन्दियों की फरारी, चित्रकूट जेल में तीन खूंखार बन्दियों की हत्या और बांदा जेल से एक बन्दी की 20 घंटे तक गायब रहने जैसी सनसनीखेज घटनाओं में जेल प्रशासन को सीसीटीवी सुविधा का कोई लाभ नहीं मिला। अधिकांश घटनाओं के समय जेलों में लगे सीसीटीवी या खराब पड़े मिले या फिर उन स्थानों पर कमरे ही नही लगे थे जहाँ बन्दियों ने घटनाओं को अंजाम दिया। सूत्रों का कहना है जेल मुख्यालय में बैठे अफसरों ने मोटा कमीशन लेने के लिये भारी मात्रा में अत्याधुनिक उपकरण तो खरीद लिए लेकिन जेलों की व्यवस्था आज भी बदहाल ही है। यह अलग बात है कि इन उपकरणों की खरीद-फरोख्त से अधिकारी जरूर मालामाल हो गए है। यह तो बानगी भर है जेलों को सुरक्षित रखने व बन्दियों को सुविधाएं देने के लिए खरीदे गए तमाम आधुनिक उपकरण गोदामों में धूल फांख रहे है। उधर जेल मुख्यालय के अधिकारी कहते है दिनोदिन नई-नई तकनीकी आ रही है जैमर बदले जाने की प्रक्रिया चल रही है। खराब सीसीटीवी व अन्य उपकरणों के सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली।

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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