कुलपति ने दिए जांच के आदेश : KGMU में वेंटिलेटर न मिलने से मौत, मरीजो के लिए नाकाफी साबित हो रही मौजूदा व्यवस्था
मृतक मरीज के परिजनों का आरोप है कि KGMU में समुचित इलाज न मिलने के कारण ही मरीज की मौत हुई वही ट्रामा सेंटर प्रभारी का दावा है कि समय रहते वेंटिलेटर खाली न होने के बात बता दी गई थी पर परिजन मरीज को ले जाने की बजाय राजनीतिक सिफारिशों में समय जाया करते रहे और किसी अन्य अस्पताल लेकर नही गए
वेंटिलेटर न मिलने के कारण ट्रॉमा सेंटर में हुई मौत के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है।तीमारदार व ट्रॉमा सेंटर प्रशासन आमने सामने आ गए है। मृतक मरीज के परिजनों का आरोप है कि KGMU में समुचित इलाज न मिलने के कारण ही मरीज की मौत हुई वही ट्रामा सेंटर प्रभारी का दावा है कि समय रहते वेंटिलेटर खाली न होने के बात बता दी गई थी पर परिजन मरीज को ले जाने की बजाय राजनीतिक सिफारिशों में समय जाया करते रहे और किसी अन्य अस्पताल लेकर नही गए।वही प्रकरण कुलपति के संज्ञान में आने के बाद उनके द्वारा जांच के आदेश जारी किए गए है।
कुलपति ने दिए जांच का आदेश -
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्विद्यालय में कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने भास्कर ने बताया कि प्रकरण संज्ञान में आया है।किसी भी मरीज की मौत होना हमारे लिए दुखद है पर यह समझना होगा कि केजीएमयू में सबसे ज्यादा लोड रहता है और हम सीमित संसाधनों में बेहतरीन सुविधा उपलब्ध करा रहे है।हालांकि इस मामले की जांच कराने के आदेश दिए गए है,किसी प्रकार की लापरवाही मिलने पर एक्शन लिया जाएगा।
मरीजो के लिए नाकाफी साबित हो रही मौजूदा व्यवस्था -
उत्तर प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर की पीक भले ही बीत चुकी हो पर लखनऊ में समुचित इलाज के अभाव में मरीजों का दम तोड़ने का सिलसिला जारी है।राजधानी में वेंटिलेटर न मिलने से ट्रॉमा सेंटर में हुई मरीज की मौत ने फिर से चिकित्सा संस्थानों की तैयारियों की पोल खोल दी है।मरीज का इलाज ट्रॉमा सेंटर में चल रहा था,डॉक्टरों ने मरीज की जान बचाने के लिए वेंटिलेटर की जरूरत बताई, लेकिन ट्रॉमा में सभी वेंटिलेटर भरे थे।ऐसे हालात में कैसे तीसरी लहर से निपटने के दावा सही साबित होंगे यह तो समय ही बताएगा,पर तीमारदार अब चिकित्सा विश्वविद्यालय पर आरोप लगा रहे है।
सीतापुर का था मरीज,ट्रॉमा सेंटर में नही मिल पाया वेंटिलेटर -
जानकारी के मुताबिक सीतापुर के नेवादाकलां निवासी चंद्रभाल त्रिपाठी मंगलवार को बाथरूम में फिसल कर गिर गए थे।इसके बाद उन्हें एक निजी अस्पताल से KGMU ट्रॉमा सेंटर लाया गया।परिजन मरीज को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे थे।यहां पर जरूरी जांच कराई गई और इलाज शुरू किया गया।इलाज के बावजूद मरीज की तबीयत में सुधार नहीं हुआ।डॉक्टरों ने मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत बताई।परिवार के सदस्य पंकज के मुताबिक वेंटिलेटर यूनिट में एक भी बेड खाली नहीं था।वेंटिलेटर के अभाव में मरीज की हालत ज्यादा गंभीर हो गई।वेंटिलेटर खाली न होने की बात कहकर वापस लौटा दिया गया।इसके बाद मरीज की मौत हो गई।
क्या है ट्रॉमा सेंटर प्रभारी की दलील -
वही पूरे मामले में KGMU ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी डॉ. संदीप तिवारी का कहना है कि ट्रॉमा सेंटर में 90 वेंटिलेटर है।मरीज को जब यहां लाया गया तब सभी भरे हुए थे।परिजनों को समय रहते PGI या अन्य किसी संस्थान लेकर जाने की हिदायत दी गई थी।वेंटिलेटर सपोर्ट न मिलने के कारण मरीज की मौत हो गई।यह भी समझना पड़ेगा कि ट्रॉमा सेंटर में वेंटिलेटर की सीमित संख्या है,वेंटिलेटर के सभी मरीज क्रिटिकल कंडीशन में रहते है।इस बीच किसी अन्य गंभीर मरीज के आने पर वेंटिलेटर सपोर्ट तत्काल मुहैया कराना मुश्किल रहता है।
बता दें कि ट्रॉमा सेंटर में 400 बेड हैं।करीब 150 स्ट्रेचर हैं।वही वेंटिलेटर 90 ही है।ज्यादातर बेड व स्ट्रेचर भरे रहते हैं।एक-एक बेड के लिए मारामारी रहती है।