गलत रिहाई पर नहीं होती कोई कार्यवाही
लखनऊ के बाद प्रयागराज जेल ने छोड़ा गलत बंदी कार्यवाही नहीं होने बेखौफ हुए जेल अधिकारी
लखनऊ। प्रदेश के कारागार विभाग में बंदी की गलत रिहाई होने पर भी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन सत्य है। लखनऊ जेल में एक विदेशी बंदी समेत दो बंदियों की गलत रिहाई में कोई कार्यवाही नहीं करने के बाद अब प्रयागराज जिला जेल में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। गलत रिहाई हुए चार दिन बीत चुके है लेकिन अभी तक किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। यह मामला विभागीय कर्मियों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
मुख्यालय अफसरों का नहीं उठा फोन
विचाराधीन बंदियों की गलत रिहाई के संबंध में कार्यवाही के बाबत जब डीजी पुलिस/आईजी जेल पीवी रामाशास्त्री से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन ही नहीं उठा। अपर महानिरीक्षक कारागार प्रशासन धर्मेंद्र सिंह से भी कई प्रयासों के बाद भी बात भी हो पाई।
मिली जानकारी के मुताबिक चोरी के मामले में वांछित चल रहे राजकुमार पुत्र रामकुमार निवासी भंडारा को नवाबगंज पुलिस ने गिरफ्तार कर 28 जुलाई को प्रयागराज जिला जेल भेजा। बंदी को जेल प्रशासन ने सर्किल नंबर एक के दो नंबर हाते में रखा गया। इस सर्किल का प्रभार डिप्टी जेलर विजय प्रसाद के पास था। सूत्र बताते है कि बीती 23 सितंबर को जेल प्रशासन ने 20 बंदियों को पेशी पर अदालत भेजा। इस दौरान राजकुमार भी बगैर पेशी के अदालत गया था। शाम को लौटने पर बंदी का बी वारंट जेल पहुंच गया। जेलर और डिप्टी जेलर ने बंदी का बी वारंट देखे बगैर ही 24 सितंबर को करीब नौ बजे बंदी को रिहा कर दिया। इसकी जानकारी होते ही जेल में हड़कम मच गया। जेल अधिकारी गलत रिहाई के इस मामले को दबाने में जुट गए।
उल्लेखनीय है कि कारागार विभाग में गलत रिहाई होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। इससे जेल प्रशासन के अधिकारी बेखौफ हो गए है। प्रयागराज जेल में गलत रिहाई की घटना को हुए करीब एक सप्ताह का समय बीत गया। किंतु किसी भी अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। इससे पूर्व राजधानी की जिला जेल में एलआईयू को बगैर सूचित किए ही विदेशी बंदी को रिहा कर दिया गया था। इसके साथ ही एक अन्य विचाराधीन बंदी की गलत रिहाई कर दी गई थी। इन मामलों में भी कारागार मुख्यालय स्तर से कोई कार्यवाही नहीं की गई।