प्रियंका गाँधी के नए प्रयोग ने विरोधियों की उड़ाई नींद : महिलाओं को साथ लेकर चुनावी वैतरणी पार करने की तैयारी
प्रदेश की अधिकांश विधानसभाओं क्षेत्रो में साधारण घरेलू महिलाओं के साथ डॉक्टर, शिक्षक व युवा लड़कियों ने टिकट की दावेदारी पेश कर राजनीति में हलचल मचा दी है। महिलाओं के राजनीति में सक्रिय होने से विपक्षी राजनैतिक दलों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी है।
लखनऊ। विधानसभा चुनाव-2022 में चुनाव परिणाम भले ही कुछ हो लेकिन प्रियंका गांधी का "लडकी हूँ लड़ सकती हूँ" कि मुहिम अब रंग दिखाने लगी है। इस मुहिम के अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे है। इस अभियान ने घरेलू महिलाओं के साथ लड़कियों को राजनीति के प्रति जागरूकता को बढ़ा दिया है। आलम यह है कि प्रदेश की अधिकांश विधानसभाओं क्षेत्रो में साधारण घरेलू महिलाओं के साथ डॉक्टर, शिक्षक व युवा लड़कियों ने टिकट की दावेदारी पेश कर राजनीति में हलचल मचा दी है। महिलाओं के राजनीति में सक्रिय होने से विपक्षी राजनैतिक दलों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी है।
मुख्य बातें
- घरेलू महिलाओं की जागरूकता से गड़बड़ा सकता राजनैतिक दलों का गणित
- प्रियंका के नए प्रयोग ने विरोधियों की उड़ाई नींद
- प्रत्येक विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं ने बढ़चढ़ कर पेश की दावेदारी
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव व उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा इनदिनों प्रदेश की राजनीति में सक्रिय है। प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर उन्होंने कमर कस ली है। चुनाव को लेकर राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दल जाति, धर्म व विकास के नाम पर चुनाव की वैतरणी पार करने की जुगत में लगे हुए है। वही प्रियंका गांधी आधी आबादी मानें जाने वाली महिलाओं को एकजुट कर चुनावो में बाजी मारने की जुगत में जुटी हुई है। प्रियंका का लड़की हूँ लड़ सकती हूँ नारा लड़कियों के साथ महिलाओं को खूब रास आ रहा है। इस मुहिम से महिलाएं व लड़कियां लगातार जुड़ती नज़र आ भी रही है। मेरठ, झांसी व राजधानी लखनऊ में हुई मैराथन प्रतियोगिता में उमड़ी युवा महिलाओं व लड़कियों की उमड़ी भीड़ इस बात को प्रमाणित भी करती नज़र आ रही है।
प्रदेश में हासिये पर चल रही कांग्रेस को संघर्ष में लाने के लिए प्रियंका ने महिलाओं को विधानसभा चुनाव में 40 फीसद टिकट देने सरकार बनने पर स्नातक लड़कियों को स्कूटी और इंटर पास को टैबलेट व लैपटॉप दिए जाने की घोषणाओं ने कांग्रेस को एक बार फिर से मुकाबले के लिए तैयार कर दिया है। प्रियंका की इस मुहिम का असर दिखने भी लगा है। काँग्रेस के प्रान्तीय कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश के सैकड़ो विधानसभा क्षेत्रों में शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र हो जहां से महिलाओ ने टिकट के लिए दावेदारी पेश नही की हो। कई विधानसभा क्षेत्र तो ऐसे है जहां पर आधा दर्जन से अधिक महिलाओं ने दावेदारी के लिए आवेदन किया है। राजनीति मे सक्रिय हुई इन महिलाओं ने सिर्फ दावेदारी ही नही पेश की बल्कि अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में वाल पेंटिंग्स, पोस्टर इत्यादि लगाकर अपना प्रचार-प्रसार भी शुरू कर अपनी दावेदारी को और मजबूत कर लिया है। राजनीति में एकाएक महिलाओं की सक्रियता ने विरोधी दलों के माथे पर शिकन जरूर ला दी है।
प्रियंका गांधी की महिलाओं और लड़कियों को एकजुट करने की यह मुहिम आगामी विधानसभा चुनाव में क्या रंग दिखाएगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा। फिलवक्त प्रियंका के महिलाओं को प्राथमिकता देने वाले लड़की हूँ लड़ सकती हूँ अभियान सभी राजनैतिक दलों का गणित बिगाड़ सकता है। महिलाओं की कांग्रेस के प्रति बढ़ती एकजुटता अब विरोधी दलों के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है। प्रियंका की यह मुहिम कितनी कारगर साबित होगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा, किन्तु इस मुहिम ने कांग्रेसियों में उत्साह बढ़ाने के साथ उनकी उम्मीदों की आस को जगा दिया है।
शक्ति विधान प्रियंका की एक सार्थक पहल लखनऊ। महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए प्रियंका गांधी ने एक ऐतिहासिक पहल की है। उन्होंने पार्टी की ओर से शक्ति विधान (महिलाओं के लिए घोषणा पत्र) जारी किया है। इसमे महिलाओं के हितों के लिए तमाम घोषणाएं की गई है। कांग्रेस महासचिव ने महिलाओं के लिए घोषणापत्र जारी कर एक नई पहल की है। किसी भी राजनैतिक दल ने इससे पूर्व ऐसा कोई घोषणापत्र नही जारी किया जो सिर्फ महिलाओं के हितों के लिए हो। इस घोषणापत्र में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये तमाम वादे व घोषणाएं की गई है। यह घोषणाएं महिलाओं को आकर्षित भी कर रही है। |
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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