यूपी STF का खुलासा : इंसान के मिलावटी खून की तस्करी करने वाले गैंग का भांडाफोड़, सैफई मेडिकल कॉलेज का असिस्टेंट प्रोफेसर है आरोपी
सैफई मेडिकल कॉलेज का असिस्टेंट प्रोफेसर है इंसान के मिलावटी खून तस्कर गैंग का मास्टरमाइंड l यह रक्त बीमार (जरूरतमंद) इंसान के लिए जानलेवा भी साबित होता था l गैंग का सरगना उत्तर प्रदेश के सैफई मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर है. आरोपी का नाम डॉक्टर अभय सिंह हैं. डॉ. अभय सिंह के.जी.एम.यू. लखनऊ से सन् 2000 बैच का एमबीबीएस पासआउट है.
उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (Special Task Force) ने इंसान के मिलावटी खून की तस्करी करने वाले गैंग का भांडाफोड़ गिया है l इस सिलसिले में दो तस्करों को गिरफ्तार किया गया है. इनके कब्जे से बड़ी तादाद में इंसान का मिलावटी रक्त बरामद हुआ है l यह रक्त बीमार (जरूरतमंद) इंसान के लिए जानलेवा भी साबित होता था l गैंग का सरगना उत्तर प्रदेश के सैफई मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर है l आरोपी का नाम डॉक्टर अभय सिंह है l डॉ. अभय सिंह के.जी.एम.यू. लखनऊ से सन् 2000 बैच का एमबीबीएस पासआउट है. उसने पीजीआई लखनऊ से एम.डी. ट्रान्सफ्यूजन मेडिसिन का कोर्स भी 2007 में किया था.
इन तमाम तथ्यों की पुष्टि गुरुवार को राज्य पुलिस एसटीएफ प्रमुख आईजी अमिताभ यश ने भी की. उनके मुताबिक, गिरफ्तार दूसरे ब्लड तस्कर का नाम अभिषेक पाठक, निवासी सिद्धार्थ नगर (यूपी) है l गिरफ्तार दोनों ब्लड तस्करों के कब्जे से 100 यूनिट रेड ब्लड सेल्स (PRBC), 21 से ज्यादा ब्लड बैंकों के कागजात, 2 रक्तदान शिविर बैनर, एक फोर्ड इकोस्पोर्ट कार, यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज सैफई, इटावा का परिचय पत्र, 5-5 मोबाइल और एटीएम कार्ड, 2 पैन कार्ड, डॉक्टर की मेंबरशिप का एक कार्ड व करीब 24 हजार रूपए नकद जब्त किए गए हैं.
5 साल बाद फिर हुआ भंडाफोड़ : उल्लेखनीय है कि 26 अक्टूबर 2106 को भी यूपी एसटीएफ ने इस तरह के इंसान के मिलावटी रक्त की खरीद-फरोख्त करने वाले एक सिंडीकेट का भांडाफोड़ गिया था l वो गैंग सेलाइन वॉटर मिलाकर इंसान के शुद्ध रक्त की तादाद काफी बढ़ा लेते थे l उसके बाद उसी मिलावटी रक्त को मुंहमांगे दाम पर बेचते थे l तभी से इस तरह के मानव रक्त की तस्करी करने वाले गैंग की निगरानी के लिए एसटीएफ ने, डिप्टी एसपी अमित कुमार नागर (एसटीएफ मुख्यालय लखनऊ) के नेतृत्व में एक टीम गठित की थी l इसी एसटीएफ टीम में शामिल राजेश मौर्या नाम के पुलिसकर्मी को इस गैंग के बारे में कुछ दिन पहले भनक लगी थी.
यूपी STF ने ऐसे घेरा मास्टरमाइंड : पता चला कि यह गैंग यूपी की राजधानी लखनऊ में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा से तस्करी करके लाए गए इस तरह के रक्त को मिलावट करने के बाद बेचता है l गैंग को रंगे हाथ दबोचने के लिए यूपी एसटीएफ मुख्यालय ने सब इंस्पेक्टर मनोज कुमार पाण्डेय, विनोद कुमार सिंह, हवलदार राजेश कुमार मौर्या, अशोक गुप्ता, रुद्र नारायण, अंजनी यादव, संतोष कुमार सिंह, सिपाही विजय वर्मा, अशोक राजपूत, कौशलेंद्र प्रताप सिंह, शिव वीर व नीरज की कई टीमें तैयार कीं l इन्हीं टीमों ने संदिग्ध ब्लड तस्करों को आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर गिरफ्तार कर लिया l गिरफ्तार डॉ. अभय सिंह ने एसटीएफ को बताया कि, ‘मैं सन् 2010 से लंबे समय तक एक ब्लड बैंक में एमओआईसी के पद पर नियुक्त था l सन् 2014 से मैं लखनऊ के एक अस्पताल में सलाहकार के पद पर तैनात रहा था.’
मोटी कीमत पर होती थी ब्लड की तस्करी : सन् 2015 में मुख्य आरोपी मथुरा के एक अस्पताल में भी सलाहकार के पद पर रहा. आरोपी ने कबूला है कि वो राजस्थान, पंजाब, हरियाणा आदि स्थानों पर रक्तदान कैंप लगाकर, इंसानों का खून एकत्रित किया करता था l गिरफ्तारी के वक्त उसके कब्जे से 45 यूनिट ब्लड बरामद भी हुआ. एक मकान पर छापा मारने के दौरान एसटीएफ टीमों को अभिषेक पाठक नाम का रक्त-दलाल भी मिला l उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया l अभिषेक के कब्जे से पुलिस को 55 यूनिट इंसानी ब्लड मिला l जोकि घर में इस्तेमाल होने वाली एक फ्रीज में छिपाकर रखा गया था l आरोपियों ने लखनऊ के ऐसे कई अस्पतालों और ब्लड बैंको के नाम भी कबूले हैं, जहां वे इस जानलेवा रक्त की तस्करी करते थे l पता चला है कि यह गैंग एक यूनिट मिलावटी रक्त की कीमत 6 हजार रूपए तक वसूलता था.