दुनिया का सबसे अच्छा है भारतीय लोकतंत्र: इं•भीमराज साहब
लखनऊ। संविधान सम्मान समिति तथा संत गाड्गे समाज सुधार सेवा समिति के संयुक्त तत्वाधान में गणतंत्र दिवस पर भारतीय संविधान सम्मान सम्मेलन बाबा संत गाड्गे कार्यालय में आयोजित किया गया। इसमें "बुद्धमय भारत के निर्माण में भारतीय संविधान की भूमिका" विषय पर संगोष्ठी हुई।
लखनऊ। संविधान सम्मान समिति तथा संत गाड्गे समाज सुधार सेवा समिति के संयुक्त तत्वाधान में गणतंत्र दिवस पर भारतीय संविधान सम्मान सम्मेलन बाबा संत गाड्गे कार्यालय में आयोजित किया गया। इसमें "बुद्धमय भारत के निर्माण में भारतीय संविधान की भूमिका" विषय पर संगोष्ठी हुई।
गोष्ठी में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवानिवृत इंजीनियर भीमराज ने कहा कि वर्तमान लोकतंत्र भारतीय संविधान पर आधारित है। भारत में 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू किया गया था। तब से अनवरत रूप से भारतीय संविधान के अनुसार भारत का लोकतंत्र क्रियाशील है।
वर्तमान में कुछ ऐसी ताकते पैदा हो रही हैं जो भारतीय संविधान को नुकसान पहुंचाने की लगातार चेष्टा करती रहती हैं, बावजूद भारत का लोकतंत्र अभी भी अनवरत रूप से कार्य कर रहा है। भारतीय संविधान में जो उद्देशिका है वह बुद्ध के विचारों से है जिसमें मानव- मानव के समान पर आधारित है जिसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए संविधान को अंगीकृत,अधिनियमित और आत्मार्पित किया गया है।
बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जो संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे, उन्होंने भारतीय संविधान को भारत के विकास एवं भारत में रहने वाले लोगों के विकास, शिक्षा, सुरक्षा आदि पर विशेष बल दिया। बाबा साहब चाहते थे कि भारत में शिक्षा का विशेष प्रचार-प्रसार हो ताकि भारत का प्रत्येक नागरिक शिक्षित हो जाए और अपने देश और लोकतंत्र की कटिबद्ध होकर रक्षा करे।
उन्होंने कहा कि गणतंत्र 26 जनवरी के दिन ही लागू किया गया था। हम अपनी निष्ठा पूरी सच्चाई के साथ अपने संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की सौगंध खाते हैं, कि हम संविधान को भारत में अखंड बनाए। सभा की अध्यक्षता भंते अमर बोधि ने किया। कार्यक्रम में प्रोफेसर रविकांत चंदन, बौद्धमती विमला देवी, देवेंद्र प्रताप यादव, यसपी राव, सुभाष चंद्र, राम लौट बौद्ध आदि लोग मुख्य रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सौरभ ने किया।
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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