जांच में दोषी पाए गए अफसर को बचाने में जुटा शासन : अपर मुख्य सचिव गृह व आईजी जेल को जेलर ने लिखा पत्र
डीआईजी जेल आगरा परिक्षेत्र व कमिश्नर मुरादाबाद कर चुके जांच, जांच अधिकारी बदले बगैर नहीं होगी निष्पक्ष जांच l दो स्तर पर हुई जांच में दोषी पाए गए अधीक्षक को बचाने की कवायद जारी है। शासन ने इस प्रकरण की विभागीय जांच कराए जाने का निर्देश दिया है।
लखनऊ : भ्रष्टाचार में लिप्त जेल अधीक्षक व शिकायतकर्ता जेलर के बीच पनपा विवाद दिनों दिन गहराता जा रहा है। दो स्तर पर हुई जांच में दोषी पाए गए अधीक्षक को बचाने की कवायद जारी है। शासन ने इस प्रकरण की विभागीय जांच कराए जाने का निर्देश दिया है। विभागीय जांच उस डीआईजी जेल को सौंपी गई है, जिन्हें जांच में कोई दोषी ही नहीं मिलता है।
शिकायतकर्ता जेलर ने जांच अधिकारी व दोषी अधीक्षक के बीच गहरे संबंध होने का आरोप लगाते हुए जांच अधिकारी बदले जाने की मांग की है। जेलर ने इस जांच अधिकारी के रहते निष्पक्ष जांच होने व शिकायतकर्ता के साथ अपराधियो जैसा सलूक किये जाने का आरोप लगाया है।
इस डीआईजी को जांच में नहीं मिलता कोई दोषी लखनऊ। प्रदेश कारागार विभाग में ले देकर जांच निपटाने के लिए चर्चित इस डीआईजी जेल को जांच में कोई अधिकारी दोषी ही नही मिलता है। लखनऊ परिक्षेत्र का प्रभार होने के समय लखनऊ जेल में एक बन्दी रायटर के पास से 35 लाख रुपये की नगदी बरामदी की जांच, आदर्श कारागार से दो कैदियों की फरारी, बन्दी से मारपीट कर वसूली की जांच में इन्हें कोई दोषी ही नही मिला। इसी प्रकार आगरा परिक्षेत्र में इनकी तैनाती के दौरान बागपत व नोएडा जेल में एक-एक बन्दी की हत्या, मथुरा जेल से चार बन्दियों की फरारी समेत रेंज की अन्य जेलों में हुई घटनाओं में इन्हें कोई अधिकारी दोषी ही नहीं मिला। सूत्रों की माने तो इस अधिकारी को ले देकर जांच निपटाने में महारत हासिल है। |
मुरादाबाद जेल में तैनाती (वर्तमान समय मे सुल्तानपुर) के दौरान जेल अधीक्षक ने जेल में जमकर बन्दियों से उगाही व भ्रष्टाचार किया। इसकी शिकायत इसी जेल के जेलर ने शासन व जेल मुख्यालय के अधिकारियों से की। सुनवाई नही होने पर जेलर न्यायालय की शरण मे गया।
न्यायालय के निर्देश पर मामले के जांच आगरा रेंज के तत्कालीन डीआईजी जेल आईपीएस अखिलेश कुमार से कराई गई। जांच में उन्होंने जेल अधीक्षक को दोषी ठहराते हुए उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही किये जाने की संस्तुति की। न्यायालय के निर्देश पर हुई इस जांच को दर किनार करके शासन ने इस प्रकरण की जांच कमिश्नर मुरादाबाद से कराए जाने का निर्देश दिया।
इस जांच में भी तत्कालीन जेल अधीक्षक को दोषी ठहराया गया। शासन ने दोषी अधीक्षक के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाए आरोपी अधीक्षक की विभागीय कार्यवाही का निर्देश दे दिया। विभागीय जांच प्रयागराज, अयोध्या परिक्षेत्र के साथ जेटीएस लखनऊ के प्रभार देख रहे डीआईजी जेल संजीव त्रिपाठी को सौंपी गई।
नवनियुक्त जांच अधिकारी डीआईजी जेल संजीव त्रिपाठी की कार्यप्रणाली पर शिकायतकर्ता जेलर ने गंभीर आरोप लगाते हुए जांच अधिकारी बदले जाने की मांग की है। जेलर ने अपर मुख्य सचिव गृह व आईजी जेल को पत्र भेजकर डीआईजी जेल पर आरोप लगाया है कि वह शिकायतकर्ता के साथ अपराधियो जैसा व्यवहार कर रहे है।
उन्होंने आरोप लगाया है कि डीआईजी व दोषी अधीक्षक के बीच काफी पुराने व गहरे संबंध है। कई जेलों पर दोनों एक साथ तैनात रह चुके है। इनके बीच व्यक्तिगत, पारिवारिक व कारोबारी संबंध है। जांच अधिकारी ने नियम विरुद्ध निजी आवास व सरकारी आवास पर नोटिस चस्पा कराकर उन्हें बदनाम करने की साजिश की। इनके रहते निष्पक्ष जांच हो पाना संभव नही है। उन्होंने एसीएस होम व आईजी जेल से जांच अधिकारी बदले जाने की मांग की है।
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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