यूपी में 2020-21 में अवैध खनन को लेकर 21,641 छापे मारे गए, सवा 4 साल में 38 खनन माफिया पर गैंगस्टर एक्ट, 124 पर 843 मुकदमें दर्ज
अवैध खनन और परिवहन पर रोक के लिए यूपी सरकार ने इंटीग्रेटेड माइनिंग सर्विलांस सिस्टम (आईएमएसएस) विकसित किया है। सवा चार साल में यूपी सरकार को12 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व मिला है।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में इस साल जुलाई तक 38 खनन माफिया पर गैंगेस्टर अधिनियम के तहत कार्यवाही की गई है। इसमें 14 खनन माफिया की 52 करोड़ से अधिक मूल्य की संपत्ति जब्त की गई है। साथ ही एक आरोपी की कुर्की की गई है और 74 आरोपियों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्यवाही की गई है। इसके अलावा प्रदेश में 124 खनन माफिया की पहचान कर 843 मुकदमे दर्ज किए गए हैं और 80 को गिरफ्तार किया गया है। इस बात का दावा उत्तर प्रदेश सरकार ने किया है।
मुख्य बातें
- वित्तीय वर्ष 2020-21 में अवैध खनन को लेकर 21,641 छापे मारे गए।
- प्रदेश में 124 खनन माफिया की पहचान कर 843 मुकदमे दर्ज किए गए हैं और 80 को गिरफ्तार किया गया है।
- सवा चार साल में यूपी सरकार को12 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व मिला है।
यूपी में अवैध खनन एक बड़ा मुद्दा : उत्तर प्रदेश में अवैध खनन हमेशा से एक बड़ा मुद्दा है। पिछली सरकारों के समय जिस तरह से अवैध खनन को बढ़ावा मिला, उसकी वजह से यह गैर कानूनी कमाई का बढ़ाई जरिया बना गया। आलम यह रहा है कि सपा सरकार के समय खनन मंत्री गायत्री प्रजापित ईडी और सीबीआई के रडार पर हैं। ईडी उन पर आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच कर रहा है।
अवैध खनन को रोकने के लिए इन बातों पर जोर : पिछले सवा चार साल में खनन से सरकार को 12 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व भी मिला है। साल 2016-17 में खनन विभाग को 1457 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। बढ़ी कमाई की वजह पर भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग का कहना है अवैध खनन और परिवहन पर रोक के लिए इंटीग्रेटेड माइनिंग सर्विलांस सिस्टम (आईएमएसएस) विकसित किया गया है। साथ ही पारदर्शिता से खनन की अनुमति के लिए ऑनलाइन सिस्टम शुरू किया गया।
इसी आधार पर जुलाई तक 213 खनन योजना को अनुमति दी गई है। इसके अलावा खनन पट्टा क्षेत्रों से परिवहन के लिए कंप्यूटर जनित ईएमएम सिस्टम से 1,80,92,026 से अधिक परिवहन पेपर का जेनरेशन किया गया। इसकी वजह से आय में बढ़ोतरी हुई है। इसके तहत वित्तीय वर्ष 2017-18 में 3244.57 करोड़, वित्तीय वर्ष 2018-19 में 3164.51 करोड़, वित्तीय वर्ष 2019-20 में 2177.49 करोड़, 2020-21 में 3120.97 करोड़ रुपए और वित्तीय वर्ष 2021-22 में जुलाई तक 712.11 करोड़ रुपये की आय हुई है। इसके अलावा अब उपभोक्ता खुद खनन सामग्री को यूपी मिनरल मार्ट पोर्टल से सीधे खरीद सकते हैं।
छापे मारी पर जोर : विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 में 21,641 छापे मारे गए, जिसमें 77.55 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में जमा कराए गए हैं। इसी तरह मौजूदा वित्तीय वर्ष 2021-22 में जुलाई तक 7349 छापे मारे गए, जिसमें 30.19 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में जमा कराया गए हैं। साथ ही मुकदमें भी दर्ज कराए गए।