लखनऊ जेल में थम नही रहा भ्रष्टाचार : अपर मुख्य सचिव गृह पर भारी लखनऊ जेल अधिकारी,अवैध वसूली, आत्महत्या व नगद बरामदगी पर नहीं हुई कोई कार्यवाही
गल्ला गोदाम के रायटर बन्दी की मुखबरी पर जेल अधिकारियों ने खाली बोरो के गोदाम से 35 लाख के नोटों से भरा एक बोरा बरामद किया था। आनन फानन में अधिकारियों ने एक लाख 16 हज़ार की बरामदगी दिखाकर मिली मोटी रकम को मार दिया। मामला सुर्खियों में आने पर जेल विभाग के मुखिया ने इसकी जांच तत्कालीन डीआईजी संजीब त्रिपाठी से कराई। उन्होंने भी कार्यवाही करने के बजाए ले देकर पूरे मामले को ही रफादफा कर दिया था। जेल में राशन कटौती, कैंटीन, मशक्कत, पीसीओ, एमएसके से प्रतिमाह 50 से 55 लाख रुपये की उगाही हो रही है
लखनऊ। राजधानी की जिला जेल में अराजकता का माहौल बना हुआ है। इस जेल बन्दियों से पीट-पीट कर वसूली की जा रही है। पिटाई से अपमानित होकर अवसाद में आने वाले बन्दी आत्महत्या करने को विवश हो रहे है। शासन में बैठे आला अफसर मोटी रकम वसूल करने की वजह से घटनाओं के बाद भी दोषी जेल अधिकारियों को बचाने की कवायद में जुटे हुए है। इसको लेकर विभागीय कर्मियों में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है कि जेल अधिकारियों व सुरक्षाकर्मियों के हक पर डाका डालने वाले जेल अधीक्षक के खिलाफ कार्यवाही करने से अपर मुख्य सचिव गृह भी कतरा रहे है। कहा जा रहा है कि स्वजातीय होने की वजह से कार्यवाही नही की जा रही है।
राजधानी की लखनऊ जेल बीते करीब छह माह से घटनाओं को लेकर सुर्खियों में बनी हुई है। कभी जेल में वसूली को लेकर की गई पिटाई से अवसाद में आकर बन्दी आत्महत्या कर लेते है तो कभी रायटर बन्दियों के बीच होने वाली मारपीट की घटना से जेल के गल्ला गोदाम में भारी मात्रा में नकदी की बरामदगी।
सूत्रों की मानें तो गल्ला गोदाम के रायटर बन्दी की मुखबरी पर जेल अधिकारियों ने खाली बोरो के गोदाम से 35 लाख के नोटों से भरा एक बोरा बरामद किया था। आनन फानन में अधिकारियों ने एक लाख 16 हज़ार की बरामदगी दिखाकर मिली मोटी रकम को मार दिया। मामला सुर्खियों में आने पर जेल विभाग के मुखिया ने इसकी जांच तत्कालीन डीआईजी संजीब त्रिपाठी से कराई। उन्होंने भी कार्यवाही करने के बजाए ले देकर पूरे मामले को ही रफादफा कर दिया था। जेल में राशन कटौती, कैंटीन, मशक्कत, पीसीओ, एमएसके से प्रतिमाह 50 से 55 लाख रुपये की उगाही हो रही है।
आलम यह है कि गल्ला गोदाम प्रभारी डिप्टी जेलर सुरक्षा के बजाए राशन की घटतौली व कटौती में जुटे रहते है। कैंटीन की बिक्री बढ़ाने के लिए बंदियों के राशन में पचास से साठ फीसद कटौती कर प्रतिमाह 40 से 45 लाख रुपये का वारा न्यारा कर रहे है। यही काम यह अधिकारी सरसों का तेल, रिफाइंड व घी की खरीद में भी करते है। जेल अधीक्षक की रजामंदी से हो रही राशन कटौती, मशक्कत, कैंटीन, पीसीओ व एमएसके की खरीद फरोख्त मद से जेल में प्रतिमाह लाखों रुपये की कमाई कर जेब भरने में जुटे हुए है।
इस सच की पुष्टि जेल में होने वाली खरीद फरोख्त के दस्तावेजो व बिलों से की जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि इस मोटी कमाई का एक हिस्सा शासन में बैठे आला अफसरों के पास पहुँचाया जाता है। यही नही कमाई के लिए अधीक्षक मातहत अधिकारियों व सुरक्षाकर्मियों का हक तक मार देते है। तमाम घटनाओं के बाद भी भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों (अधीक्षक) के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की जा रही है।
मालूम हो कि पिछले दिनों लखनऊ जेल में सीतापुर जनपद के थाना बिसवां जलालपुर निवासी रूपेश कुमार पुत्र मेवा लाल लूट व अवैध तरीके से चोरी का सामान रखने के आरोप में जेल भेजे गए बन्दी ने आत्महत्या कर ली थी। बैरेक के शौचालय में अंगौछे से फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लेने की घटना से जेल के बन्दियों में हड़कंप मच गया। सूत्रों का कहना जेल प्रशासन के उत्पीड़न व वसूली से आजिज आकर बन्दी जान देने को विवश हुआ। इससे बन्दियों में खासा आक्रोश व्याप्त है। जेल में बन्दियों का आरोप है कि मारपीट कर बन्दियों से वसूली की जा रही है। बन्दी रूपेश के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। इससे आजिज आकर उसने आत्महत्या कर ली। इस मामले की जांच जरूर कराई गयी लेकिन डीआईजी जेल ने ले देकर दोषी अफसरों को बचाते हुए किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गई। उधर जेल मुख्यालय के आला अफसर इस गंभीर मामले पर कुछ भी बोलने से बच रहे है।
लंबे समय से एक जेल पर जमे जेलर हटेंगे! लखनऊ। अभी दो दिन पहले कारागार विभाग के आधा दर्जन से अधीक्षक के तबादले किये गए। अब लंबे समय से एक ही जेल पर जमें जेलरों को हटाए जाने की कवायद शुरू हो गयी है। इससे जेलर संवर्ग के अधिकारियों में खलबली मची हुई है। सूत्रों का कहना है कि लंबे समय से एक ही जेल पर जमें अधीक्षक व जेलर विधानसभा चुनाव को प्रभावित कर सकते है। इसी के चलते अधिकारियों को इधर-उधर करने की कवायद अधीक्षक के तबादलो से हो गयी है। इसी कड़ी में कई जेलरों को भी स्थानांतरित किया जा रहा है। बताया गया है जेलो में बंद दबंग बन्दियों को ग्रामीण क्षेत्रो में खासा प्रभाव होता है। लंबे समय से जमे अधिकारी चुनाव प्रभावित कर सकते है। |
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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