मुजफ्फरनगर जेल में अफसर हो रहे मालामाल : कैदियों का राशन काटकर जेब भरने में जुटे अफसर, मुलाकात, मशक्कत, कैंटीन, पीसीओ से हो रही मोटी कमाई
सुरक्षा के बजाए बन्दियों से वसूली में लगे रहते जेल अफसर : विभाग के उच्च अधिकारी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाए उन्हें संरक्षण देने में जुटे हुए है। हकीकत यह है कि अधिकारी इन मदों में उगाही कर प्रतिमाह लाखों के वारे न्यारे कर जेब भरने में जुटे हुए है। उगाही के इन मदों की जांच कराई जाए तो सच खुद ही सामने आ जायेगा।
लखनऊ। मुजफ्फरनगर जेल में राशन कटौती, मुलाकात, मशक्कत, कैंटीन, पीसीओ से अंधाधुंध कमाई कर अधिकारी मालामाल हो रहे है। विभाग के उच्च अधिकारी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाए उन्हें संरक्षण देने में जुटे हुए है। हकीकत यह है कि अधिकारी इन मदों में उगाही कर प्रतिमाह लाखों के वारे न्यारे कर जेब भरने में जुटे हुए है। उगाही के इन मदों की जांच कराई जाए तो सच खुद ही सामने आ जायेगा।
जेल नियमो के मुताबिक जेल में निरुद्ध सजायाफ्ता कैदी को प्रतिदिन 700 ग्राम और विचाराधीन बंदी को 540 ग्राम आटा, सप्ताह में दो बार 235 ग्राम चावल, प्रतिदिन 90 ग्राम दाल, 230 ग्राम सब्जी, पूड़ी के लिए 90 ग्राम डालडा घी, 40 ग्राम चीनी के साथ राजमा, सोयाबीन, उरद बरी, गुड़ समेत अन्य खानपान की वस्तुए दिए जाने की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही सप्ताह में एक दिन बंदियों को विशेष भोजन के रूप में हलुआ-पूड़ी दिए जाने का प्रावधान है। कैदियों के लजीज भोजन की यह व्यवस्था कागजो में सिमटने के साथ अधिकारियों की कमाई का जरिया बन गयी है। अधिकारी बंदियों का पेट काटकर लाखो के वारे-न्यारे करने में जुटे हुए है।
सूत्रों का कहना है कि जेल में गल्ला गोदाम प्रभारी डिप्टी जेलर से जेल की सुरक्षा के बजाय हमेशा घटतौली कराने में जुटे रहते है। मुजफ्फरनगर जेल में क्षमता से तीन गुना अधिक बन्दी निरुद्ध है। वर्तमान समय मे इस जेल में करीब चार हज़ार बंदी निरुद्ध है। बंदियों के अनुपात में मंगवाए जाने वाले गेंहू-चावल की खरीद-फरोख्त में जमकर गोलमाल किया जा रहा है। मसलन एक कुंतल आटे की खपत होने पर 45 से 50 किलो आटा ही मंगाया जाता है। इसी प्रकार एक कुंतल चावल की जगह 50 से 55 किलो ही मंगाकर काम चलाया जाता है। यही हाल घी व सरसो के तेल की खरीद में भी किया जाता है। कम खरीद फरोख्त कर जेल अफसर प्रतिमाह लाखो रुपये का वारा-न्यारा करने में जुटे हुए है।। सूत्रों की माने तो मुजफ्फरनगर जेल में अधिकारी राशन कटौती, मुलाकात, मशक्कत, विविध वस्तुओ की खरीद-फरोख्त, कैंटीन के साथ पीसीओ मद से करीब तीस से चालीस लाख रुपये प्रतिमाह कमाई कर जेब भरने में लगे है। इसकी पुष्टि जेल में होने वाली खरीद फरोख्त के बिलो से की जा सकती है। उधर जेल मुख्यालय के अधिकारी इस मसले पर कोई भी टिप्पणी करने से बचते नज़र आये।
मेरठ जेल अफसरों पर नही हुई कोई कार्यवाही! लखनऊ। मेरठ मंडलीय कारागार में अराजकता का दौर थमने का नाम नही ले रहा है। जेल में कैंटीन की बिक्री बढ़ाने के लिए घटिया भोजन परोसे जाने की शिकायत काफी पहले हो चुकी है। इसके बावजूद शासन व मुख्यालय के अधिकारी इस गम्भीर मसले पर कार्यवाही करने के बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए है। मालूम हो कि शासन मे सीटिंग गेटिंग कर वरिष्ठ अधीक्षक वाली मेरठ मंडलीय कारागार पर अधीक्षक राकेश वर्मा ने अपनी तैनाती करा ली थी। नए अधीक्षक का विवादों से गहरा नाता रहा है। मथुरा के बहुचर्चित गोली कांड जिसमे चार बन्दियों की मौत हो गयी थी। यह इस जेल पर लंबे समय तक तैनात राह चुका था। इसके बाद भी पुनः इसे मेरठ जेल पर तैनात कर दिया गया। |
राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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