Teachers Day: राष्ट्रपति कोविंद ने 44 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से किया सम्मानित, कहा- महामारी के बावजूद बेहतरीन काम जारी रखा

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद शिक्षकों ने खुद को नए तरीके से ढाल कर पढ़ाने का काम जारी रखा. उन्होंने कहा कि शिक्षक समुदाय से उनकी उम्मीद है कि वे बदलती परिस्थिति के अनुरुप अपने पढ़ाने के तरीके में भी बदलाव करते रहेंगे

Teachers Day: राष्ट्रपति कोविंद ने 44 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से किया सम्मानित, कहा- महामारी के बावजूद बेहतरीन काम जारी रखा
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

शिक्षक दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को वर्चुअल तरीके से 44 शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया. राष्ट्रपति ने पुरस्कार पाने वाले सभी शिक्षकों की तारीफ करते हुए कहा कि उनका यह विश्वास और मजबूत होता है कि भावी पीढ़ियों का निर्माण सुयोग्य शिक्षकों के हाथों में सुरक्षित है. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हुए कहा कि वे एक विद्वान और दार्शनिक थे, वे कई पदों पर रहे, लेकिन वे चाहते थे कि उन्हें एक शिक्षक के रूप में ही याद किया जाए. डॉ राधाकृष्णन की जयंती को ही देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है.

राष्ट्रपति कोविंद ने संबोधन में अपने शिक्षकों को याद किया और कहा, “सबके जीवन में अपने शिक्षकों का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है. आज तक मुझे अपने आदरणीय शिक्षकों की याद आती रहती है. मैं खुद को सौभाग्यशाली महसूस करता हूं कि राष्ट्रपति का कार्यभार ग्रहण करने के बाद, मुझे अपने स्कूल में जाकर, अपने वयोवृद्ध शिक्षकों का सम्मान करने और उनका आशीर्वाद लेने का अवसर मिला था.”

उन्होंने आगे कहा, “मेरे पूर्ववर्ती राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम एक वैज्ञानिक के रूप में अपनी सफलता का श्रेय अपने शिक्षकों को दिया करते थे. वे अपने स्कूल के एक शिक्षक के विषय में बताया करते थे जिनके पढ़ाने की रोचक शैली के कारण बचपन में ही उनमें एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने की ललक पैदा हुई. डॉ कलाम छात्रों को पढ़ाने के लिए इतने उत्साहित रहते थे कि उन्हें जब भी मौका मिलता तो वे इसमें लग जाते.”

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों का कर्त्तव्य है कि वे अपने छात्रों में पढ़ाई के प्रति रुचि पैदा करें. संवेदनशील शिक्षक अपने व्यवहार, आचरण और पढ़ाने के तरीके से छात्रों का भविष्य संवार सकते हैं. उन्होंने कहा, “हमारी शिक्षा-व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिससे छात्रों में संवैधानिक मूल्यों और नागरिकों के मूल कर्तव्यों के प्रति निष्ठा पैदा हो, देश के प्रति प्रेम की भावना मजबूत बने और बदलते वैश्विक परिदृश्य में वे अपनी भूमिका के बारे में सचेत रहें.”

हर छात्र की अलग क्षमता और मनोविज्ञान- राष्ट्रपति : उन्होंने कहा कि शिक्षकों को ध्यान रखना चाहिए कि हर छात्र की क्षमता अलग होती है, उनकी प्रतिभा अलग होती है, मनोविज्ञान अलग होता है, सामाजिक पृष्ठभूमि और परिवेश भी अलग-अलग होता है. इसलिए हर एक बच्चे की विशेष जरूरतों, रुचियों और क्षमताओं के अनुसार उसके सर्वांगीण विकास पर जोर देना चाहिए.

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद शिक्षकों ने खुद को नए तरीके से ढाल कर पढ़ाने का काम जारी रखा. कुछ शिक्षकों ने अपने स्कूलों में अपनी मेहनत से बुनियादी सुविधाओं को बेहतर किया है. उन्होंने कहा कि शिक्षक समुदाय से उनकी उम्मीद है कि वे बदलती परिस्थिति के अनुरुप अपने पढ़ाने के तरीके में भी बदलाव करते रहेंगे.