सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र में रोचक हुआ मुकाबला : भाजपा की रूठे दावेदारों को मनाकर जंग जीतने की तैयारी, कांग्रेस व बसपा बिगाड़ सकती दलों का गणित

भाजपा प्रत्याशी सीट के दावेदारों, नाराज कार्यकर्ताओ को मनाकर चुनाव वैतरणी पार करने की तैयारी में लगे हुए है, वहीं सपा प्रत्याशी स्थानीय नेताओं के जबरदस्त विरोध एवम बागियों को झेलते हुए विजय की जुगत में लगे है। कांग्रेस व बसपा प्रत्याशी इन दोनों दलों का गणित बिगाड़कर चौकाने वाला नतीजा भी दे सकते है।

सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र में रोचक हुआ मुकाबला : भाजपा की रूठे दावेदारों को मनाकर जंग जीतने की तैयारी, कांग्रेस व बसपा बिगाड़ सकती दलों का गणित

लखनऊ। राजधानी की सरोजनीनगर विधानसभा का चुनाव इस बार दिलचस्प हो गया है। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ी इस सीट पर त्रिकोणीय होने की संभावना नज़र आ रही है। भाजपा प्रत्याशी सीट के दावेदारों, नाराज कार्यकर्ताओ को मनाकर चुनाव वैतरणी पार करने की तैयारी में लगे हुए है, वहीं सपा प्रत्याशी स्थानीय नेताओं के जबरदस्त विरोध एवम बागियों को झेलते हुए विजय की जुगत में लगे है। कांग्रेस व बसपा प्रत्याशी इन दोनों दलों का गणित बिगाड़कर चौकाने वाला नतीजा भी दे सकते है। फिलहाल ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो दस मार्च को सामने आएगा लेकिन इस बार सीट पर जोरदार मुकाबला होगा।

मुख्य बातें

  • भाजपा की रूठे दावेदारों को मनाकर जंग जीतने की तैयारी
  • कांग्रेस व बसपा बिगाड़ सकती दलों का गणित
  • बाहरी उम्मीदवारों का मतदाताओं को रिझाना होगी बड़ी चुनौती 

सरोजनीनगर विधानसभा सीट पर भाजपा ने ईडी के संयुक्त निदेशक रहे राज राजेश्वर सिंह को प्रत्याशी बनाया है। समाजवादी पार्टी ने अभिषेक मिश्रा को कांग्रेस ने रुद्र दमन सिंह उर्फ बबलू सिंह को बसपा ने जलीस खान, आप पार्टी ने रोहित श्रीवास्तव को अपना उम्मीदवार बनाया है।  2022 के लिए हो रहे चुनाव में नामांकन प्रक्रिया के बाद जो तस्वीर सामने आई है उसमें इस सीट पर भाजपा और सपा ने बाहरी नेताओ को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस व बसपा ने क्षेत्र के नेताओ को मैदान में उतारा है। इससे इस क्षेत्र में लड़ाई दिलचस्प हो गयी है।

सरोजनीनगर सीट पर अधिक समय तक सपा व कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। दो बार यहां मतदाताओं ने बसपा को भी जिताया। 2017 में पहली बार भाजपा की लहर में इस सीट पर भाजपा की जीत हुई। इससे पहले इस सीट पर भाजपा का प्रदर्शन काफी निराशाजनक ही रहा।

दो दशक पहले कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली सरोजनीनगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व 1993 में समाजवादी पार्टी के श्याम किशोर यादव ने तोड़ा था। वर्ष-1991के बाद से इस सीट पर आज तक कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल नहीं की है। इस बार इस सीट पर दो बार निर्दलीय  प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ चुके रुद्र दमन सिंह बबलू को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है। भाजपा और सपा का प्रत्याशी बाहरी होने की वजह इस बार के चुनाव में चौकाने वाला परिणाम भी आ सकता है। वर्ष- 1967 से इस सीट पर पांच बार कांग्रेस, एक बार जनता पार्टी, एक बार जनता दल, तीन बार सपा, दो बार बसपा व एक बार निर्दलीय का कब्जा रहा है।

स्थानीय लोगो के मुताबिक भाजपा प्रत्याशी राज राजेश्वर सिंह इन दिनों टिकट के प्रबल दावेदारों, रुष्ठ कार्यकर्ताओ से मान मनौवल कर चुनाव में विजयश्री हासिल करने की कवायद में जुटे हुए है। सच यह है इस नए उम्मीदवार को स्थानीय कार्यकर्ता नही संगठन चुनाव वैतरणी पार कराने में लगा है। संगठन ने इस नए उम्मीदवार को जिताने की जिम्मेदारी ने एक मंत्री को सौंपी है। इससे बुरा हाल सपा उम्मीदवार का है। सपा उम्मीदवार को टिकट के दावेदारों के साथ बागियों का भी सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के टिकट के करीब आधा दर्जन ऐसे दावेदार थे जिन्होंने क्षेत्र में होर्डिंग, बैनर व पोस्टर लगाकर दावेदारी पेश की, यही नही कई ने प्रचार तक शुरू कर दिया था। यह दावेदार ऊपर से थोपे गए बाहरी प्रत्याशी का कितना साथ देंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा। प्रमुख दो दलों के बाहरी प्रत्याशी होने की वजह से स्थानीय लोगो मे चर्चा है कि क्षेत्र में एक बार फिर से कांग्रेस का दौर लौटने जा रहा है। परिणाम क्या होगा यह तो दस मार्च को पता चलेगा लेकिन कांग्रेस व बसपा के प्रत्याशियों के स्थानीय व मजबूत पकड़ होने की वजह से इस बार इस क्षेत्र से चौकाने वाला नतीजा आने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है।

क्षेत्र का होना चाहिए विधायक

लखनऊ। सांसद भले ही दूर का ही विधायक क्षेत्र का ही होना चाहिए। काम पड़ने पर विधायक के क्षेत्रीय होने पर आसानी से मिला जा सकता है। बाहरी से मिलना कठिन होता है। ऐसा मानना है स्थानीय जनता है। लोगो का कहना है कि स्थानीय उम्मीदवार उनकी पहली प्राथमिकता होगी। कमलापुर गाँव निवासी शिक्षक राम मनोहर कहते है भाजपा-सपा ने बाहरी प्रत्याशी देकर मतदाताओं को पशोपेश में डाल दिया है। उन्होंने बताया कि 2017 को छोड़ दीजिए तो  इस क्षेत्र में लड़ाई हमेशा सपा-बसपा के बीच ही रही है। इस बार की लड़ाई तो क्षेत्रीय व बाहरी के बीच हो गयी है। नतीजा क्या होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

2017 विधानसभा चुनाव का परिणाम

उम्मीदवार   पार्टी     वोट
स्वाति सिंह  भाजपा 1,08,506
अनुराग यादव सपा    74,327
शंकरी सिंह।    बसपा 71,791


राकेश यादव

स्वतंत्र पत्रकार
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