महिला आयोग अध्यक्ष के आदेश का अनुपालन आसान नहीं!

करवा चौथ मनवाने को लेकर जारी किया गया आदेश आदेश को लेकर जेल अफसरों में मची खलबली

महिला आयोग अध्यक्ष के आदेश का अनुपालन आसान नहीं!
नारी बंदी निकेतन

लखनऊ। जेलों में करवा चौथ मनवाने को लेकर महिला आयोग अध्यक्ष के आदेश का अनुपालन करा पाना आसान नहीं है। इस आदेश को लेकर जेल अफसरों में खलबली मची हुई है। प्रदेश की जेलों में हर वर्ष करवा चौथ का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता रहा है। इस बार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने महिला बंदी के पति और महिलाओं को अपने बंदी पति के सामने जाकर पूजा करवाकर व्रत पूरा कराए जाने का निर्देश दिया है। मामला महिला आयोग से जुड़ा होने के कारण कारागार विभाग के अधिकारी इस मामले पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।

प्रदेश की जेलों में हर साल करवा चौथ का पर्व धूमधाम से मनाया जाता रहा है। जेल प्रशासन के अधिकारी करवा चौथ का उपवास रखने के लिए महिला बंदियों को पूजन सामग्री उपलब्ध कराने के साथ ही उनके फलाहार की भी व्यवस्था की जाती है। चांद निकलने पर महिला बंदी बैरकों से निकल कर एकत्र होती है और सामूहिक पूजा अर्चना कर अर्ध देकर उपवास खत्म करती रही हैं

महिला आयोग अध्यक्ष का नहीं उठा फोन

करवा चौथ पर जारी किए गए आदेश के संबंध में जब राज्य महिला आयोग अध्यक्ष बबिता सिंह चौहान से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन ही नहीं उठा। पहले प्रयास में आयोग अध्यक्ष का फोन उठाने वाले व्यक्ति ने बताया कि अध्यक्ष जी इस समय मीटिंग में है। आधे घंटे बाद बात हो पाएगी। करीब 45 मिनट के बाद जब कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन ही नहीं उठा।

इस बार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता सिंह चौहान ने करवा चौथ को लेकर एक आदेश जारी किया। प्रदेश के समस्त डीएम को भेजे गए आदेश में कहा गया है कि महिला जेल के अलावा पात्र पुरुष बंदियों की पत्नियों को भी कारागार में बुलाकर करवा चौथ का व्रत पूरा कराए। आदेश के बाबत जब जेल अधिकारियों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि यह आदेश व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने बताया कि महिला जेल में प्रदेश भर की चयनित महिला कैदी है। गाजियाबाद, मैनपुरी, मेरठ, बुलंदशहर, सहारनपुर समेत अन्य जनपदों की महिला कैदियों के पतियों को बुला पाना आसान नहीं है। जिला जेलों में तो यह संभव ही नहीं हो पाएगा। जेलों में साढ़े तीन से चार हजार बंदी निरुद्ध हैं। इतनी बड़ी संख्या में रात के वक्त महिलाओं को प्रवेश दिला पाना संभव ही नहीं है। उन्होंने बताया कि जो आ जाएगा उसकी करा दी जाएगी। महिला बंदियों के पतियों को बुलाने की जेल मैनुअल में कोई व्यवस्था ही नहीं है।