कुकरैल जंगल होते हुए शहर आया तेंदुआ : शाम को बाहर न निकलने की अपील, अब तक 15 लोगों को कर चुका घायल, घर में कैद 1000 से ज्यादा परिवार
सुबह पांच बजे शहर के कल्याणपुर इलाके में तेंदुआ दिखा था, उसने एक महिला को घायल भी किया , जिसको करीब 25 टांके लगाने पड़े। तब से लेकर सोमवार दोपहर 12 बजे तक तेंदुआ का कोई पकड़ नहीं आया है। इस दौरान करीब 30 लोगों की टीम उसको पकड़ने में लगी है। स्थिति यह है कि करीब एक हजार से ज्यादा परिवार घरो में कैद है।
वन विभाग का दावा है कि रेस्क्यू करने के लिए सबसे अच्छे उपकरण लखनऊ टीम के पास है। उनके पास करीब 30 लोगों की टीम है। लेकिन यह तीस लोगों की टीम पिछले 55 घंटे से लखनऊ शहर के अंदर आए तेंदुआ को नहीं पकड़ पाई है। एक बार मौका लगा भी तो टीम के लोग डर के भाग गए। जाल में फंसा तेंदुआ बाहर निकल आया और एक फोटोग्राफर को घायल भी कर दिया। शनिवार सुबह पांच बजे शहर के कल्याणपुर इलाके में तेंदुआ दिखा था, उसने एक महिला को घायल भी किया , जिसको करीब 25 टांके लगाने पड़े। तब से लेकर सोमवार दोपहर 12 बजे तक तेंदुआ का कोई पकड़ नहीं आया है। इस दौरान करीब 30 लोगों की टीम उसको पकड़ने में लगी है। स्थिति यह है कि करीब एक हजार से ज्यादा परिवार घरो में कैद है।
करीब पांच से साज बार इसको सीसीटीवी कैमरे में देखा गया है। लेकिन पिछले करीब 40 घंटे से उसका कोई पता नहीं है। अब कल्याणपुर और आस-पास रहने वाले लोगों को यह भी नहीं पता कि तेंदुआ है या शहर के बाहर चला गया है। इसकी वजह से लोगों को घर से निकलना दूभर हो गया है। इलाके में रहने वाली कामिनी सिंह बताती हैं कि उनके घर से कोई बाहर नहीं निकल रहा है। जरूरी काम होने के बाद भी लोगों में डर बना रहता है।
शाम को बाहर न निकलने की अपील : केशव नगर, रिंग रोड, सहारा एस्टैट और आस-पास इलाके में रहने वाले लोगों से शाम को बाहर न निकलने की सलाह जारी की गई। अभी तक तेंदुआ पकड़ में नहीं आया है। ऐसे में एहतियात बरतते हुए वन विभाग की टीम ने यह निर्देश जारी किया है।
कुकरैल जंगल होते हुए शहर आया : मुख्य प्रधान वन संरक्षक पीके श्रीवास्वत बताते हैं कि यह कुकैरल जंगल होते हुए शहर में आया है। शहर के जिन इलाकों में यह तेंदुआ देखा गया है सभी कुकरैल के पास के इलाके है। कुकरैल जंगल बाराबंकी के जंगलो को टच करता है, जो बहराज तक जाता है। यहां से कतर्निया का इलाका जुड़ा हुआ है, जहां तेंदुआ पाए जाते है। वन विभाग के अनुसार यह करीब 3 साल का तेंदुआ है। अब इसको अपना इलाका बनाना है, उसी के चक्कर में यह भटक गया है।
ठंड पर शिकार के लिए मेहनत बढ़ जाती है : ठंड में शिकार के लिए मेहनत बढ़ जाती है। ऐसे में अक्सर शिकार के तालाश में बहुत आगे निकल आते हैं। इसमें यह नदी का किनारा पकड़ते है। जिससे कि पानी की कभी कमी न पड़े। डीएफओ रवि कुमार का कहना है कि लखनऊ के आस- पास मलिहाबाद, बाराबंकी, सीतापुर और लखीमपुर खिरी के जंगलो से यह आ सकता है। फिलहाल दो दिन से वह शहर में नहीं देखा गया है। हालांकि टीम सर्च जारी किए हुए है।
पहले भी शहर के अंदर आ चुका तेंदुआ : इससे पहले भी शहर के अंदर तेंदुआ आ चुका है। उसके अलावा मलिहाबाद के इलाके में आए दिन बाघ देखे जाने की सूचना तो कभी अफवाह सुनने को मिलती है। 13 जनवरी 2018 को ठाकुरगंज इलाके में तेंदुआ आया है। यहां तेंदुआ सेंट फ्रांसिस मूक बधिर स्कूल में घुस गया था। उस समय बच्चे छात्रावास में रह रहे थे। तब बच्चों ने खुद को छात्रावास में कैद कर लिया था। तब करीब 6 घंटे की मशक्कत के बाद भी तेंदुआ नहीं मिला था। उसके बाद 14 फरवरी 2018 आशियान इलाके में तेंदुआ घुसा था। उस समय करीब 48 घंटे तक कोई पकड़ नहीं पाया था। तीसरे दिन तेंदुआ एक घर में घुस गया। आशियाना के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक त्रिलोकी सिंह अपनी टीम के साथ पहुंचे। वह घर के लोगों के बाहर निकाल रहे थें कि तेंदुए ने हमला कर दिया। इंस्पेक्टर ने बचाव के लिए सर्विस पिस्तौल से फायर कर दिया, जिसमें उसकी मौत हो गई। |