कारागार मुख्यालय से चलाई जा रहीं प्रदेश की जेल!
अधूरी फतेहगढ़ के बाद झांसी में ओपन जेल बनाने की तैयारी अव्यवस्थाओं को लेकर कई जेलों को लगाई फटकार
लखनऊ। राजधानी स्थित कारागार मुख्यालय से प्रदेश की जेल चलाई जा रही हैं। यह बात सुनने और पढ़ने में भले ही अटपटी लगे लेकिन बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई जेलों की समीक्षा के दौरान यह सच देखने मिला। समीक्षा के दौरान अधिकारियों ने जेलों में सुरक्षाकर्मियों और नंबरदारो की ड्यूटी में मातहत अधिकारियों को रोस्टर प्रणाली लागू किए जाने का निर्देश दिया। यही नहीं फतेहगढ़ में ओपन जेल का निर्माण पूरा नहीं हो पाने के बाद भी झांसी में नई ओपन जेल के निर्माण की तैयारी करने का निर्देश दिया। इसके अलावा कई जेलों में अव्यवस्थाओं के लिए अधिकारियों को फटकार भी लगाई।
मिली जानकारी के मुताबिक कारागार मुख्यालय के मुखिया आईजी जेल पी वी रामाशास्त्री, एआईजी मुख्यालय प्रशासन धर्मेंद्र, मेरठ जेल परिक्षेत्र के डीआईजी सुभाष शाक्य ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के जेलों की कार्यप्रणाली की समीक्षा की। सूत्रों के मुताबिक समीक्षा के दौरान आईजी जेल ने बनारस जेल में एक दबंग असरदार बंदी की अनाधिकृत तरीके से कराई गई मुलाकात पर असंतोष व्यक्त करते हुए जेल प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि घटना की पुनरावृत्ति हुई तो किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। मुखिया ने झांसी में एक नई ओपन जेल के निर्माण की तैयारियों का भी निर्देश दिया। ऐसा तब किया गया है जब फतेहगढ़ में लंबे समय से चल रहा ओपन जेल का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।
मुख्यालय में कब लागू होगी ड्यूटी में रोस्टर प्रणाली!
कारागार मुख्यालय के आला अफसर जेलों में हेड वार्डर, वार्डर और नंबरदारों की ड्यूटी में रोस्टर प्रणाली लागू करने का निर्देश देते है। इस व्यवस्था को यह अधिकारी कारागार मुख्यालय के बाबू संवर्ग पर क्यों लागू नहीं करते है। मुख्यालय में दर्जनों के संख्या में बाबू संवर्ग के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, प्रधान सहायक, कनिष्ठ सहायक और प्रशासनिक अधिकारी ऐसे है जो लंबे समय से घूम फिरकर कमाऊ अनुभागों में ही डेरा डाले हुए है। इस मसले पर आला अफसरों का तर्क है कि इनको हटाने से काम प्रभावित होगा।जब मुख्यालय में बाबुओं के हटाने से काम प्रभावित हो सकता है तो जेलों में हवालात, कैदियाना, गल्ला गोदाम, कैंटीन समेत अन्य जगहों पर काम कर रहे नंबरदारों को हटाने से भी तो जेल का काम प्रभावित होगा। इसको लेकर कर्मियों में चर्चा है कि अपना घर सुधार नहीं पर रहे हैं और दूसरे के घरों को ठीक करने की कवायद में जुटे हुए हैं।
समीक्षा में डीआईजी मेरठ ने जेल अधिकारियों को हिदायत देते हुए कहा कि पहले भी कई बार कहा जा चुका है कि जेलों में वार्डर हेड वार्डर और नंबरदारों की ड्यूटी प्रत्येक माह बदली जाए। इसके बाद भी ड्यूटी बदली नहीं जा रही है। उन्होंने चहेते कर्मियों को नहीं हटाए जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इनकी ड्यूटी में तत्काल रोस्टर प्रणाली को लागू किए जाने का निर्देश दिया। इसके अलावा जेल अधिकारियों को अन्य कई और भी निर्देश दिए गए। समीक्षा के बाद यह मामला विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। चर्चा है विभाग के आला अफसर मुख्यालय में बैठकर जेल चलाना चाह रहे है। यही वजह है कि व्यवहारिकता और दिक्कतों को नजरंदाज कर अधिकारियों को निर्देश दिए जा रहे है। इससे जेलों की व्यवस्थाएं सुधरने के बजाए बिगड़ती नजर आ रही है। उधर इस संबंध में जब आईजी जेल पीवी रामाशास्त्री और एआईजी प्रशासन का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो दोनों ही अधिकारियों का फोन नहीं उठा।