सखियों संग मिल मनाया दीवाली मिलन त्यौहार
ये दीवाली मिलन रंगारंग कार्यक्रम बबिता चतुर्वेदी और प्रीती अशोक की अध्यक्षता में सुचारु रूप से सम्प्पन हुआ l
सभी प्रिय सखियों संग मिलकर 12 नवम्बर 2022 को अति उल्लास से दीवाली त्यौहार मनाया गया l
ये रंगारंग कार्यक्रम बबिता चतुर्वेदी और प्रीती अशोक की अध्यक्षता में सुचारु रूप से सम्प्पन हुआ l |
भारतीय संस्कृति सभ्यता एवं परंपराओं को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम में सोलह श्रृंगार एवं परिधान में बनारसी सिल्क की साड़ी को ज्यादा महत्त्व दिया गया l कुछ सखियों ने हाथों में मेंहदी भी लगाई, रंग बिरंगी साड़ियों से सजी सभी सखियों ने गीत, नृत्य और हंसी ठिठोली के साथ रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये l
कार्यक्रम के दौरान हर साल की तरह इस बार भी इण्डियन हेल्पलाइन की प्रबंध सम्पादिका "सुनीता दोहरे" ने अपनी स्वलिखित रचनाओं से सभी सखियों के लिए “पाती” को सुनाकर सभी को भाव-विभोर कर दिया l उन्होंने सभी प्रतिभागियों के लिए अपनी तरफ से पाती लिख सन्देश दिया l……
आप भी पढ़िए और लुफ्त उठाइये l....
मांडवी जी जो हम समझ सकें वो बात है आपमें,
|
बबिता जी
क़यामत देखी है हमने, मैरून कलर को जब भी पहना है आपने
वो अंदाज-ए-बयां, रुख्सते में, यूँ मुस्करा के जब भी देखा है आपने
कुछ डूबे,कुछ तैर गए, इन झील सी आँखों को जब भी खोला है आपने
उफ़.... ये सादगी कमाल करती है जब भी होंठों को खोला है आपने….
सुनीता वर्मा जी
ऐ दोस्त ! आपकी दोस्ती मेरी नजर में बहुत माएने रखती है
शख्सियत आपकी वक़्त पे सामने जो मेरे आइने रखती है
दोस्त तो लाखों हैं इस जहां में, दिल-ए-गुलजार के लिए
पर तेरी दोस्ती जिंदगी में मेरी, बड़ी अहमियत रखती है
प्रीती जी
मृगनयनी सी तेरी अंखियों में, है प्रीत का काजल मतवाला
ये नज़ाकत,ये शोखियाँ, ये हुस्न, तेरी आँखें हों जैसे मधुशाला
बहुत हसीन हैं ये कजरारी अँखियों वाली स्नेही प्रीती मृदुलता
यौवन है शबाब पे, निकलता आ रहा है आफ़ताब अहिस्ता-अहिस्ता…..
पुनीता जी कसम दोस्ती की, हूँ मैं तेरी सखी, इक फरियाद करूँ तो मान भी जाना
|
सुनयना जी
ये हुश्न क्या है,आकर्षण क्या है, जिंदगी क्या है, प्रीत क्या है
सादगी में है शीलसौदर्य, शब्दसौंदर्य, कर्मसौंदर्य
एक बार इनकी तरफ नजर उठाकर तो देखिये जनाब
आपको पता चल जायेगा कि वास्तव में रूपसौंदर्य क्या है…
अनीता सेठ जी
चेहरे पे मुस्कराहट लिए मंद-मंद मुस्काने वाली "सखी सहेली"
हर मुश्किल में राह दिखाने वाली हम सबकी "सखी सहेली"
कभी गुस्सा न होने वाली हम सबकी प्यारी "सखी सहेली"
मुझे प्यार से डांट-डांट कर, पंथ दिखाने वाली "सखी सहेली"
इस किट्टी की जान है वो आँखों से हॅसने वाली "सखी सहेली" ….
निर्मला जी
अब क्या कहूं आपकी शान में ऐ दोस्त, दिल जिगर
लफ्ज कम पड़ जाते है,आपकी सादगी को देखकर
आपकी इस सादगी पे कौन न मर जाए, ऐ मेरे मौला
हैं आप वो शख्सियत, जो बड़ी सादगी से दिल जीत लेतीं हैं…..
कमलेश जी
कई जन्मों जन्म की दोस्ती की कामना है "हम सबकी" आपसे
आपके भरोसे को जिन्दा रखेंगे "हम सब" ये वादा है आपसे
हर बार ये ज़िन्दगी दोस्ती पे कुर्बान कर दूँ "हम सबका" ये कहना है आपसे
साथ रहके उम्रभर की दोस्ती निभाएंगे "हम सब" ये वादा है आपसे…..
संध्या जी
कभी आप शब़नमी-सी रात, क़भी भीगी चांदनीं सी लगती हो
सरक़ते यौवन में मस्तानीं सी जब तुम संवरने लगती हो
जुल्फों को हटाती हुई चेहरे से, तुम खिले कमल सी खिलती हो
जो देख़ लो दर्पण तिरछे नयनों से, बिन सँवरें ही चमकने लगती हो…..
अर्चना जी ऐ सखी सुन....... |
बीना जी
बिखर जाती है खुशबु सी, आपके यहाँ आते ही
फिर ना जाने क्यों ये हवाएं इतरा के चलतीं हैं
खुशबू आ जाती है आपके आते ही, ताज़े गुलाब सी
शायद महक रहीं हैं जुल्फें जनाब की....
ऋतू जी
आपसे पहली मुलाकात का क्या बयां करूँ फसाना
हम सबके दिल जुड़ गए और बन गया एक नया अफसाना
अबसे आपकी दोस्ती रहेगी ता उम्र एक खूबसूरत तराना
अगर हम सबसे हो जाये कोई खता तो कभी दिल से न लगाना….
गीता जी
महकते हुए फूलों-सा ताज़ा रहता है समां मेरा
जब कभी भी मिल जाता है ए-दोस्त साथ तेरा
जब भी मिलती हैं आप कहीं भी, तो दिल से मिलतीं हैं
उफ़ न जाने कौन सी दौलत है आपके लफ्जों में
बोलते-बोलते ही दिल को ही खरीद लेतीं हैं.....
अमिता जी
अब क्या बयां करू में शख्सियत आपकी
जो कागज पर लिख दूँ तारीफ़ आपकी
तो लफ्ज-लफ्ज भी गुलाम हो जाये आपके
ख्वाहिश यही है सदा महकती रहे यूँ ही
ये दोस्ती हमारी और आपकी…..
तनुजा जी
आपके चेहरे की चमक के सामने कमल सादा सा लगा
अम्बर पे चाँद पूरे शबाब पे था, मगर फीका सा लगा
ऐ गुलबदन तेरा अंदाज़-ए-सँवरना भी क्या कमाल है
जर्रा - जर्रा तेरे विलक्षण सौंदर्य के आगे हैरान सा लगा......
गुड़िया जी
जहाँ रहे तू प्यारी बहना, कोई गम न आये तेरे द्वार
बनी रहे जीवन में हरदम, खुशियों की बौछार
मेरे लिए तो तू है बहिना, जैसे ईश्वर का उपहार
हरपल यूँ ही बना रहे, तेरा मेरा है अटूट ये प्यार। ......
युक्ता जी
ये जो हुश्न कीअदाओं से दिल को हलाल करती हो
है तो बड़ा संगीन जुर्म, लेकिन कमाल करती हो
जब भी घर से बन संवर कर, कभी निकलती हो
रौशनी के सौ चराग जला, जैसे कोई शहजादी जमीन पर उतरती हो…
शीला श्रीवास्तव जी
मुस्कराती हुई नज्म को मैं "महव-ए-ख़्वाब" दे आई। ..एक अजनबी दोस्त को मैं "अपनी गजल के अल्फाज" दे आई। ... तो सुनिए। शीला जी आपको मैंने क्या अल्फाज दिए है। ......
सुन सखी ! इस दोस्ती में आपसी प्रेम का होना जरुरी है
आँखों में आपकी हम हों न हों, पर दिल में रहना जरुरी है
दोस्त हमेशा दिल में रहे, सुनहरी यादें बन कर
कभी मुस्कान तो कभी आंखों में पानी बन, बहना जरुरी हैl.....
कार्यक्रम के अंत में इण्डियन हेल्पलाइन की प्रबंध सम्पादिका “सुनीता दोहरे” ने सभी सखियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि दीवाली आस्था, प्रेम, सौंदर्य व उमंग का त्यौहार है। कार्तिका अमावस्या की अंधेरी रात में दीवाली के दीयों की रोशनी शमां को रंगीन बना देती है l हम सभी हमेशा यूँ ही हसी ख़ुशी एकदूसरे से मिलते रहे, यही मेरी दिल से कामना है आप सभी को दीवाली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। ............ |
आंनद शर्मा
सम्पादक / सरस्वती मंथन न्यूज़
फोन नंबर - 95657 46527