कागजों पर तैयार हो रहा जेटीएस में ट्रांजिट हॉस्टल

कमीशन को खातिर कार्यदायी संस्था को कर दिया 3.5 करोड़ का भुगतान पिछले वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में भी हुई थी करोड़ों की बंदरबांट

कागजों पर तैयार हो रहा जेटीएस में ट्रांजिट हॉस्टल
जेटीएस में ट्रांजिट हॉस्टल

लखनऊ। वित्तीय वर्ष 2023-24 को समाप्त होने में अब मात्र चार दिन का समय शेष बचा हुआ है। प्रदेश के कारागार विभाग में इस वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में बजट की लूट शुरू हो गई है। जेल प्रशिक्षण संस्थान (जेटीएस) परिसर में प्रस्तावित ट्रांजिट हॉस्टल निर्माण के लिए बगैर एक ईंट लगे ही कार्यदायी संस्था को साढ़े तीन करोड़ रुपए की धनराशि का अग्रिम भुगतान कर दिया गया है। दिलचस्प बात यह है कि इस हॉस्टल का निर्माण करने वाली संस्था को आवंटित धनराशि को 31 मार्च 2024 तक खर्च करने का निर्देश भी दिया गया है। ऐसा तब है जब धरातल पर अभी तक काम ही नहीं शुरू हुआ है। चर्चा है कि मोटा कमीशन गटकने की खातिर आला अफसरों ने यह बड़ा खेल किया है। 

विभागीय सूत्रों के मुताबिक देश के विभिन्न राज्यों से प्रतिवर्ष सैकड़ों की संख्या में अधिकारी और सुरक्षाकर्मी प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए जेटीएस आते है। प्रशिक्षण के लिए आने वाले अधिकारियों के सुविधा के लिए विभाग ने प्रशिक्षण संस्थान परिसर में ट्रांजिट हॉस्टल बनाए जाने का निर्णय लिया। शासन ने हॉस्टल निर्माण के लिए करीब 675.30 लाख रुपए की धनराशि का आवंटन किया। सूत्रों का कहना है कि कारागार विभाग के आला अफसरों ने आवंटित धनराशि का 50 फीसदी करीब 345.15 (साढ़े तीन करोड़) का भुगतान कार्यदायी संस्था को कर भी दिया। मोटे कमीशन की खातिर अधिकारियों ने धरातल पर बगैर काम शुरू हुए ही कर दिया गया। यह मामला विभागीय कर्मियो में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

निर्माण के बजट में शेष बची 20 करोड़ की धनराशि

वित्तीय वर्ष 2022-23 में मार्च माह के अंतिम दिन एक ही दिन में निर्माण अनुभाग के करोड़ों के टेंडर, वर्क ऑर्डर और कार्यदायी संस्था को भुगतान कर दिया गया था। मोटे कमीशन का यह खेल वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी शुरू हो गया है। सूत्रों के मुताबिक 2022-23 में 24195.08 लाख का प्रावधान था। जिसमें से 23790.73 लाख का खर्च किया गया। 5354.34 लाख रुपए सरेंडर कर दिए गए। वर्ष 2023-24 में 68395.08 लाख का बजट प्राप्त हुआ। जिसमें से 66316 लाख खर्च हो चुका है। लगभग 20 करोड़ से अधिक की धनराशि शेष बची हुई है। अगले चार दिनों में इस धनराशि के बंदरबांट होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

विभागीय जानकारों का कहना है कि कारागार विभाग ने ट्रांजिट हॉस्टल निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कार्पोरेशन को यह धनराशि दी गई है। कार्यदायी संस्था ने अभी तक न तो हॉस्टल निर्माण के लिए चयनित की गई भूमि की पैमाईश की है और न ही विभाग को हॉस्टल का कोई नक्शा ही दिया है। हकीकत यह है कि जिस संस्था को इतनी बड़ी धनराशि का आवंटन किया गया है। उसने अभी तक जमीन पर एक ईंट तक नही लगाई है। ऐसे में आवंटित करीब साढ़े तीन करोड़ की धनराशि को 31 मार्च तक कैसे खर्च किया जा सकेगा यह एक बड़ा सवाल है। उधर इस संबंध में जब डीआईजी कारागार मुख्यालय अरविंद कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने जेटीएस में ट्रांजिट हॉस्टल निर्माण के लिए धनराशि आवंटित होने की बात तो स्वीकार की लेकिन अन्य सवालों पर उन्होंने इसे शासन का मामला बताते हुए चुप्पी साध ली प्रमुख सचिव/ महानिदेशक कारागार राजेश कुमार सिंह से काफी प्रयासों के बाद भी बात नहीं हो पाई।