महिला सशक्तिकरण
महिला सशक्तिकरण सही मायने में महिलाओं की आर्थिक और मानसिक आत्मनिर्भरता होती है l जब तक महिलाएं अपनी छोटी बड़ी जरूरतों के लिए अन्य पर निर्भर रहेंगी तब तक महिलाये शक्तिहीन रहेंगी l…
महिला सशक्तिकरण सही मायने में महिलाओं की आर्थिक और मानसिक आत्मनिर्भरता होती है l जब तक महिलाएं अपनी छोटी बड़ी जरूरतों के लिए अन्य पर निर्भर रहेंगी तब तक महिलाये शक्तिहीन रहेंगी l…
आर्थिक आत्मनिर्भरता
- आर्थिक आत्मनिर्भरता महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है. इससे महिलाओं में आत्मविश्वास की वृद्धि होती है
- मानसिक सुरक्षा का एहसास होता है अक्सर माता पिता बेटियों को उसकी शादी के वक्त गहने और कुछ पैसे देकर अलविदा कह कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पा लेते हैं. परिणाम स्वरूप बेटियों, बहने जीवनभर पति और पुत्र पर आश्रित रहती है और दूसरो के मुताबिक जीवन जीती हैं.
- कई बार महिलाएं शिक्षित होने के बावजूद भी खुद को गृहस्थी और बच्चों में व्यस्त का लेती हैं जिससे वह अपनी आर्थिक स्वतंत्रता खो बैठती हैं. परिवार की देखभाल भी जिम्मेदारी होती है पर अपनी जिम्मेदारी को निभाने में इतना व्यस्त हो कर खुद को आर्थिक परतंत्र बना लेना कहाँ की बुद्धिमानी है
- बचपन से बेटियों को यह सिखाया जाता है धन कमाना सिर्फ पति का काम है, और पत्नी को पति के कमाए हुए धन पर ही आश्रित रहना चाहिए . पति द्वारा कमाए धन से संतोष कर अपने मन को मार के जीवन व्यतीत करना चाहिए
- जो पत्नी जितना अपने सुख का त्याग अपने पति के लिए करेगी वह उतनी ही अच्छी पत्नी कहलाएगी .
- आश्चर्य की बात तो यह है की यह सब सिखाने वाली परिवार की दादी नानी या मां ही होती है.
- अर्थात महिलाएं खुद ही अपने पतन का कारण होती हैं.
- ये सब सामाजिक कुरूतियां महिलाओ को मानसिक रूप से संकुचित करती हैं और महिलाओं को कमजोर बनाती हैं.
मानसिक आत्मनिर्भरता
- महिलाएं स्वभाव से भावुक होती हैं. उनकी इस खूबी का कई बार लोग गलत फायदा उठाते हैं.
- भावुकता में बह के महिलाएं खुद भी कई बार नही समझ पाती की उनकी भावुकता ही उन्हें मानसिक रूप से कमजोर कर रहीं हैं और परतंत्र बना रहीं हैं.
- अधिक शिक्षित होने के बावजूद भी महिलाएं अधीन रहने में खुद को सुरक्षित मानती है. अधीन रहने से कभी किसी का विकास नही हो सकता
- अधिक शिक्षित और सक्षम होने के बावजूद भी महिलाएं अधीन रहने में खुद को सुरक्षित मानतीं हैं,
अंत में मैं इतना कहना चाहूंगी यह जीवन एक बार मिला है इसे खुल के जिए, अपने अंदर हिम्मत पैदा करें पर अपना रास्ता स्वयं बनाएं ये जीवन आपका है तो जीवन के निर्णय भी स्वयं ले
खुद को कमजोर न समझें l जीवन की सार्थकता विकास में है आधीनता में नहीं.
आप असीम शक्ति की स्वामिनी है l अपने व्यक्तिगत विकास के लिए स्वयं जिम्मेदारी लें और खुद को मानसिक और आर्थिक रूप से'आत्मनिर्भर बनाएं l तभी सही मायने में हम महिला सशक्तिकरण को सार्थक कर सकेंगे.
आप सभी को महिला दिवस की हार्दिक बधाई
डाक्टर अर्चना श्रीवास्तव
वरिष्ठ रेसिडेंट डॉक्टर
आगरा हॉस्पिटल
स्त्री रोगों के लिए
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