कारागार विभाग में फिर मचेगी बजट की लूट!
अभी तक खर्च नहीं हो पाया निर्माण के करोड़ों का बजट कमीशन को खातिर साल भर नही खर्च किया जाता बजट पिछले वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन खर्च की थी करोड़ों की धनराशि
लखनऊ। प्रदेश के कारागार विभाग में विगत वर्ष की तरह इस वित्तीय वर्ष में लूट मचने की संभावना है। विभाग के निर्माण इकाई को करोड़ों का बजट आवंटित किया गया। वित्तीय वर्ष 2023 24 को खत्म होने में अब चंद दिन ही शेष बचे हुए है। विभाग में निर्माण के करोड़ों का बजट अवशेष बचा हुआ है। आशंका व्यक्त की जा रही है पिछले साल की तरह इस बार भी वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में शेष बचे बजट को अनाप शनाप तरीके से खर्च करके मोटा कमीशन वसूल किया जा सकता है।
बजट सत्र में पहले हो चुका इस सच का खुलासा
प्रदेश सरकार सरकारी विभागों के विकास के लिए करोड़ों की धनराशि आवंटित करते है। किंतु विभाग के अधिकारी आवंटित बजट को खर्च ही नहीं कर पाते है। यह बात प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कही थी। उन्होंने कहा था आवंटित बजट में बड़ा हेरफेर भी किया जाता है। प्रदेश का कारागार विभाग भी इससे अछूता नहीं है। विभाग के आला अफसर बजट से विभाग का विकास करने के बजाए जेब भरने में जुटे हुए हैं। विभाग के निर्माण कार्यों की इसकी गुणवत्ता की पोल खोलती नजर आ रही है। जेलों में करोड़ों के अत्याधुनिक उपकरण लगे हुए है लेकिन घटनाओं के समय यह खराब ही पाए जाते हैं।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2022 23 में मार्च माह के अंतिम दिन एक ही दिन में निर्माण अनुभाग के करोड़ों के टेंडर, वर्क ऑर्डर और कार्यदायी संस्था को भुगतान कर दिया गया था। मोटे कमीशन का यह खेल वित्तीय वर्ष 2023 24 में भी होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक 2022-23 में 24195.08 लाख का प्रावधान था। जिसमें से 23790.73 लाख का खर्च किया गया। 5354.34 लाख रुपए सरेंडर कर दिए गए। वर्ष 2023-24 में 68395.08 लाख का बजट प्राप्त हुआ। जिसमें से 66316 लाख खर्च हो चुका है। लगभग 20 करोड़ से अधिक की धनराशि शेष बची हुई है।
अत्याधुनिक उपकरण की खरीद में होती जमकर उगाही
कारागार विभाग में अत्याधुनिक उपकरणों की खरीद में जमकर गोलमाल किया जाता है। मिली जानकारी के मुताबिक उपकरणों की खरीद फरोख्त के लिए सरकार ने 53 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटी की। आवंटित धनराशि को विभाग अभी तक खर्च नहीं कर पाया है। सूत्रों की मानें तो शासन स्तर धनराशि की स्वीकृति नहीं मिल पाने की वजह से आवंटित धनराशि खर्च नहीं की जा सकी है। आधुनिकीकरण अनुभाग से ही जेलों के लिए दैनिक उपयोग की वस्तुओं के साथ सीसीटीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, आटा गूथने की मशीन, टीवी, वाकी टाकी, एयर कंडीशनर, पंखे, आरओ सरीखे तमाम महंगे सामान खरीद कर आपूर्ति की जाती है। पूर्व में खरीदे गए उपकरण जेलों में धूल खा रहे है। यदि इन उपकरणों की ख़रीद की जांच कराई जाए तो सच सामने आ जाएगा।
सूत्रों की माने तो जेलों के उच्चीकरण, नवीनीकरण, जीर्णोधार, जेलों में जलापूर्ति, स्वच्छता, मुख्यालय के निर्माण कार्य, नई जेलों के निर्माण, जेल विभाग के भवनों/परिसर के लघु निर्माण, विभाग के विभिन्न निर्माणों समेत आठ मदो में करोड़ों की धनराशि का आवंटन किया गया। इसमें एक दो मद छोड़ दे तो सभी मदो की 18430.75 लाख रुपए की धनराशि अवशेष पड़ी है। इसके अलावा परियोजनाओं की शासन स्तर पर स्वीकृत प्रदान नहीं होने की वजह से 17336.54 की धनराशि भी अटकी हुई है। सूत्रों का कहना है कि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी करोड़ों रुपए की अवशेष धनराशि की बंदरबांट वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में किए जाने की संभावना जताई जा रही है। उधर इस संबंध में जब डीआईजी जेल मुख्यालय अरविंद कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने इसे शासन का मामला बताते हुए इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। प्रमुख सचिव/ महानिदेशक कारागार राजेश कुमार सिंह से काफी प्रयासों के बाद भी बात नहीं हो पाई।