जेल अफसरों की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं सरकार : कई अफसर हो चुके बदमाशों की गोलियों का शिकार

जेल अधिकारियों पर जानलेवा हमले की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले लखनऊ जेल में तैनात अधीक्षक आरके तिवारी, जेलर अशोक गौतम, बनारस जेल पर तैनात डिप्टी जेलर अनिल त्यागी की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। इसके अलावा करीब एक दर्जन से अधिक जेल अधिकारियों व सुरक्षाकर्मियों पर अब तक जानलेवा हमले हो चुके हैं।……

जेल अफसरों की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं सरकार : कई अफसर हो चुके बदमाशों की गोलियों का शिकार
कारागार देवबंद

लखनऊ। प्रदेश के जेल अधिकारियों की सुरक्षा के प्रति सरकार सजग नहीं है। यह वजह है कि जेल अधिकारियों व सुरक्षाकर्मियों पर जानलेवा हमलों की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। दो दिन पहले देवबंद के जेलर पर जानलेवा हमला किया गया। इससे पहले करीब एक दर्जन से अधिक जेल अधिकारी व सुरक्षाकर्मी बदमाशों की गोलियों को शिकार हो चुके हैं। इसके बाद भी सरकार मांगने के बाद भी अधिकारियों को सुरक्षा मुहैया नहीं करा रही है। आलम यह है कि जेल अधिकारियों को मांगने के बाद भी सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जा रही है। दर्जनों जेल अधिकारियों के सुरक्षा को लेकर किए गए आवेदन फाइलों में सिमट कर रह गए हैं।

 देवबंद जेल में जेलर पर हुए जानलेवा हमले के बाद उठा  सवाल : दो दिन पहले दस मार्च जिस दिन प्रदेश में मतगणना हो रही थी उसी दिन रात को अपने सरकारी आवास से टहलने निकले देवबंद के जेलर रीबन सिंह पर अज्ञात बदमाशों ने फायरिंग कर जान लेने का प्रयास किया। जेलर ने घटना की प्राथमिकी दर्ज कराई। एफआईआर में जेलर ने बताया कि शाम करीब आठ बजे वह भोजन कर टहलने के लिए आवास से बाहर निकले। वह टहलने के बाद जब वापस आ रहे थे इसी दौरान मोटरसाइकिल सवार दो बदमाशों ने फायरिंग की। फायरिंग के दौरान जेलर पास लगे पेड़ की आड़ लेकर लेट गए। घटना की सूचना मिलने पर जेल मुख्यगेट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों व सहयोगी अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर जेलर को आवास पर पहुंचाया। इसके बाद घटना की सूचना पुलिस को दी गई।

जेल अधिकारियों पर जानलेवा हमले की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले लखनऊ जेल में तैनात अधीक्षक आरके तिवारी, जेलर अशोक गौतम, बनारस जेल पर तैनात डिप्टी जेलर अनिल त्यागी की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। इसके अलावा करीब एक दर्जन से अधिक जेल अधिकारियों व सुरक्षाकर्मियों पर अब तक जानलेवा हमले हो चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि हमला होने के बाद कई जेल अधिकारियों ने जेल मुख्यालय के माध्यम से शासन से सुरक्षा उपलब्ध कराए जाने की मांग की। शासन ने आश्वासन तो जरूर दिया किंतु अधिकारियों को सुरक्षा नहीं मुहैया कराई गई। जेल में बंद खुंखार अपराधियों से आए दिन मोर्चा लेने वाले अधिकािरयों की सुरक्षा के मामले में शासन ने अभी तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष-2016 में जिला जेल बनारस में एक बंदी के साथ मारपीट की घटना के बाद उत्तेजित बंदियों ने जमकर बवाल काटा था। इस घटना में बंदियों ने जेल अधीक्षक जेलर व डिप्टी जेलर को सात घंटे तक बंधक बनाए रखा इस दौरान उनकी पिटाई भी की गई। इसी जेल पर कुछ दिन बाद ही तैनात डिप्टी जेलर अनिल त्यागी की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। अभी कुछ दिन पहले ही बनारस जेल में एक बंदी की मौत के बाद बंदियों ने जमकर बवाल काटा। चित्रकूट जेल में तीन खुंखार अपराधियों की हत्या, फतेहगढ़ जेल में बंदियों के मारपीट, आगजनी व लूटपाट की घटनाएं होने के बाद भी शासन जेल अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। हकीकत यह है कि जेल अधिकारियों के सुरक्षा मांगे जाने के बाद भी उन्हें सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। उधर जेल मुख्यालय के अधिकारी इसे शासन का मामला बताते हुए इस पर कोई भी टिप्पणी करने से बचते नजर आए।

राकेश यादव
स्वतंत्र पत्रकार
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