अधिकारी व कर्मचारियों ने डिफेंस कॉरिडोर से चर्चित भटगांव में बेच डाली 110 बीघा सरकारी जमीन

मामले में जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार का कहना है कि भटगांव में जमीनों के असंक्रमणीय से संक्रमणीय किए जाने के आदेश और पट्टों की पत्रावली की जांच कराई जा रही है। जमीनों के चिन्हांकन के साथ राजस्व दस्तावेज बदलने में शामिल कर्मचारियों की भी जिम्मेदारी तय होनी है। जल्दी ही रिपोर्ट तैयार हो जाएगी।

अधिकारी व कर्मचारियों ने डिफेंस कॉरिडोर से चर्चित भटगांव में बेच डाली 110 बीघा सरकारी जमीन
अधिकारी व कर्मचारी ने दस्तावेजों में बदलाव कर लखनऊ के भटगांव की जमीन बेच दी

सरोजनीनगर के अहिमामऊ में 80 पट्टों की करोड़ों की जमीनें राजस्व दस्तावेजों में हेराफेरी कर बेचने जैसा ही मामला अब डिफेंस कॉरिडोर से चर्चा में आए तहसील के भटगांव में सामने आया है। यहां भी बिना पट्टा आदेश के जमीनों के आवंटन दिखा सरकारी स्वामित्व की करीब 110 बीघा जमीन भू-माफिया को बेच डाली गई। तहसील के अधिकारी, कर्मचारियों की सांठगांठ से हुए इस खेल में कई मामलों में तो जिसे आवंटी दिखाया गया, उसकी मौत तक हो चुकी है। दावा है कि उनके वारिसों ने जमीन खरीदने वालों के साथ अनुबंध किया। उधर, सरोजनीनगर तहसील में भी तथ्यों को नजरंदाज करते हुए असंक्रमणीय से संक्रमणीय के आदेश कर दिए गए। स्थानीय लोगों ने प्रकरण की शिकायत डीएम से की तो जांच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई के लिए कहा गया।

पड़ताल में सामने आया है कि वर्ष 1984 और 1985 में तत्कालीन प्रधान ने 52 किसानों को जमीनों के आवंटन किए, हालांकि इसका पट्टा आदेश नहीं हुआ। ऐसे में कुछ बाहरी भी जमीनोें पर काबिज हो गए। पहले ये जमीनें ऊसर/बंजर में दर्ज थीं, लेकिन इन्हें कृषि व अन्य उपयोग की दिखाकर असंक्रमणीय से संक्रमणीय दर्ज किए जाने का आदेश कर दिया गया। इससे भू-माफिया के लिए जमीनें बेचना और इनके बैनामे कराना आसान हो गया, जबकि नियमानुसार इन जमीनों को बेचा ही नहीं जा सकता था। मामले को लेकर शिकायतें हुईं, पर इन्हें नजरंदाज कर दिया गया। अब शिकायतकर्ता आलोक यादव ने डीएम सूर्यपाल गंगवार से प्रकरण की जांच करवाकर कार्रवाई का आदेश करने की मांग की है।

अनुबंध पत्र तैयार करा बदले गए राजस्व अभिलेख : प्रकरण में ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिनमें कथित आवंटियों की मौत हो गई। इनके वारिसान के नाम से अनुबंध पत्र तैयार किए गए। इन वरासत के आधार पर जमीनें बेची गईं। कुछ जमीनों पर तो अभी भी साल 1985 से काबिज चले आ रहे कथित आवंटियों के मकान तक बने हैं। फूलमती पत्नी स्व. गेंदा व अन्य की जमीन को भी फर्जी पत्रावली तैयार कर इसी तरह हड़पा गया। ऐसे 22 केस सामने आए हैं। कुछ के बैनामे भी हो चुके हैं। बाकी के लिए भू-माफिया प्रयासरत है। शिकायत में मांग की गई है कि फर्जीं इंद्राज को निरस्त किया जाए, जिससे बैनामे की कार्यवाही रुक सके।

डिफेंस कॉरिडोर ने बढ़ाईं भटगांव में जमीनों की कीमतें : भटगांव में डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीनों का अधिग्रहण हो रहा है। ब्रह्मोस मिसाइल की फैक्ट्री भी यहीं लगनी है। इसके लिए भी यूपीडा नेे जमीनें ली हैं। जिन जमीनों का अधिग्रहण यूपीडा या अन्य सरकारी एजेंसी को नहीं करना है, उनकी भी कीमतें यहां बढ़ गई हैं। भटगांव में पहले भी इसी तरह की जमीन का मुआवजा लिए जाने का प्रकरण सामने आया था। इसके बाद तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश ने जांच करा राजस्व निरीक्षक जितेंद्र सिंह को निलंबित कर दिया था। आरोप है कि राजस्वकर्मियों ने अपने ही रिश्तेदार के नाम जमीन दर्ज करा एक करोड़ से अधिक का मुआवजा एडीएम भू-अध्याप्ति कार्यालय से ले लिया था। मामले में लेखपाल हरिश्चंद्र को भी हटाया गया था।

अहिमामऊ मामले में अभी तक नहीं हुई कार्रवाई : अहिमामऊ में घपले की जांच को फाइलों में दफन करने की कोशिश की गई थी। ‘अमर उजालाके अधिकारियों के कारनामे को उजागर करने के बाद 48 घंटे के अंदर ही सीडीओ ने जांच रिपोर्ट तैयार करके दे दी। अब इसके तथ्यों का सत्यापन चल रहा है। हालांकि, जिम्मेदारों पर कार्रवाई का इंतजार अब भी है।

जल्द तैयार हो जाएगी जांच रिपोर्ट : मामले में जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार का कहना है कि भटगांव में जमीनों के असंक्रमणीय से संक्रमणीय किए जाने के आदेश और पट्टों की पत्रावली की जांच कराई जा रही है। जमीनों के चिन्हांकन के साथ राजस्व दस्तावेज बदलने में शामिल कर्मचारियों की भी जिम्मेदारी तय होनी है। जल्दी ही रिपोर्ट तैयार हो जाएगी।