आज रात 1 बजे के बाद होलिका दहन का मुहूर्त : भद्रा आज दोपहर से होगी शुरू होकर रात्रि 1 बजे के तक रहेगी

फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से प्रारंभ होगी, जिसका समापन 18 मार्च को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर होगा। भद्रा प्रारंभ 17 मार्च को दोपहर 1 बजकर 2 मिनट से और समापन 17 मार्च को देर रात 12 बजकर 57 मिनट पर होगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 17 मार्च को रात 12 बजकर 57 मिनट के बाद से है।

आज रात 1 बजे के बाद होलिका दहन का मुहूर्त : भद्रा आज दोपहर से होगी शुरू होकर रात्रि 1 बजे के तक रहेगी
18 मार्च को मनाई जाएगी होली

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 17 मार्च को रात 1 बजे के बाद शुरू होगा। वहीं काशी में होली 18 मार्च को और दूसरी जगहों पर होली 19 मार्च को मनाई जाएगी। इस साल होली अत्यंत शुभ फल देने वाली है।

रात्रि 1 बजे के तक भद्रा का काल है। इसमें होलिका दहन नहीं होता। वहीं जहां होली 19 मार्च को मनाई जाएगी, वहां पर 18 मार्च को कभी भी होलिका का दहन किया जा सकता है। बताते हैं कि होलिका दहन हमेशा फाल्गुन पूर्णिमा को प्रदोष काल में भद्रा रहित मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए। अगर प्रदोष काल में भद्रा है, तो भद्रा समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन हो सकती है। भद्रा को ज्योतिष शास्त्र में अशुभ माना गया है। इस दौरान शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो लोग होली नहीं मना सकते, वे देवालयों में जाकर भगवान को अबीर-गुलाल चढ़ाएं। वहीं विधवा औरतें भगवान के पास जाकर अगले जनम में सधवा जीवन जीने का वरदान मांगे।

भद्रा आज दोपहर से होगी शुरू : फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से प्रारंभ होगी, जिसका समापन 18 मार्च को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर होगा। भद्रा प्रारंभ 17 मार्च को दोपहर 1 बजकर 2 मिनट से और समापन 17 मार्च को देर रात 12 बजकर 57 मिनट पर होगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 17 मार्च को रात 12 बजकर 57 मिनट के बाद से है।

इको फ्रेंडली हुई होलिका : वाराणसी में इस बार होलिका इको फ्रेंडली हो गई है। लकड़ी, कूड़ा-करकट और पत्ते छोड़कर इस बार गोबर की कंडी से होलिका जलाई जाएगी। होलिका की रात को धुआं रहित करने का यह प्रयास बागबरियार सिंह और हरिश्चंद्र घाट तिराहे पर किया गया है। वहीं, बीएचयू गेट के पास मालवीय मूर्ति के ठीक सामने भी गोहरी को होलिका को आकार दे दिया गया है। इस बार आसपास के हर नागरिक ने रीति के मुताबिक पांच-पांच कंडे होलिका दहन के लिए इकट्टा किया है। गोहरी की होलिका और उनकी गोद में भक्त प्रह्लाद बैठे दिखाए गए हैं। इस साल हर तीसरी होलिका पर भक्त प्रह्लाद की प्रतिमा रखी गई है। शिल्पी गोपाल डे ने बताया इस छोटी बड़ी मिला कर 34 और शिल्पी शंकर दास ने प्रह्लाद की 28 प्रतिमाएं की है.