कानपुर में शॉर्ट सर्किट से केमिकल फैक्टरी जलकर खाक : दमकल की 12 गाड़ियों ने छह घंटे में पाया काबू

कानपुर के पनकी साइट नंबर-दो में शॉर्ट सर्किट से केमिकल फैक्टरी में आग लग गई। आग की चपेट में आने से बगल वाली फैक्टरी भी धधक उठी। सूचना पर फायर ब्रिगेड की एक दर्जन गाड़ियों ने छह घंटे की कड़ी मशक्कत से आग पर काबू पाया।

कानपुर में शॉर्ट सर्किट से केमिकल फैक्टरी जलकर खाक : दमकल की 12 गाड़ियों ने छह घंटे में पाया काबू
कानपुर के पनकी में शॉर्ट सर्किट से दो फैक्ट्रियां जलकर खाक

कानपुर के पनकी साइट नंबर-दो में शॉर्ट सर्किट से केमिकल फैक्टरी में आग लग गई। आग की चपेट में आने से बगल वाली फैक्टरी भी धधक उठी। सूचना पर फायर ब्रिगेड की एक दर्जन गाड़ियां मौके पर पहुंची और छह घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। आग लगने के दौरान दोनों फैक्टरियां बंद थीं। इसके चलते कोई भी कर्मचारी चपेट में नहीं आया। प्राथमिक जांच में शॉर्ट सर्किट से आग लगने की पुष्टि हुई है।

सूत्रों के अनुसार पनकी साइट नंबर-दो में पारस गुप्ता की सनराइज केमिकल के नाम से फैक्टरी है। इसमें केमिकल बनाने के साथ ही फिनायल व अन्य रसायनों से संबंधित उत्पाद बनाए जाते हैं। सिक्योरिटी गार्ड बाबूराम ने बताया कि रोज की तरह निर्धारित समय पर गुरुवार शाम नौ बजे फैक्टरी बंद कर दी गई थी। देर रात दो बजे अचानक से आग की लपटें उठले लगीं।

बाबूराम ने आग लगने की सूचना फैक्टरी मालिक पारस गुप्ता और फायर ब्रिगेड के कंट्रोल रूम के साथ पड़ोसियों को दी। देखते ही देखते केमिकल के ड्रमों में लगी आग ने पूरी फैक्टरी को अपने चपेट में ले लिया। इतना ही नहीं विकराल रूप से धधकी फैक्टरी की आग ने ठीक बगल में मौजूद अजय अरोड़ा की प्रेम इंटरप्राइजेज को भी अपने चपेट में ले लिया।  सूचना पर फजलगंज फायर स्टेशन की गाड़ियां मौके पर पहुंची। आग की भयावहता देख अफसरों के भी हाथ-पांव फूल गए। मौके पर पनकी, लाटूश रोड और कर्नलगंज से फायर ब्रिग्रेड की एक दर्जन गाड़ियों ने छह घंटे की कड़ी मशक्कत से आग पर काबू पाया। वहीं, आग की चपेट में आने से पारस गुप्ता की पूरी फैक्टरी जलकर खाक हो गई। जबकि प्रेम इंटरप्राइजेज को फायर ब्रिगेड ने पूरी तरह जलने से बचा लिया। पुलिस घटना की जांच करने में जुटी है।

समय रहते आग बुझाने से कई फैक्टरियां बचीं : सीएफओ दीपक शर्मा ने बताया कि फायर ब्रिगेड की एक दर्जन गाड़ियों ने छह घंटे की कड़ी मशक्कत से आग पर काबू पाया। आग की विकरालता को देख पीछे की फैक्टरी से आग को काबू किया गया। तब जाकर कई घंटे की मशक्कत से आग को नियंत्रित किया जा सका। अगर चारों तरफ से पानी नहीं डाला जाता, तो समय रहते आग बुझाना मुश्किल होता और आसपास की फैक्टरियां भी आग की चपेट में आ जाती।